मुंबई: अरबपति अनिल अग्रवाल द्वारा नियंत्रित खनन उद्योग वेदांता लिमिटेड को एक और बड़ा झटका लग सकता है. अपने व्यवसायों के महत्वाकांक्षी पुनर्गठन के दौर से गुजर रही वेदांता कंपनी अपना तीसरा मुख्य वित्तीय अधिकारी खो सकता है. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक जून में कंपनी में शामिल हुईं सोनल श्रीवास्तव अपने पद से इस्तीफा दे सकती हैं. सोनल श्रीवास्तव ने अनिल अग्रवाल को पिछले महीने कंपनी छोड़ने के अपने फैसले के बारे में सूचित कर चुकी हैं. सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अनिल अग्रवाल उनकी जगह लेने के लिए वित्त पेशेवरों से बात कर रहे हैं, जो पहले समूह में काम कर चुके हैं और इस सप्ताह के शुरू में निर्णय होने की उम्मीद है.
![Vedanta CFO](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-10-2023/19837800_company.jpg)
श्रीवास्तव के जाने के बाद बढ़ जाएंगी मुश्किलें
बता दें, सोनल श्रीवास्तव के जाने से अनिल अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ जाएंगी क्योंकि उनकी होल्डिंग कंपनी, वेदांत रिसोर्सेज लिमिटेड को अगले दो वर्षों में लगभग 3 बिलियन डॉलर के बांड भुगतान का सामना करना पड़ेगा. साथ ही समूह आने वाले परिपक्वताओं के लिए शर्तों के संभावित पुनर्गठन पर बांडधारकों के साथ बातचीत कर रहा है. अगर श्रीवास्तव का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है, तो कंपनी अपना तीसरा बड़ा अधिकारी खो देखी. बता दें, कंपनी से इस साल की शुरुआत में बड़े अधिकारी अजय गोयल ने इस्तीफा दे दिया था. इससे पहले जी.आर. अरुण कुमार ने 2021 में मुंबई-सूचीबद्ध कंपनी को निजी लेने के असफल प्रयास के बाद छोड़ दिया था.
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अग्रवाल को है उम्मीद
पिछले महीने वेदांता लिमिटेड ने खुद को छह सूचीबद्ध कंपनियों में विभाजित करने की योजना को मंजूरी दी थी. अग्रवाल को उम्मीद है कि इस कदम से निवेशक सीधे प्रमुख व्यवसायों की ओर आकर्षित होंगे और इसके घटक भागों के मूल्यांकन में सुधार होगा. इस बदलाव से अपनी मूल कंपनी के ऋण भार को कम करने के लिए कुछ संपत्तियों को बेचना भी आसान हो जाएगा, जिससे अरबपति अनिल अग्रवाल लंबे समय से बचते रहे हैं.
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स्क्रैप धातु के व्यापार से की शुरुआत
बता दें, अनिल अग्रवाल ने 1970 के दशक में स्क्रैप धातु का व्यापार शुरू करने से पहले अपने पिता के एल्यूमीनियम कंडक्टर बनाने के व्यवसाय को संभाला था, ने महत्वाकांक्षी अधिग्रहणों की एक श्रृंखला के माध्यम से वेदांता लिमिटेड को एक प्राकृतिक संसाधन समूह में बनाया. हालांकि, होल्डिंग कंपनी के कर्ज को चुकाने के लिए नकदी की आवश्यकता और सेमीकंडक्टर विनिर्माण जैसे नए व्यवसायों में प्रवेश करने की योजना ने टाइकून को कंपनी में हिस्सेदारी बेचने और नए फंड को आकर्षित करने के लिए समूह की कॉर्पोरेट संरचना पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर किया है.