कोलकाता : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने गुरुवार को विपक्षी नेतृत्व के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यह किसी व्यक्ति का दैवीय अधिकार नहीं है, वह भी तब, जब पार्टी पिछले एक दशक में लड़े अधिकांश चुनाव हार चुकी हो.
पीके ने ट्वीट करते हुए लिखा कि विपक्षी नेतृत्व लोकतांत्रिक तरीके से तय किया जाना चाहिए. उन्होंने आगे लिखा कि कांग्रेस जिस आइडिया और स्पेस (Idea and Space) प्रतिनिधित्व करती है, वह एक मजबूत विपक्ष के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन विपक्ष का नेतृत्व कांग्रेस का दैवीय अधिकार नहीं है, जब पार्टी पिछले 10 सालों में अपने 90% चुनाव हारती हो. लोकतांत्रिक तरीके से विपक्षी नेतृत्व करने दें.
उनकी यह टिप्पणी तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के उस बयान के एक दिन बाद आई है, जिसमें ममता ने कहा था कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (United Progressive Alliance ) जैसा अब कुछ नहीं है.
इससे पहले भी पीके ने कांग्रेस पर कटाक्ष किया था और कहा था कि लखीमपुर खीरी कांड के बाद जो लोग पुरानी पार्टी के नेतृत्व में विपक्ष के त्वरित पुनरुद्धार की तलाश कर रहे हैं, वे बड़ी निराशा में हैं, क्योंकि इसका कोई त्वरित समाधान नहीं है.
पीके ने तो यहां तक कह दिया था कि अगर कांग्रेस ने नेतृत्व और रणनीति नहीं बदली, तो वे भाजपा को चुनौती देने की स्थिति में सालों तक नहीं आ पाएंगे.
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बता दें कि किशोर और उनकी I-PAC टीम पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद से तृणमूल कांग्रेस के लिए काम कर रही है और वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के विस्तार के लिए रणनीति तैयार करने पर काम कर रही है.