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सावन शिवरात्रि होती है विशेष, जानें शिव पूजा मुहूर्त और महत्व

भगवान शिव के प्रिय मास सावन का प्रारंभ 25 जुलाई दिन रविवार से हो चुका है. सावन का हर दिन भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम और श्रेष्ठ होता है. आप हर दिन विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं. सावन माह में सावन सोमवार व्रत हो या फिर मंगला गौरी व्रत दोनों ही शिव और शक्ति का आशीष प्राप्त करने का साधन है.

सावन शिवरात्रि होती है विशेष
सावन शिवरात्रि होती है विशेष
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Published : Aug 6, 2021, 12:34 AM IST

पटना : भगवान शिव के प्रिय मास सावन का प्रारम्भ 25 जुलाई दिन रविवार से हो चुका है. सावन का प्रतिदिन भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए उत्तम और श्रेष्ठ होता है. आप सावन माह के प्रत्येक दिन भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती व शिव परिवार की पूजा, विधि विधान से करके उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं. हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाता है. सावन के माह में पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. सावन माह की शिवरात्रि 6 अगस्त को है. इस दिन विधि-विधान से भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

सावन मास की शिवरात्रि है खास

आचार्य कमल दूबे ने बताया कि सोमवार व्रत व मंगला गौरी व्रत सावन माह में विधी पूर्वक पूजा अर्चना करके भगवान भोलेनाथ और माता गौरी की कृपा पात्र बन सकते हैं. लेकिन किसी कारण से आप इन व्रतों को नहीं कर पाते हैं तो निराश न हो, आप सावन मास की शिवरात्रि का व्रत कर प्रभु की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं.

जानें शिव पूजा मुहूर्त और महत्व

सावन माह के चतुर्दशी तिथि का प्रारम्भ 6 अगस्त दिन शुक्रवार को शाम 06 बजकर 28 मिनट पर हो रहा है. इसका समापन अगले दिन 7 अगस्त दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 11 मिनट पर होगा. शिवरात्रि में रात्रि पूजा का महत्व होता है. इसलिए सावन माह की शिवरात्रि 06 अगस्त को मनाई जाएगी.

रात्रि प्रहर में पूजा के मुहूर्त

आचार्य कमल दूबे ने बताया कि इसवर्ष शिवरात्रि को निशिता काल पूजा का समय रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से रात्रि 12 बजकर 48 मिनट तक लगभग 43 मिनट तक रहेगा. इसके अतिरिक्त रात्रि प्रहर में और भी मुहूर्त हैं, जो इस प्रकार है.

  • शाम को 7 बजकर 08 मिनट से रात 09 बजकर 48 मिनट तक
  • रात 9 बजकर 48 मिनट से रात 12 बजकर 27 मिनट तक
  • रात 12 बजकर 27 मिनट से सुबह 03 नजकर 06 मिनट तक
  • सुबह (तड़के) 03 बजकर 06 मिनट से प्रात: 05 वजकर 46 मिनट तक
    सावन शिवरात्रि होती है विशेष
    सावन शिवरात्रि होती है विशेष

जो शिव भक्त शिवरात्रि का व्रत रखेंगे वे पारण अगले दिन करेंगे. व्रत 6 अगस्त को रखा जायेगा और पारण 7 अगस्त को प्रात: 05 बजकर 46 मिनट से दोपहर 03 बजकर 47 मिनट के मध्य कभी कर सकते हैं.

ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

भगवान भोलेनाथ की पूजा 6 अगस्त शाम से प्रारम्भ करनी चाहिए और रात्रि के चारों प्रहर में अलग-अलग चार बार शिव परिवार की पूजा व भोलेबाबा का अभिषेक करना चाहिए. भोले बाबा को पंचामृत स्नान, दुग्ध स्नान, शहद स्नान, घृत स्नान, जल स्नान कराके बिल्वपत्र, भांग, धतूर, सफेद, पुष्प, फल, मिठाई इत्यादि को समर्पित करके बाबा से प्रार्थना करनी चाहिए कि आप और आपके परिवार की कृपा हमारे ऊपर बनी रहे और जीवन में धन-धान्य सुख समृद्धि, पुत्र-पौत्र इत्यादि की सम्पन्नता प्राप्त होती रहे.

पढ़ेंः सावन का पहला प्रदोष व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

पटना : भगवान शिव के प्रिय मास सावन का प्रारम्भ 25 जुलाई दिन रविवार से हो चुका है. सावन का प्रतिदिन भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए उत्तम और श्रेष्ठ होता है. आप सावन माह के प्रत्येक दिन भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती व शिव परिवार की पूजा, विधि विधान से करके उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं. हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाता है. सावन के माह में पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. सावन माह की शिवरात्रि 6 अगस्त को है. इस दिन विधि-विधान से भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

सावन मास की शिवरात्रि है खास

आचार्य कमल दूबे ने बताया कि सोमवार व्रत व मंगला गौरी व्रत सावन माह में विधी पूर्वक पूजा अर्चना करके भगवान भोलेनाथ और माता गौरी की कृपा पात्र बन सकते हैं. लेकिन किसी कारण से आप इन व्रतों को नहीं कर पाते हैं तो निराश न हो, आप सावन मास की शिवरात्रि का व्रत कर प्रभु की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं.

जानें शिव पूजा मुहूर्त और महत्व

सावन माह के चतुर्दशी तिथि का प्रारम्भ 6 अगस्त दिन शुक्रवार को शाम 06 बजकर 28 मिनट पर हो रहा है. इसका समापन अगले दिन 7 अगस्त दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 11 मिनट पर होगा. शिवरात्रि में रात्रि पूजा का महत्व होता है. इसलिए सावन माह की शिवरात्रि 06 अगस्त को मनाई जाएगी.

रात्रि प्रहर में पूजा के मुहूर्त

आचार्य कमल दूबे ने बताया कि इसवर्ष शिवरात्रि को निशिता काल पूजा का समय रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से रात्रि 12 बजकर 48 मिनट तक लगभग 43 मिनट तक रहेगा. इसके अतिरिक्त रात्रि प्रहर में और भी मुहूर्त हैं, जो इस प्रकार है.

  • शाम को 7 बजकर 08 मिनट से रात 09 बजकर 48 मिनट तक
  • रात 9 बजकर 48 मिनट से रात 12 बजकर 27 मिनट तक
  • रात 12 बजकर 27 मिनट से सुबह 03 नजकर 06 मिनट तक
  • सुबह (तड़के) 03 बजकर 06 मिनट से प्रात: 05 वजकर 46 मिनट तक
    सावन शिवरात्रि होती है विशेष
    सावन शिवरात्रि होती है विशेष

जो शिव भक्त शिवरात्रि का व्रत रखेंगे वे पारण अगले दिन करेंगे. व्रत 6 अगस्त को रखा जायेगा और पारण 7 अगस्त को प्रात: 05 बजकर 46 मिनट से दोपहर 03 बजकर 47 मिनट के मध्य कभी कर सकते हैं.

ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

भगवान भोलेनाथ की पूजा 6 अगस्त शाम से प्रारम्भ करनी चाहिए और रात्रि के चारों प्रहर में अलग-अलग चार बार शिव परिवार की पूजा व भोलेबाबा का अभिषेक करना चाहिए. भोले बाबा को पंचामृत स्नान, दुग्ध स्नान, शहद स्नान, घृत स्नान, जल स्नान कराके बिल्वपत्र, भांग, धतूर, सफेद, पुष्प, फल, मिठाई इत्यादि को समर्पित करके बाबा से प्रार्थना करनी चाहिए कि आप और आपके परिवार की कृपा हमारे ऊपर बनी रहे और जीवन में धन-धान्य सुख समृद्धि, पुत्र-पौत्र इत्यादि की सम्पन्नता प्राप्त होती रहे.

पढ़ेंः सावन का पहला प्रदोष व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

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