शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की जीडीपी में पर्यटन सेक्टर का योगदान सात प्रतिशत के करीब है. कर्ज में डूबे हिमाचल प्रदेश को पर्यटन सेक्टर सहारा दे सकता है और टूरिज्म को हवाई सेवा विस्तार का आसरा मिल जाए तो सोने पर सुहागा संभव है. हिमाचल में कल यानी गुरूवार को अमृतसर से शिमला हवाई सेवा के तहत पहली उड़ान भरी जाएगी. यदि हिमाचल में बड़ी हवाई पट्टियां तैयार हो जाएं तो पर्यटन सेक्टर को नई उड़ान मिल सकती है. यही नहीं, हिमाचल सरकार ने जो सालाना पांच करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य तय किया है, वो भी आसानी से पूरा हो सकता है.
उदाहरण के लिए यदि शिमला से दिल्ली के बीच नियमित उड़ान हो तो अकेले साल भर में दिल्ली से शिमला नौ लाख सैलानी आएंगे. इसी तरह पूरे हिमाचल में ये आंकड़ा पचास लाख के करीब संभव है, लेकिन इसके लिए शिमला, कांगड़ा, मंडी आदि में बड़े हवाई अड्डे होना जरूरी है. बड़ी बात ये है कि दिल्ली से शिमला की यात्रा बस के जरिए आठ घंटे में पूरी होती है. यदि जाम लग गए तो ये यात्रा और भी लंबी हो जाती है. वहीं, हवाई मार्ग की बात करें तो दिल्ली से शिमला की उड़ान महज 55 मिनट का समय लेती है. तेजी से भागते समय में सैलानी आठ घंटे का बस का सफर तय करने से परहेज करते हैं. पहाड़ी राज्य होने के कारण हिमाचल में रेल यात्रा की सुविधा भी सीमित है. ऐसे में राज्य में हवाई सेवा के विस्तार की जरूरत है.
इंटर स्टेट और इंट्रा स्टेट हवाई सेवा जरूरी: हिमाचल में पर्यटन की बेहतरी के लिए इंटरस्टेट और इंट्रास्टेट हवाई सेवाएं जरूरी हैं. उदाहरण के लिए यदि देशी और विदेशी सैलानी दिल्ली से शिमला हवाई मार्ग के जरिए आते हैं तो उनके समय की बचत होती है. हिमाचल आकर यदि वे शिमला से मनाली जाना चाहते हैं तो यहां भी हवाई सेवा समय की बचत करेगी. गुरूवार से शुरू हो रही अमृतसर शिमला हवाई सेवा भी इसमें योगदान देगी. अमृतसर में अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कनेक्टेड फ्लाइट्स आती हैं. वहां से देश और विदेश के सैलानी शिमला पहुंच सकते हैं. इसी तरह शिमला से कुल्लू और शिमला से धर्मशाला के लिए हवाई सेवा भी आरंभ होने के आसार हैं. इसके लिए सरकारी एयरलाइन अलाइज एयरलाइन से करार की संभावना है.
शिमला में जुब्बड़ हट्टी हवाई पट्टी का विस्तार: शिमला में जुब्बड़ हट्टी एयरपोर्ट पर 72 सीटर विमान उतारने की तैयारी है. इसके लिए रनवे की लंबाई को 1500 मीटर किया जाना है. अभी यहां एटीआर 42 हवाई जहाज उतर रहा है. इसमें 34 सवारियां सफर करती हैं. शिमला का जुब्बड़ हट्टी हवाई अड्डा कई कारणों से चर्चित रहा है. यहां एक दशक पहले हवाई पट्टी धंस गई थी. दो साल से भी अधिक समय तक यहां हवाई उड़ानें बंद रही थीं. एक नागरिक ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर न्यायालय से गुहार लगाई थी कि राज्य और केंद्र सरकारों को जुब्बड़ हट्टी में फिर से हवाई सेवा शुरू करने के लिए आदेश जारी किए जाएं.
वर्ष 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी ने शिमला के इसी हवाई अड्डे से सस्ती हवाई सेवा उड़ान का शुभारंभ किया था, लेकिन उड़ान योजना अधिक सफल नहीं हो पाई. कारण ये था कि हवाई पट्टी का विस्तार किया जाना था और फिर सवारियां भी पूरी नहीं हो रही थीं. हवाई सेवा देने वाली कंपनियां 11 करोड़ रुपये का वाइबल गैप फंडिंग का मसला पहले सुलझाने की बात कह रही थी. इस पर सहमति नहीं हो पाई. बाद में तो जुब्बड़ हट्टी हवाई पट्टी का विस्तार शुरू हो गया. अब इसे 1200 मीटर और फिर 1500 मीटर तक किया जा रहा है.
मंडी में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का ड्रीम प्रोजेक्ट भी लटका: पूर्व की जयराम ठाकुर सरकार के समय मंडी में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. ये जयराम सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट था. इसके लिए जयराम ठाकुर ने वित्तायोग से 1000 करोड़ रुपये मंजूर भी करवा लिए थे, लेकिन अभी ये प्रोजेक्ट कुछ-कुछ खटाई में पड़ा हुआ है. हालांकि मौजूदा सरकार ने इसे आगे बढ़ाने के संकेत दिए हुए हैं. उल्लेखनीय है कि पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने 4 अक्टूबर 2018 को पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान बताया था कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने मंडी जिला के नागचला में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के निर्माण को लेकर सर्वे किया है. इसमें 3479 बीघा जमीन को एयरपोर्ट निर्माण के लिए तथा बड़े हवाई जहाजों के उतरने को लेकर उपयुक्त पाया गया है. प्रोजेक्ट के पहले चरण में 2400 मीटर रनवे बनाया जाना प्रस्तावित है. इस पर ढाई हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. मंडी में प्रस्तावित इस एयरपोर्ट को इंटरनेशनल मानकों के अनुरूप बनाया जाना है. यहां की हवाई पट्टी की लंबाई भी 3 किलोमीटर से ज्यादा होगी. परियोजना में भूमि अधिग्रहण की लागत ही करीब 2000 करोड़ रुपये आंकी जा रही है. संपूर्ण परियोजना की लागत का अनुमान 4000 करोड़ रुपये लगाया जा रहा है. देखना है कि सुखविंदर सिंह सरकार इस परियोजना को कैसे आगे बढ़ाती है.
अमृतसर शिमला हवाई सेवा पर टिकी नजरें: अब हिमाचल सरकार की नजरें अमृतसर से शिमला हवाई सेवा की सफलता पर टिकी हैं. यदि ये रूट सफल रहता है तो कुल्लू से अमृतसर रूट भी शुरू किया जाएगा. शिमला से अमृतसर का किराया महज 1999 रुपए है. हिमाचल सरकार के पूर्व वित्त सचिव के आर भारती का कहना है कि राज्य की आर्थिकी में पर्यटन सेक्टर का योगदान महत्वपूर्ण है. नए पर्यटन स्थल विकसित कर हिमाचल के लिए हवाई सेवा का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए. मंडी और कांगड़ा में एयरपोर्ट का विस्तार समय की मांग है. इसके लिए जनता का समर्थन भी हासिल करना चाहिए. जनता की राय को भी अधिमान दिया जाना चाहिए. पर्यटन कारोबारी सुंदर प्रकाश का कहना है कि हवाई सेवाएं इस जमाने की जरूरत है. पर्यटक अब पैसे की बजाए समय की बचत पर फोकस करता है. पहाड़ी राज्य में हवाई सेवाओं के विस्तार की संभावना तलाशनी चाहिए. सड़क मार्ग के अपने लाभ हैं, लेकिन पर्यटन के लिए हवाई सेवा अधिक प्रभावी है.
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