नई दिल्ली: मां-बाप के लिए अपने बच्चे से ज्यादा अहमियत शायद ही किसी दूसरे की होती होगी. जब बात सेहत (Health) की हो और कोरोना जैसी वैश्विक महामारी (Corona Pandemic) के हालात में तो ये और भी अहम हो जाती है. अदृश्य आफत से जब बात अपनों को बचाने की हो तो अपने बच्चों का ख्याल हर मां-बाप के जेहन में आता है. मुश्किल से मुश्किल हालात में मां अपने बच्चे को नहीं भूलती है.
बच्चे की परवरिश या पालन-पोषण से लेकर उम्र के हर पड़ाव को सहेजने, संवारने और नई दिशा देने का काम सिर्फ माता या पिता के जरिए ही करते हैं. मगर न्यूक्लियर फैमिली (Nuclear Family) के इस दौर में बच्चे के अभिभावक दोनों कामकाजी है, अपनी-अपनी प्रोफेशनल लाइफ में व्यस्त हैं और इसी बीच उन्हें अपने बच्चों का भविष्य भी बनाना है, उनकी सेहत भी संवारते रहना है. ये चुनौतियां पहले बहुत बड़ी हैं, क्योंकि पहले संयुक्त परिवार में बच्चों की देखभाल अनुभवी हाथों में हो जाया करती थी मगर अब सारे जिम्मेदारी उन अभिभावकों पर ही है जो खुद अपनी जिंदगियों में उलझे हुए हैं. ऐसे में कोरोना काल जैसी महामारी हो तो फिर उनकी चिंताएं और बढ़ जाती है.
कोरोनाकाल में बच्चे के प्रति मां-बाप की जिम्मेदारी सिर्फ प्यार-दुलार से पूरी नहीं हो सकती. इस वैश्विक महामारी से अपने बच्चों को बचाने के लिए जरूरी है कि वे खुद इस बीमारी के बारे में जानकारी (Knowledge About Disease) रखते हों. इससे बचाव के वैज्ञानिक तरीके और मेडीकल संबंधी जरूरतों को जान लिया जाए. ईटीवी भारत की पेरेंटिंग के माध्यम से आपके परिवार को सुरक्षित रखने की कोशिश है. तो चलिए जानते हैं वो उपाय जिसके जरिए आप भी अपने बच्चों कोविड 19 (Covid 19) से सुरक्षित रख सकते हैं.
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डेल्टा वैरिएंट के भयानक रूप देखने के बाद दक्षिण अफ्रीका से उपजे कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. एक दावे के मुताबिक, ओमिक्रोन वैरिएंट छोटे बच्चों को भी निशाना बना रहा है. दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टरों के बाद ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने भी चिंता इस बात को लेकर चिंता जताई है. डॉरक्टरों के मुताबिक, पांच साल से कम उम्र के बच्चों में भी ये वायरस असर कर रहा है. ऐसे में कोरोना के इस नए वैरिएंट को देखते हुए हमे और भी ज्यादा सावधान होने की जरूरत हैं. साथ ही अपनों का ख्याल भी रखना है. खासकर उनका जो मासूम हैं.