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विदेश मंत्री जयशंकर रविवार को सऊदी अरब के अपने समकक्ष से करेंगे व्यापक चर्चा

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Published : Sep 18, 2021, 8:36 PM IST

Updated : Sep 19, 2021, 4:55 PM IST

विदेश मंत्री एस जयशंकर रविवार को सऊदी अरब के अपने समकक्ष फैसल बिन फरहान अल सौद के साथ अफगानिस्तान से जुड़े घटनाक्रम सहित द्विपक्षीय संबंधों के विविध आयामों पर व्यापक चर्चा करेंगे.

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नई दिल्ली : सऊदी अरब के विदेश मंत्री की शनिवार शाम से भारत की तीन दिवसीय यात्रा शुरू हो रही है. विदेश मंत्रालय के अनुसार सऊदी अरब के विदेश मंत्री रविवार को जयशंकर के साथ वार्ता करेंगे और सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट करेंगे.

अल सौद का सोमवार की शाम को यहां से न्यूयार्क जाने का कार्यक्रम है. सऊदी अरब के विदेश मंत्री की भारत यात्रा का महत्व ऐसे समय में काफी बढ़ जाता है जब अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत इससे जुड़े घटनाक्रम को लेकर दुनिया के प्रमुख देशों से सम्पर्क कर रहा है. इस यात्रा की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि जयशंकर और अल सौद के बीच बातचीत के दौरान अफगानिस्तान का मुद्दा प्रमुखता से सामने आने की संभावना है.

क्षेत्र के प्रमुख देश होने के नाते सऊदी अरब के रूख का काबुल के घटनाक्रम को लेकर महत्व काफी बढ़ जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि तालिबान के काबुल पर कब्जे से पहले अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में कतर, ईरान सहित खाड़ी क्षेत्रों के कई देशों की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी.

यह भी पढ़ें-समावेशी अफगान सरकार के बारे में तालिबान से बात शुरू की : इमरान खान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बारे में शुक्रवार को कहा था कि अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन समावेशी नहीं है, ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उसे मान्यता देने के बारे में सामूहिक रूप से और सोच विचार कर फैसला करना चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सऊदी अरब के विदेश मंत्री की शनिवार शाम से भारत की तीन दिवसीय यात्रा शुरू हो रही है. विदेश मंत्रालय के अनुसार सऊदी अरब के विदेश मंत्री रविवार को जयशंकर के साथ वार्ता करेंगे और सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट करेंगे.

अल सौद का सोमवार की शाम को यहां से न्यूयार्क जाने का कार्यक्रम है. सऊदी अरब के विदेश मंत्री की भारत यात्रा का महत्व ऐसे समय में काफी बढ़ जाता है जब अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत इससे जुड़े घटनाक्रम को लेकर दुनिया के प्रमुख देशों से सम्पर्क कर रहा है. इस यात्रा की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि जयशंकर और अल सौद के बीच बातचीत के दौरान अफगानिस्तान का मुद्दा प्रमुखता से सामने आने की संभावना है.

क्षेत्र के प्रमुख देश होने के नाते सऊदी अरब के रूख का काबुल के घटनाक्रम को लेकर महत्व काफी बढ़ जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि तालिबान के काबुल पर कब्जे से पहले अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में कतर, ईरान सहित खाड़ी क्षेत्रों के कई देशों की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बारे में शुक्रवार को कहा था कि अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन समावेशी नहीं है, ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उसे मान्यता देने के बारे में सामूहिक रूप से और सोच विचार कर फैसला करना चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Sep 19, 2021, 4:55 PM IST
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