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बिना गड़बड़ी हो गया 100 करोड़ वैक्सीनेशन, जानें Cowin app की खासियत ?

100 करोड़ वैक्सीनेशन का हिसाब-किताब रखना आसान नहीं है. मगर CoWIN app की बदौलत भारत ने यह सफर पूरा कर लिया. अभी देश में करीब 70 करोड़ वैक्सीन की डोज और लगाई जाएगी. CoWIN आगे भी वैक्सीन की हर डोज का हिसाब रखेगा. आज इस ऐप में अपॉइंटमेंट, वैक्सीनेशन, सर्टिफिकेट के सभी आंकड़े सुरक्षित हैं. यह भारत में टीकाकरण से जुड़ी हर सूचना को साझा करता है.

100 crore vaccination in india
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Published : Oct 21, 2021, 8:28 PM IST

हैदराबाद : 21 अक्टूबर को भारत सरकार ने अपने नागरिकों को कोरोना वैक्सीन की100 करोड़ डोज लगा दी. 100 करोड़ टीका लगाने की उपलब्धि देश ने 9 महीने में हासिल की. वैक्सिनेशन अभियान के इतने बड़े सफर में कभी भी अफरातफरी नहीं मची. इसका श्रेय कोविन (Cowin) को जाता है. देश में 16 जनवरी से कोरोना टीकाकरण की शुरुआत हुई थी. तभी से कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया गया था. कोविन प्लेटफॉर्म को आरोग्य सेतु और उमंग ऐप से भी जोड़ा गया है.

एक्सपर्ट के अनुसार, कोविन जैसे प्लेटफॉर्म का विकास दिखाता है कि भारत में इस तरह की बड़ी डिजिटल प्रणाली विकसित करने की क्षमता है, जिसमें 130 करोड़ लोगों की सर्विस दी जा सकती है और उनके डेटा को मैनेज किया जा सकता है. आज भारत के 87,725 केंद्रों पर रोजाना औसतन 70 लाख लोगों को वैक्सीन दी जा रही है. Cowin के जरिये वैक्सीन के हर डोज का हिसाब रखा जा रहा है. अगर ऐसी व्यवस्था नहीं होती तो वैक्सीन की चोरी, कालाबाजारी और शार्टेज जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता. कोरोना काल में यह देश के लिए बड़ी प्रॉब्लम बन जाती.

आज कोविन (cowin) एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां से भारत में कोविड-19 वैक्सिनेशन से जुड़ी हर जानकारी मौजूद है. वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर सर्टिफिकेट जारी होने तक सभी तरह की सहूलियत इस पर मिल जाती है. जब वैक्सीनेशन संख्या बढ़ी तो इसमें जरूरत के हिसाब से बदलाव किए गए.

100 crore vaccination in india
16 जनवरी से Cowin अस्तित्व में आया, जब टीकाकरण की शुरुआत हुई.

वैक्सीनेशन के चैलेंज, जो कोविन ने दूर किए : कई लोगों ने बताया कि वह रजिस्ट्रेशन के बाद वैक्सीन की डोज लेने केंद्र पर नहीं पहुंचे मगर उनके पास टीकाकरण का मैसेज आ गया. इसके अलावा कई लोगों ने फोन नंबर के दुरुपयोग की शिकायत की. इन शिकायतों को दूर करने के लिए मई में सिक्युरिटी कोड को अनिवार्य किया गया.

वैक्सीनेशन के शुरूआती दौर में लोगों को यह पता नहीं होता था कि उन्हें भारत में उपलब्ध कौन सी वैक्सीन लगाई जा रही है. यानी लोगों के पास वैक्सीन चुनने का विकल्प नहीं था. तब कोविन पोर्टल के डैशबोर्ड में बदलाव किया गया. लोगों को वैक्सीनेशन सेंटर के साथ वैक्सीन सिलेक्ट करने का मौका मिला.

डैशबोर्ड में पिन कोड या जिला के जरिए बुकिंग के लिए स्लॉट सर्च करने का ऑप्शन मिला. साथ ही एज ग्रुप के अलावा वैक्सीनेशन सेंटर, फ्री और पेड वैक्सीन की जानकारी पहले ही मिलने लगी. इस तरह कोविन ने कोरोना के दौर में वैक्सीन सेंटर पर लंबी लाइनों को छोटा कर दिया.

बीच में कुछ लोगों ने दावा किया कि ऑनलाइन पोर्टल कोविन को हैक कर लिया जाता है और बुकिंग के स्लॉट एडवांस में रिजर्व किए जाते हैं. तब स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि CoWIN ऐप या पोर्टल को हैक नहीं किया जा सकता है.

100 crore vaccination in india
Cowin प्लैटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन वैक्सीनेशन सेंटर पर भी कर्मचारी करते हैं.

कोविन प्लेटफॉर्म में सर्टिफिकेट की प्रॉब्लम को भी कोविन ने सफलतापूर्वक दूर कर दिया. चूंकि एक मोबाइल फोन नंबर पर आप कई लोगों का वैक्सीनेशन करा सकते हैं. ऐसे में कई बार सर्टिफिकेट में नाम, जन्मतिथि और जेंडर में गड़बड़ी हो जाती है. कोविन के जरिये लोग सर्टिफिकेट में हुई गलती सुधार सकते हैं.

अब कोविन के जरिये विदेश यात्रा करने वाले भारतीय इंटरनैशनल ट्रैवल सर्टिफिकेट भी हासिल कर सकते हैं. इसके लिए मौजूदा फोटो पहचान पत्र, पासपोर्ट संख्या और जन्म तिथि की डिटेल की जरूरत होगी. आप cowin के raise an issue को क्लिक कर पासपोर्ट से कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट को अटैच कर सकते हैं.

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Cowin ऐप

अब विदेशी नागरिकों को लिए इस पर सुविधा शुरू होने वाली है. जिसके तहत विदेशी नागरिक अपना बेसिक डिटेल बताकर आसानी से टीका ले सकेंगे. यदि आपको विदेश में फर्स्ट डोज लिया गया है, तो टीकाकरण के लिए जाते समय आपको वैक्सीनेटर को इसका विवरण देना होगा.

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वैक्सीनेशन के रजिस्ट्रेशन लिए ऐप में उपलब्ध है सुविधा.

CoWin की सफलता के कारण विश्व के कई देशों ने इस प्लैटफॉर्म में रुचि दिखाई. मध्य एशिया, लातिनी अमेरिका, अफ्रीका के करीब 75 देशों को इसकी टेक्नॉलजी शेयर की जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सॉफ्टवेयर का एक 'ओपन सोर्स' संस्करण तैयार करने और इसमें रुचि दिखाने वाले किसी भी देश को मुफ्त मुहैया कराने का निर्देश दिया था.

हैदराबाद : 21 अक्टूबर को भारत सरकार ने अपने नागरिकों को कोरोना वैक्सीन की100 करोड़ डोज लगा दी. 100 करोड़ टीका लगाने की उपलब्धि देश ने 9 महीने में हासिल की. वैक्सिनेशन अभियान के इतने बड़े सफर में कभी भी अफरातफरी नहीं मची. इसका श्रेय कोविन (Cowin) को जाता है. देश में 16 जनवरी से कोरोना टीकाकरण की शुरुआत हुई थी. तभी से कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया गया था. कोविन प्लेटफॉर्म को आरोग्य सेतु और उमंग ऐप से भी जोड़ा गया है.

एक्सपर्ट के अनुसार, कोविन जैसे प्लेटफॉर्म का विकास दिखाता है कि भारत में इस तरह की बड़ी डिजिटल प्रणाली विकसित करने की क्षमता है, जिसमें 130 करोड़ लोगों की सर्विस दी जा सकती है और उनके डेटा को मैनेज किया जा सकता है. आज भारत के 87,725 केंद्रों पर रोजाना औसतन 70 लाख लोगों को वैक्सीन दी जा रही है. Cowin के जरिये वैक्सीन के हर डोज का हिसाब रखा जा रहा है. अगर ऐसी व्यवस्था नहीं होती तो वैक्सीन की चोरी, कालाबाजारी और शार्टेज जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता. कोरोना काल में यह देश के लिए बड़ी प्रॉब्लम बन जाती.

आज कोविन (cowin) एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां से भारत में कोविड-19 वैक्सिनेशन से जुड़ी हर जानकारी मौजूद है. वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर सर्टिफिकेट जारी होने तक सभी तरह की सहूलियत इस पर मिल जाती है. जब वैक्सीनेशन संख्या बढ़ी तो इसमें जरूरत के हिसाब से बदलाव किए गए.

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16 जनवरी से Cowin अस्तित्व में आया, जब टीकाकरण की शुरुआत हुई.

वैक्सीनेशन के चैलेंज, जो कोविन ने दूर किए : कई लोगों ने बताया कि वह रजिस्ट्रेशन के बाद वैक्सीन की डोज लेने केंद्र पर नहीं पहुंचे मगर उनके पास टीकाकरण का मैसेज आ गया. इसके अलावा कई लोगों ने फोन नंबर के दुरुपयोग की शिकायत की. इन शिकायतों को दूर करने के लिए मई में सिक्युरिटी कोड को अनिवार्य किया गया.

वैक्सीनेशन के शुरूआती दौर में लोगों को यह पता नहीं होता था कि उन्हें भारत में उपलब्ध कौन सी वैक्सीन लगाई जा रही है. यानी लोगों के पास वैक्सीन चुनने का विकल्प नहीं था. तब कोविन पोर्टल के डैशबोर्ड में बदलाव किया गया. लोगों को वैक्सीनेशन सेंटर के साथ वैक्सीन सिलेक्ट करने का मौका मिला.

डैशबोर्ड में पिन कोड या जिला के जरिए बुकिंग के लिए स्लॉट सर्च करने का ऑप्शन मिला. साथ ही एज ग्रुप के अलावा वैक्सीनेशन सेंटर, फ्री और पेड वैक्सीन की जानकारी पहले ही मिलने लगी. इस तरह कोविन ने कोरोना के दौर में वैक्सीन सेंटर पर लंबी लाइनों को छोटा कर दिया.

बीच में कुछ लोगों ने दावा किया कि ऑनलाइन पोर्टल कोविन को हैक कर लिया जाता है और बुकिंग के स्लॉट एडवांस में रिजर्व किए जाते हैं. तब स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि CoWIN ऐप या पोर्टल को हैक नहीं किया जा सकता है.

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Cowin प्लैटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन वैक्सीनेशन सेंटर पर भी कर्मचारी करते हैं.

कोविन प्लेटफॉर्म में सर्टिफिकेट की प्रॉब्लम को भी कोविन ने सफलतापूर्वक दूर कर दिया. चूंकि एक मोबाइल फोन नंबर पर आप कई लोगों का वैक्सीनेशन करा सकते हैं. ऐसे में कई बार सर्टिफिकेट में नाम, जन्मतिथि और जेंडर में गड़बड़ी हो जाती है. कोविन के जरिये लोग सर्टिफिकेट में हुई गलती सुधार सकते हैं.

अब कोविन के जरिये विदेश यात्रा करने वाले भारतीय इंटरनैशनल ट्रैवल सर्टिफिकेट भी हासिल कर सकते हैं. इसके लिए मौजूदा फोटो पहचान पत्र, पासपोर्ट संख्या और जन्म तिथि की डिटेल की जरूरत होगी. आप cowin के raise an issue को क्लिक कर पासपोर्ट से कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट को अटैच कर सकते हैं.

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Cowin ऐप

अब विदेशी नागरिकों को लिए इस पर सुविधा शुरू होने वाली है. जिसके तहत विदेशी नागरिक अपना बेसिक डिटेल बताकर आसानी से टीका ले सकेंगे. यदि आपको विदेश में फर्स्ट डोज लिया गया है, तो टीकाकरण के लिए जाते समय आपको वैक्सीनेटर को इसका विवरण देना होगा.

100 crore vaccination in india
वैक्सीनेशन के रजिस्ट्रेशन लिए ऐप में उपलब्ध है सुविधा.

CoWin की सफलता के कारण विश्व के कई देशों ने इस प्लैटफॉर्म में रुचि दिखाई. मध्य एशिया, लातिनी अमेरिका, अफ्रीका के करीब 75 देशों को इसकी टेक्नॉलजी शेयर की जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सॉफ्टवेयर का एक 'ओपन सोर्स' संस्करण तैयार करने और इसमें रुचि दिखाने वाले किसी भी देश को मुफ्त मुहैया कराने का निर्देश दिया था.

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