हैदराबाद : भारत में एक ओर फेस्टिव सीजन शुरू हो चुका है, वहीं विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां भी बढ़ गई है. ये दोनों हालात आतंकी हमलों के लिए मुफीद हैं. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ऐसे हमलों के लिए फिर से अंडरवर्ल्ड से हाथ मिलाया है. इसके अलावा अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद आईएसआई ने लश्कर, जेईएम और अल बद्र के आतंकियों को नया ग्रुप तैयार किया था. सूत्रों के अनुसार, जुलाई से ही 200 आतंकियों को भारत में भेजने की तैयारी की जा रही थी. पाकिस्तानी सेना जम्मू कश्मीर में अफगान और पश्तून आतंकियों के जरिए आतंकी हमले की फिराक में हैं.
पाकिस्तान की इस नापाक साजिश का खुलासा मंगलवार को उस समय हुआ, जब महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तरप्रदेश से कुल 6 आतंकी पकड़े गए. दिल्ली के डीसीपी (स्पेशल सेल) प्रमोद कुमार कुशवाहा के अनुसार, स्पेशल सेल ने पाक समर्थित आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है. दो आतंकियों ओसामा और जीशान कमर ने पाकिस्तान में ट्रेनिंग ली थी. बाकी चारों आतंकियों के नाम मोहम्मद अबु बकर, जान मोहम्मद शेख, मोहम्मद अमीर जावेद और मूलचंद लाला हैं.
दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर नीरज ठाकुर के अनुसार, ओसामा और जीशान कमर अप्रैल में मस्कट गए थे. उन्हें मस्कट से समंदर के रास्ते पाकिस्तान ले जाया गया, जहां उन्हें एक फार्म हाउस में विस्फोटक बनाने और AK-47 चलाने की 15 दिन की ट्रेनिंग दी गई. इन आतंकियों का मकसद नवरात्रि और रामलीला के दौरान भीड़ भरे इलाके IED ब्लास्ट करना था.
दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर के अनुसार आईएसआई ने दाऊद इब्राहिम के गैंग के साथ मिलकर हमलों की प्लानिंग की थी. पकड़े गए आतंकियों को 2 टीमों में बांटा गया था. दाऊद के भाई अनीस इब्राहिम एक टीम को सपोर्ट सिस्टम दे रहा था. अंडरवर्ल्ड को हथियारों और विस्फोटकों को आतंकियों के तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी. इसके अलावा हवाला चैनल के जरिये पैसे उपलब्ध कराने का जिम्मा भी अनीस इब्राहिम को सौंपा गया था. दूसरी टीम को आईएसआई कंट्रोल कर रहा था. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को तय करना था कि भारत में हमले किन जगहों पर किए जाएंगे.
ऐसा पहली बार नहीं हैं किसी हमले में आईएसआई और पाकिस्तान के टेरर मॉड्यूल सामने आया है. भारत में होने वाले सभी आतंकी हमले पाकिस्तान प्रायोजित टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन की ही कारस्तानी है. पाकिस्तान में ऐसे 32 समूह हैं, जिसे भारत सरकार ने आतंकी संगठन की कैटिगरी में डाल रखा है. जैश-ए- मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर ए तैयबा, जमात उल मुजाहिदीन ने खुलेआम हमलों की जिम्मेदारी ली. जब आतंकी संगठनों पर सवाल उठे तो इनका नाम भी बदल दिया गया.
पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान ने नया पैंतरा अपनाया. आतंकियों को टीआरएफ (The resistance front) का बैनर दिया गया. टीआरएफ में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी शामिल किए गए. टीआरएफ ने ही हंदवाड़ा एनकाउंटर की जिम्मेदारी ली थी. अमेरिका के एक शीर्ष थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट ने चेतावनी दी है कि आईएसआई की शह पर पाकिस्तान स्थित इस्लामी आतंकवादी संगठनों की तरह खालिस्तानी संगठन नए नामों के साथ सामने आ सकते हैं. खालिस्तानी आतंकियों को आईएसआई पालपोस रहा है.
हिजबुल मुजाहिदीन : हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन की स्थापना 1989 में कश्मीरी अलगाववादी मुहम्मद एहसान डार ने इसकी स्थापना की थी. बता दें कि इस आतंकवादी संगठन का हेड सैय्यद सलाउद्दीन है, जो पाकिस्तान से बैठकर इस संगठन को चला रहा है. आईएसआई इसकी फंडिग करती है. यह सेना को टारगेट करता है. इसके आतंकी जर्मन बेकरी, चिन्नास्वामी स्टेडियम, जामा मस्जिद और मुंबई हमले में शामिल थे. सैय्यद सलाउद्दीन ने वेपन मैनेजमेंट और फंडिंग के लिए यह आतंकी संगठन मुत्तेहदा जिहाद काउंसिल नाम के अलग संगठन बना रखा है.
जैश ए मोहम्मद : मौलाना मसूद अज़हर ने फ़रवरी 2000 में जैश-ए-मोहम्मद की नींव रखी और उसके बाद से संसद पर हमले समेत भारत में कई आतंकी हमले को अंजाम दिया. जनवरी 2002 के बाद जैश-ए-मुहम्मद ने अपना नाम बदलकर 'खुद्दाम उल-इस्लाम' कर दिया. आतंकी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन और हरकत उल अंसार इसी का हिस्सा है. हाल में ही जैश-ए-मोहम्मद का नाम फिर बदले जाने की खबर आई. बताया जाता है कि अब यह मजलिस-वुरासा-ए-शाहुदा जम्मू वा कश्मीर हो गया है. इसकी कमान मसूद अजहर का भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर संभाल रहा है.
लश्कर-ए-तैयबा : लश्कर ए तैयबा पाकिस्तान के लाहौर के पास मुरीदके और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर चलाता है. जैश ए मोहम्मद के साथ मिलकर इस संगठन ने भारत में कई बड़े आतंकी हमले किए हैं. लाहौर विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हाफिज सईद ने 1980 के दशक के अंत में इसकी स्थापना की थी. 2005 के बाद यह संगठन नए नाम जमात-उद-दावा से सक्रिय हो गया है. लश्कर-ए-तैयबा वर्ष 2000 में दिल्ली के लाल किले पर हमले में भी शामिल था. 2001 में श्रीनगर हवाई अड्डे पर आतंकवादी हमले और अप्रैल 2001 में सीमा सुरक्षाबल के जवानों की हत्या के लिए इसे जिम्मेदार माना गया.मुंबई में 2008 के हमलों में भी इसका नाम आया था.
अल बद्र : पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी संगठन अल बद्र के आतंकी खैबर पख्तूनख्वा में ट्रेनिंग लेते हैं. खैबर पख्तूनख्वा वही जगह है, जहां भारतीय वायु सेना ने एयर स्ट्राइक किया था. इस आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए कैंप पाकिस्तानी सेना ही लगाती है. आतंकी संगठन अल बद्र का कमांडर यूसुफ बलोच है, जो पाकिस्तान से ऑपरेशन को अंजाम देता है. हाल में ही इसके कई सदस्य एनकाउंटर में मारे गए हैं. यह कश्मीर में काफी एक्टिव है.
अंसार गजवा तुल हिंद : अलकायदा से जुड़े आतंकी अंसार गजवा तुल हिंद के बैनर तले देश के अलग-अलग हिस्सों में फैले हैं. सितंबर 2020 में एनआईए ने केरल और बंगाल से नौ अलकायदा आतंकियों के पकड़ने का दावा किया था. इनके हैंडलर भी पाकिस्तान में बताए गए थे. भारत में ऐसे संगठनों के जरिये कट्टरपंथ को विस्तार देने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने इस संगठन को बनाया है.
अलकायदा और आईएसआईएस : अलकायदा यानी सुन्नी इस्लामिक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन ने तीन सितंबर 2014 को अपने इंडियन सब कांटीनेंट माड्यूल का गठन किया था. भारत में इसकी गतिविधियों को बढ़ाने की जिम्मेदारी आतंकी अल जवाहिरी को सौंपी गई थी. माना जा रहा है कि पाकिस्तान की आईएसआई अलकायदा भारतीय उपमहाद्वीप-एक्यूआईएस को फंडिंग कर रही है. बांग्लादेश के जरिये बंगाल में घुसपैठ कराई जा रही है. इसका आईएसआईएस से भी गठजोड़ है. एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि अलकायदा और आईएस नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ है.
इसके अलावा कई ऐसे संगठन हैं, जिसे पाकिस्तान के आईएसआई ने बड़े ग्रुपों की मदद के लिए बना रखे हैं. इनके नाम अक्सर बदलते रहते हैं. ये आतंकी संगठन कश्मीर और भारत के अन्य हिस्सों में बड़ी घटनाओं को अंजाम देने में हिजबुल, जैश और लश्कर की मदद करते हैं. लश्कर ए मुस्तफा, अल बर्क, अल जेहाद, जम्मू कश्मीर लिबरेशन आर्मी, अल उमर मुजाहिदीन, महाज ए आजादी, इस्लामी जमात ए तुलबा, तहरीके हुर्रियत ए कश्मीर, मुस्लिम मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन भी पाकिस्तान की गोद में खेल रहे हैं.