नई दिल्ली/शिमला: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हिमाचल प्रदेश के बद्दी में दवा कंपनियों द्वारा सिरसा और सतलुज नदी में कचरा डालने के मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कमेटी को तीन महीने के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
तीन सदस्यीय कमेटी का गठन
एनजीटी ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सोलन के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट शामिल हैं. याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सोलन उपायुक्त को कागजात सौंपे और इस बारे में दस दिन के अंदर हलफनामा दायर करें.
रोगाणुओं का बढ़ना पूरी दुनिया के लिए संकट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा कि रोगाणुओं का बढ़ना पूरी दुनिया के लिए बड़ा संकट है. ये रोगाणु औद्योगिक इकाईयों की ओर से छोड़े गए कचरे के जरिये से जलाशयों में मिलते हैं. दवा कंपनियों की ओर से एंटीबायोटिक्स और दूसरी दवा कंपनियों का कचरा डाला जा रहा है.
दो दवा कंपनियों के खिलाफ है याचिका
याचिका वेटरंस फोरम फॉर ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक लाइफ ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि हेलियोस फार्मास्युटिकल्स और एक्मे लाइफ साइंस द्वारा सोलन जिला के सिरसा और सतलुज नदियों में कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईपीटी) के जरिये कचरा डाला जा रहा है. याचिका में कहा गया है कि बरोटीवाला और नालागढ़ में सीईपीटी भी स्थापित नहीं किया गया है. इन दोनों स्थानों पर कचरा सीधे नदियों में डाला जा रहा है.