शिमला: हिमाचल में सीमेंट विवाद को सुलझाने में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट वरदान साबित हुई है. रिपोर्ट आने के बाद अदानी समूह की कंपनियों के स्टॉक बुरी तरह गिर गए थे. गौतम अदानी रिपोर्ट आने से पहले दुनिया के दूसरे सबसे रईस शख्स थे, लेकिन रिपोर्ट आने के बाद उनकी कंपनियों के शेयरों में लगातार गिरावट दर्ज की गई. यह वही समय था जब हिमाचल में सीमेंट विवाद चरम पर था. अदानी समूह पहले छह माह तक अपनी सीमेंट फैक्ट्रियां बंद करने की बात कह रहा था, लेकिन रिपोर्ट आने के बाद से अदानी समूह भारी दबाव में था. जिसके चलते अदानी समूह को ट्रक ऑपरेटरों के साथ समझौता करना पड़ा.
जो अदानी समूह पहले 6 रुपए से अधिक भाड़ा देने को तैयार नहीं था, वह बाद में 10.30 रुपए भाड़े पर सहमत हुआ. वहीं, हिंडनबर्ग के फाउंडर नाथन एंडरसन ने हिमाचल के ट्रक ऑपरेटरों को विवाद सुलझने को लेकर बधाई दी है. उन्होंने ट्वीट किया कि ' भारतीय ट्रक ऑपरेटरों का कहना है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट अडानी विवाद में एक वरदान थी. इस बात से मैं खुश हूं. इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. यदि ट्रक ऑपरेटर मेरी इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं, तो उन्हें बधाई और ढेर सारा प्यार'.
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Indian truckers say Hindenburg report was a godsend in Adani dispute — Reuters
— Nate Anderson (@ClarityToast) February 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Words cannot express how much I love every word of this.
Truckers, if you are reading this—congrats! And much love from this corner of the world ❤️ https://t.co/5Ni3NDh5Dv
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24 जनवरी को आई थी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट: हिंडनबर्ग ने अदानी समूह की कंपनियों के स्टॉक पर आधारित रिपोर्ट 24 जनवरी को सार्वजनिक की थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि अडानी समूह की कंपनियों की गलत वैल्यूएशन की गई है और इनके भाव असली कीमत से कई गुणा अधिक है. इस रिपोर्ट में अदानी समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. यह वही समय था जब हिमाचल में अदानी समूह के खिलाफ ट्रक ऑपरेटरों ने अपना आंदोलन छेड़ रखा था. इसके बाद अदानी समूह की कंपनियों के शेयर लगातार गिरते रहे. समूह की कंपनियों के स्टॉक में रोजाना लोअर सर्किट लगने लगे. आज हालात यह है कि गौतम अदानी की दौलत एक तिहाई रह गई है और वह रईसों की सूची में 33 वें स्थान पर आ गए हैं.
सीमेंट फैक्ट्रियां बंद रहने से 400 करोड़ से अधिक का हुआ नुकसान: अदानी समूह ने बरमाणा और अंबुजा सीमेंट फैक्ट्रियों को बंद करने का फरमान 14 दिसंबर को जारी किया था. इसके बाद 15 दिसंबर से अदानी समूह ने इन फैक्ट्रियों पर ताले जड़ दिए थे. जिसके बाद ट्रक ऑपरेटरों ने इस तालाबंदी के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था. लेकिन अदानी समूह पर इसका कोई असर नहीं हुआ. इस बीच हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने से अदानी समूह पर भारी दबाव बना और अंततः 20 फरवरी को सरकार ने दोनों पक्षों के बीच समझौता करा दिया. हालांकि इस पूरे विवाद में ट्रक ऑपरेटरों की कमाई चली गई. इस विवाद में ट्रक आरपेटरों को ही करीब 260 करोड़ का नुकसान हुआ. जबकि सरकार को भी 150 करोड़ रुपए के राजस्व से हाथ धोना पड़ा.
दोनों फैक्ट्रियों से 7 हजार परिवार सीधे तौर पर हुए प्रभावित: दोनों बड़ी फैक्ट्रियों में करीब 7 हजार ट्रक सीधे रूप से काम से जुड़े हुए हैं. ये ट्रक क्लिंकर और सीमेंट ढुलाई करते हैं. काम बंद होने से इन 7 हजार ट्रकों से जुड़े परिवारों की कमाई खत्म हो गई थी. इसके साथ ही आसपास की दुकानें, ढाबे, सहित छोटा मोटा काम चलने वालों के लिए भी मंदी आ गई थी. दरअसल इन लोगों के ग्राहक सीमेंट उद्योग के काम से जुड़े लोग हैं. इसके अलावा करीब 2000 लोग सीधे इन फैक्ट्रियों से रोजगार हासिल कर रहे हैं. फैक्ट्रियों के बंद होने से इनका भी रोजगार चला गया था.
हिडनबर्ग रिपोर्ट से मिली मदद, ट्रक आपरेटर भी डटे रहे: बाघल लैंड लूजर ट्रक ट्रांसपोर्ट को-ऑपरेटिव सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष रामकृष्ण शर्मा मानते हैं कि हिडनबर्ग रिपोर्ट आने से राष्ट्रीय स्तर पर अदानी समूह पर भारी दबाव था. जिससे हिमाचल में चल रहे सीमेंट विवाद को हल करने में मदद जरूर मिली, लेकिन ट्रक ऑपरेटरों ने भी तय कर लिया था कि जब तक अदानी समूह जायज भाड़ा तय नहीं करता, तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने भी विवाद को सुलझाने के लिए लगातार प्रयास किए. हालांकि उनका कहना है कि यह किसी की हार और जीत का सवाल नहीं है, यह हिमाचल और इसके लोगों के हितों से जुड़ा मुद्दा है. विवाद हल होने से अब सीमेंट फैक्ट्रियों में कामकाज सुचारू रूप से शुरू हो गया है.
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