नई दिल्ली : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महामारी विज्ञान और संचारी रोग विभाग के प्रमुख डॉ. समीरन पांडा का कहना है कि बच्चे महामारी के प्रमुख वाहक नहीं हैं, ऐसे में स्कूल खोलने में झिझक नहीं होनी चाहिए.
एक विशेष साक्षात्कार में 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. समीरन पांडा (Samiran Panda) ने कहा कि स्कूल को फिर से खोलना अब बहुत जरूरी है और इसमें कोई झिझक नहीं होनी चाहिए. महामारी की पहली लहर के दौरान स्कूल बंद करना तर्कसंगत कदम था.
उन्होंने कहा कि स्कूल को फिर से खोलने और बच्चों के संक्रमित होने के बीच कोई प्रासंगिकता नहीं है. दूसरी लहर के बाद जब स्कूल बंद थे तब भी बच्चे संक्रमित हो गए थे.
पांडा का बयान इस तथ्य के बाद और अधिक महत्व रखता है कि कई जिला प्रशासन ने स्कूली बच्चों के माता-पिता के विरोध के बाद स्कूलों को फिर से खोलने का निर्णय नहीं लिया है. दूसरी ओर कई राज्य सरकारें पहले ही एसओपी वाले स्कूलों को फिर से खोल चुकी हैं.
डॉ. पांडा ने कहा, 'चौथे राष्ट्रीय सीरो सर्वेक्षण में यह पाया गया कि स्कूल बंद होने के बावजूद 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे संक्रमित थे. बच्चों में एंटीबॉडी की उपस्थिति थी. इसलिए अगर हम यह सोचते हैं कि स्कूल नहीं खोलने चाहिए, बच्चे स्कूल में संक्रमित हो जाएंगे तो वास्तव में बच्चे बिना स्कूल गए भी तो संक्रमित हो जाते हैं.' उन्होंने कहा कि देश की प्राथमिकता स्कूलों को फिर से खोलना और माता-पिता, स्कूल शिक्षक और सहयोगी स्टाफ को उनका टीकाकरण कराना चाहिए.
कोविड-19 के टीकों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों भारतीय टीके सुरक्षित हैं. डॉ. पांडा ने स्पष्ट किया कि भारत में अब SARS-CoV-2 भिन्नता नहीं पाई गई है. डॉ. पांडा ने कहा कि विभिन्न राज्यों में महामारी की प्रगति अलग है. उन्होंने कहा, निर्णय लेने और प्रतिबंधात्मक उपायों के संदर्भ में स्थानीय स्तर की कार्रवाइयों के लिए स्थानीय डेटा की जांच की जानी चाहिए.
संभावित तीसरी लहर पर ये बोले
किसी भी संभावित तीसरी लहर के बारे में पूछे जाने पर डॉ. पांडा ने कहा कि अधिकांश राज्यों ने गंभीर दूसरी लहर देखी, स्थिति बदतर नहीं हो सकती है क्योंकि बहुत से लोग पहले ही संक्रमित हो चुके हैं और प्रतिरक्षा प्राप्त कर चुके हैं. जोखिम उन राज्यों के लिए बना रहता है जिन्होंने देखा था गंभीर दूसरी लहर और उनके टीकाकरण में तेजी नहीं आई.
उन्होंने कहा कि चल रहे त्योहारी सीजन और जनसंख्या घनत्व के कारण कोविड के मामलों में वृद्धि हो सकती है, जो चिंता का कारण है. साथ ही उन्होंने कोविड के मामले में विशेष निगरानी और सतर्कता बरतने पर जोर दिया.
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