ETV Bharat / bharat

लड़की ने CJI को लिखी चिट्ठी, कहा-स्कूल खुल सकते हैं तो अदालतें क्यों नहीं, PIL मंजूर - सीजेआई एनवी रमना

एक लड़की ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखा है, जिसमें उसने कहा है कि जब स्कूल खुल सकते हैं तो अदालतों में भी नियमित कामकाज क्यों शुरू नहीं हो सकता. सीजेआई ने इसे जनहित याचिका के तौर पर माना है. अब सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई होगी.

सीजेआई एनवी रमना
सीजेआई एनवी रमना
author img

By

Published : Sep 4, 2021, 8:21 PM IST

Updated : Sep 4, 2021, 8:51 PM IST

नई दिल्ली : कोविड-19 के चलते स्कूल की पढ़ाई से लेकर दफ्तरों की मीटिंग और कोर्ट की कार्यवाही तक इन दिनों वर्चअल तरीके से चल रही हैं. लेकिन कुछ राज्यों में स्कूल खोल दिए गए हैं और बच्चे स्कूल भी जा रहे हैं. इसी संबंध में एक जनहित याचिका मंजूर हुई है. दरअसल ये याचिका एक लड़की की उस चिट्ठी के आधार पर है जो उसने भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के नाम लिखी थी. लड़की ने चिट्ठी में कहा था कि जब स्कूल खुल सकते हैं तो अदालतें क्यों नहीं.

यह बात सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस विनीत सरन ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा सीजेआई के सम्मान में आयोजित एक समारोह के दौरान बताई. जस्टिस विनीत सारन ने कहा 'एक लड़की ने सीजेआई को पत्र लिखा कि जब स्कूल खुल गए हैं तो अदालतें क्यों नहीं. सीजेआई ने इसे जनहित याचिका के रूप में नोट किया, इस पर जल्द सुनवाई होगी.' दरअसल कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते देश के न्यायालय वीडियों कॉन्फ्रेंस के माध्यम से काम कर रहे हैं. जबकि कई उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट ने भी सीमित सुनवाई फिर से शुरू कर दी है. लेकिन ज्यादातर मामलों की सुनवाई वर्चुअल माध्यम से हो रही है.

सुप्रीम कोर्ट में ज्यादातर मामलों की सुनवाई वर्चुअल माध्यम से ही हो रही हैं. ज्यादातर वकील कोरोना संक्रमण के इस दौर में वर्चुअल माध्यम को ही अपनाना बेहतर समझ रहे हैं.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में एक सितंबर से सीमित शारीरिक सुनवाई शुरू हुई है. इससे पहले 28 अगस्त को एक एसओपी जारी किया गया जिसमें स्पष्ट किया गया है कि अदालत सोमवार और शुक्रवार को डिजिटल माध्यम से विविध मामलों की सुनवाई करती रहेंगी.

पढ़ें- SC ने एक सितंबर से कुछ मामलों की प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू करने के लिए जारी किया SOP

आपको बता दें कि एसओपी में कहा गया है कि मास्क पहनना, सैनिटाइजर का बार-बार इस्तेमाल और अदालत कक्ष सहित उच्चतम न्यायालय परिसर में सभी आगंतुकों के लिए सामाजिक दूरी के मानदंडों को बनाए रखना अनिवार्य होगा और एक बार वादी और वकील प्रत्यक्ष रूप से सुनवाई का विकल्प चुनते हैं तो संबंधित पक्ष को वीडियो / टेली-कॉन्फ्रेंस मोड के माध्यम से सुनवाई की सुविधा नहीं होगी.

पढ़ें- जानिए चीफ जस्टिस ने क्यों कहा, न्यायाधीशों के बारे में गलत धारणाओं को खत्म करना जरूरी

नई दिल्ली : कोविड-19 के चलते स्कूल की पढ़ाई से लेकर दफ्तरों की मीटिंग और कोर्ट की कार्यवाही तक इन दिनों वर्चअल तरीके से चल रही हैं. लेकिन कुछ राज्यों में स्कूल खोल दिए गए हैं और बच्चे स्कूल भी जा रहे हैं. इसी संबंध में एक जनहित याचिका मंजूर हुई है. दरअसल ये याचिका एक लड़की की उस चिट्ठी के आधार पर है जो उसने भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के नाम लिखी थी. लड़की ने चिट्ठी में कहा था कि जब स्कूल खुल सकते हैं तो अदालतें क्यों नहीं.

यह बात सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस विनीत सरन ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा सीजेआई के सम्मान में आयोजित एक समारोह के दौरान बताई. जस्टिस विनीत सारन ने कहा 'एक लड़की ने सीजेआई को पत्र लिखा कि जब स्कूल खुल गए हैं तो अदालतें क्यों नहीं. सीजेआई ने इसे जनहित याचिका के रूप में नोट किया, इस पर जल्द सुनवाई होगी.' दरअसल कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते देश के न्यायालय वीडियों कॉन्फ्रेंस के माध्यम से काम कर रहे हैं. जबकि कई उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट ने भी सीमित सुनवाई फिर से शुरू कर दी है. लेकिन ज्यादातर मामलों की सुनवाई वर्चुअल माध्यम से हो रही है.

सुप्रीम कोर्ट में ज्यादातर मामलों की सुनवाई वर्चुअल माध्यम से ही हो रही हैं. ज्यादातर वकील कोरोना संक्रमण के इस दौर में वर्चुअल माध्यम को ही अपनाना बेहतर समझ रहे हैं.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में एक सितंबर से सीमित शारीरिक सुनवाई शुरू हुई है. इससे पहले 28 अगस्त को एक एसओपी जारी किया गया जिसमें स्पष्ट किया गया है कि अदालत सोमवार और शुक्रवार को डिजिटल माध्यम से विविध मामलों की सुनवाई करती रहेंगी.

पढ़ें- SC ने एक सितंबर से कुछ मामलों की प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू करने के लिए जारी किया SOP

आपको बता दें कि एसओपी में कहा गया है कि मास्क पहनना, सैनिटाइजर का बार-बार इस्तेमाल और अदालत कक्ष सहित उच्चतम न्यायालय परिसर में सभी आगंतुकों के लिए सामाजिक दूरी के मानदंडों को बनाए रखना अनिवार्य होगा और एक बार वादी और वकील प्रत्यक्ष रूप से सुनवाई का विकल्प चुनते हैं तो संबंधित पक्ष को वीडियो / टेली-कॉन्फ्रेंस मोड के माध्यम से सुनवाई की सुविधा नहीं होगी.

पढ़ें- जानिए चीफ जस्टिस ने क्यों कहा, न्यायाधीशों के बारे में गलत धारणाओं को खत्म करना जरूरी

Last Updated : Sep 4, 2021, 8:51 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.