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रूसी खुफिया एजेंसी के बॉस सर्गेई नारिश्किन के दावे ने चौंकाया, बोले चीन-भारत के साथ होती है त्रिपक्षीय वार्ता

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Published : Dec 17, 2021, 2:21 PM IST

रूसी विदेशी खुफिया एजेंसी एसवीआर (SVR) के प्रमुख सर्गेई नारिश्किन ने चीन की जासूसी संस्था एमएसएस और भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ से रिश्तों के बारे में दावा कर विश्व को चौंका दिया है.

SVR boss Sergei Naryshkin
SVR boss Sergei Naryshkin

नई दिल्ली : रूसी विदेशी खुफिया एजेंसी एसवीआर के प्रमुख सर्गेई नारिश्किन (Sergey Naryshkin ) ने कहा कि चीनी और भारतीय समकक्षों के साथ उनके संबंधों का 'खास मूल्य' है. खुफिया एजेंसी एसवीआर के 101 साल पूरे होने पर सरकारी मीडिया को दिए इंटरव्यू में सर्गेई नारिश्किन ने दावा किया कि उन्होंने चीनी और भारतीय खुफिया एजेंसियों के साथ त्रिपक्षीय बैठक की और इन दोनों देशों के साथ बातचीत का एक 'खास मूल्य' है.

उन्होंने त्रिपक्षीय बैठक प्रारूप को उन्होंने आरआईसी (RIC) मंच करार दिया. रूसी खुफिया प्रमुख का कहना है कि पश्चिमी देशों के अधिपत्य को संतुलित करने के लिए रूस-भारत-चीन ने आरआईसी प्लेटफॉर्म की शुरूआत की है. RIC के विदेश मंत्री समय-समय पर बैठकें भी करते हैं.

बता दें कि रूसी खुफिया प्रमुख का यह चौंकाने वाला बयान ऐसे समय में आया है, जब पिछले कुछ वर्षों में भारत को अमेरिका के करीबी होने के रूप में देखा जाता है. इसके अलावा चीन के साथ उसके रिश्ते भी सामान्य नहीं है. बॉर्डर पर एशिया के दो दिग्गजों चीन और भारत ने भारी सैन्य उपकरणों के अलावा 1,00,000 से अधिक सैनिकों को तैनात कर रखा है.

अपने इंटरव्यू में एसवीआर के प्रमुख सर्गेई नारिश्किन ने अमेरिकी जासूसी एजेंसी सीआईए को भी एक साझेदार बताया. साथ ही दावा किया कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए रूसी खुफिया एजेंसी सामयिक मुद्दों पर सीआईए से जानकारी साझा करती है.

नारीश्किन ने सीआईए के निदेशक विलियम जे. बर्न्स के साथ हाल ही में हुई एक बैठक के बारे बताया, जहां उन्होंने "साझेदारी के आम तौर पर स्वीकृत सिद्धांतों के आधार पर पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग" की बात की. उनका कहना है कि रूसी खुफिया एजेंसी एसवीआर का सीआईएस और एससीओ देशों की खुफिया संरचनाओं के साथ भी निकटतम संबंध हैं.

एसवीआर प्रमुख ने कहा कि आज के कठिन दौर में वैश्विक बुराई जैसे आतंकवाद, ड्रग तस्करी, साइबर क्राइम और अवैध प्रवास से मुकाबला करना पड़ रहा है. इन चुनौतियो से निपटने के लिए हम अपने विदेशी पार्टनर से बातचीत करते रहते हैं.

बता दें कि SVR-RF (Sluzhba vneshney razvedki Rossiyskoy Federatsii) रूस की विदेशी खुफिया एजेंसी है. 1920 में केजीबी की स्थापना की गई थी मगर दिसंबर 1991 में यह एसवीआर-आरएफ में तब्दील हो गया. एसवीआर रूस के बाहर खुफिया और जासूसी गतिविधियों को संभालता है. इसके अलावा वह आतंकवाद विरोधी और विदेशी जासूसी एजेंसियों के साथ खुफिया सूचनाओं की निगरानी भी करता है. खुफिया सूचनाओं के विश्लेषण के बाद एसवीआर ( SVR) अपने निष्कर्षों और टिप्पणियों की सूचना रूसी राष्ट्रपति को देता है.

दुनिया में एसवीआर और सीआईए टॉप की खुफिया एजेंसी मानी जाती है. अपनी बातचीत के दौरान सर्गेई नारिश्किन ने इस सूची में शामिल तीसरी जासूसी एजेंसी के बारे में बताने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि वह किसी को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या आज भी केजीबी के जासूस पश्चिमी देशों में मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में राजनीतिक क्रूरता, धार्मिक मूल्यों पर हमले और परिवार का जानबूझकर पतन जैसी स्थिति के बौद्धिक अभिजात वर्ग के प्रतिनिधियों को रूस के साथ रिश्ते बनाने को मजबूर करती है.

नई दिल्ली : रूसी विदेशी खुफिया एजेंसी एसवीआर के प्रमुख सर्गेई नारिश्किन (Sergey Naryshkin ) ने कहा कि चीनी और भारतीय समकक्षों के साथ उनके संबंधों का 'खास मूल्य' है. खुफिया एजेंसी एसवीआर के 101 साल पूरे होने पर सरकारी मीडिया को दिए इंटरव्यू में सर्गेई नारिश्किन ने दावा किया कि उन्होंने चीनी और भारतीय खुफिया एजेंसियों के साथ त्रिपक्षीय बैठक की और इन दोनों देशों के साथ बातचीत का एक 'खास मूल्य' है.

उन्होंने त्रिपक्षीय बैठक प्रारूप को उन्होंने आरआईसी (RIC) मंच करार दिया. रूसी खुफिया प्रमुख का कहना है कि पश्चिमी देशों के अधिपत्य को संतुलित करने के लिए रूस-भारत-चीन ने आरआईसी प्लेटफॉर्म की शुरूआत की है. RIC के विदेश मंत्री समय-समय पर बैठकें भी करते हैं.

बता दें कि रूसी खुफिया प्रमुख का यह चौंकाने वाला बयान ऐसे समय में आया है, जब पिछले कुछ वर्षों में भारत को अमेरिका के करीबी होने के रूप में देखा जाता है. इसके अलावा चीन के साथ उसके रिश्ते भी सामान्य नहीं है. बॉर्डर पर एशिया के दो दिग्गजों चीन और भारत ने भारी सैन्य उपकरणों के अलावा 1,00,000 से अधिक सैनिकों को तैनात कर रखा है.

अपने इंटरव्यू में एसवीआर के प्रमुख सर्गेई नारिश्किन ने अमेरिकी जासूसी एजेंसी सीआईए को भी एक साझेदार बताया. साथ ही दावा किया कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए रूसी खुफिया एजेंसी सामयिक मुद्दों पर सीआईए से जानकारी साझा करती है.

नारीश्किन ने सीआईए के निदेशक विलियम जे. बर्न्स के साथ हाल ही में हुई एक बैठक के बारे बताया, जहां उन्होंने "साझेदारी के आम तौर पर स्वीकृत सिद्धांतों के आधार पर पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग" की बात की. उनका कहना है कि रूसी खुफिया एजेंसी एसवीआर का सीआईएस और एससीओ देशों की खुफिया संरचनाओं के साथ भी निकटतम संबंध हैं.

एसवीआर प्रमुख ने कहा कि आज के कठिन दौर में वैश्विक बुराई जैसे आतंकवाद, ड्रग तस्करी, साइबर क्राइम और अवैध प्रवास से मुकाबला करना पड़ रहा है. इन चुनौतियो से निपटने के लिए हम अपने विदेशी पार्टनर से बातचीत करते रहते हैं.

बता दें कि SVR-RF (Sluzhba vneshney razvedki Rossiyskoy Federatsii) रूस की विदेशी खुफिया एजेंसी है. 1920 में केजीबी की स्थापना की गई थी मगर दिसंबर 1991 में यह एसवीआर-आरएफ में तब्दील हो गया. एसवीआर रूस के बाहर खुफिया और जासूसी गतिविधियों को संभालता है. इसके अलावा वह आतंकवाद विरोधी और विदेशी जासूसी एजेंसियों के साथ खुफिया सूचनाओं की निगरानी भी करता है. खुफिया सूचनाओं के विश्लेषण के बाद एसवीआर ( SVR) अपने निष्कर्षों और टिप्पणियों की सूचना रूसी राष्ट्रपति को देता है.

दुनिया में एसवीआर और सीआईए टॉप की खुफिया एजेंसी मानी जाती है. अपनी बातचीत के दौरान सर्गेई नारिश्किन ने इस सूची में शामिल तीसरी जासूसी एजेंसी के बारे में बताने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि वह किसी को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या आज भी केजीबी के जासूस पश्चिमी देशों में मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में राजनीतिक क्रूरता, धार्मिक मूल्यों पर हमले और परिवार का जानबूझकर पतन जैसी स्थिति के बौद्धिक अभिजात वर्ग के प्रतिनिधियों को रूस के साथ रिश्ते बनाने को मजबूर करती है.

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