कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने अपने राज्यसभा सदस्य और नौकरशाह से नेता बने जवाहर सरकार (tmc censures Jawhar Sircar) की पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती में अनियमितता घोटाले पर उनकी हालिया टिप्पणियों को लेकर आलोचना की है. सरकार को तृणमूल के राज्यसभा सदस्यों के आंतरिक व्हाट्सएप ग्रुप से भी हटा दिया गया है. फिलहाल जवाहर सरकार की तरफ से इस पर कोई टिप्पणी नहीं आई है.
हाल ही में, एक स्थानीय समाचार चैनल से बात करते हुए, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और प्रसार भारती के पूर्व सीईओ सरकार ने कहा था कि वह वास्तव में पूर्व राज्य की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के दो आवासों से बरामद भारी नकदी से स्तब्ध हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि नकदी की बरामदगी को मीडिया में दिखाए जाने के बाद उनके परिवार के सदस्यों, दोस्तों और शुभचिंतकों की ओर से उन पर काफी दबाव था.
सरकार की टिप्पणी के बाद, सौगत रॉय और तापस रॉय जैसे तृणमूल के वरिष्ठ नेताओं ने कहा था कि इस समय उनकी टिप्पणी अनुचित थी और इससे पार्टी नेतृत्व को शर्मिंदगी उठानी पड़ी. रॉय ने यहां तक कह दिया कि अगर सरकार इसे सही समझे तो वह राज्यसभा सदस्य के रूप में इस्तीफा दे सकते हैं और उनके जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इसके तुरंत बाद पार्टी ने वरिष्ठ राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय को इस मामले में सरकार के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया.
उस बातचीत के दौरान, सरकार कथित तौर पर अपने रुख पर अड़े रहे और समझाया कि उनकी टिप्पणी पार्टी के खिलाफ नहीं बल्कि भ्रष्टाचार में राजनेताओं की संलिप्तता के खिलाफ थी. सुखेंदु शेखर रॉय ने कथित तौर पर उनसे मीडिया पर कोई टिप्पणी करने से परहेज करने और पार्टी के भीतर किसी भी मुद्दे को उठाने के लिए कहा. लेकिन अब जब सरकार को तृणमूल के राज्यसभा सदस्यों के आंतरिक व्हाट्सएप ग्रुप से हटा दिया गया है, तो चर्चा चल रही है कि क्या सरकार का तृणमूल कांग्रेस से बाहर होना समय की बात है. हालांकि तृणमूल नेता खबर लिखे जाने तक इस घटनाक्रम पर चुप्पी साधे रहे.
(आईएएनएस)