इंदौर: कांग्रेस राहुल गांधी पूरे देश में प्रसिद्ध हैं. हालांकि, उनकी ये प्रसिद्धि मध्यप्रदेश के एक युवा के लिए परेशानी का सबब बन गई है. यह कहानी इंदौर मध्यप्रदेश के रहने वाले 22 वर्षीय राहुल गांधी का है. राहुल बताते हैं कि, 'उनका नाम सुनकर लोगों को विश्वास ही नहीं होता. लोग उन्हें फर्जी और झूठा मानते हैं.
दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राजनैतिक कारणों से परेशान हैं, लेकिन एक दूसरे राहुल गांधी का भी जीना मुहाल हो गया. इनकी मुसीबत के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं, बल्कि पहले वाले राहुल गांधी का प्रसिद्धि है.
इंदौर निवासी राहुल के अनुसार, 'मेरे पास पहचान पत्र के लिए एक मात्र दस्तावेज आधार कार्ड है. मैं जब भी सीम कार्ड खरीदने या अन्य किसी भी कार्य के लिए जाता हूं, तो लोग मुझे शक की नजर से देखते है या फर्जी समझते हैं. इस वजह से वह सोच रहें है अब इस नाम से छुटकारा पा लें.'
'किसी अजनबी या अंजान व्यक्ति से फोन पर बात करने पर वह फर्जी समझ कर फोन काट देता है या पूछता है राहुल गांधी इंदौर में कब से रहने लगा.'
राहुल गांधी ने बताया, 'उनके पिताजी राजेश मालवीय बीएसएफ के जवान थें. वह अर्धसैनिक बल में धुलाई का काम करते थें. उच्च अधिकारी उनके पिताजी को प्यार से 'गांधी' नाम से पुकारा करते थे.'
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मेरे पिताजी का 'गांधी' उपनाम से विशेष लगाव हो गया. इस कारण उन्होनें विद्यालय में 'राहुल मालवीय' से बदलकर मेरा नाम 'राहुल गांधी' करा दिया.
राहुल ने पांचवीं कक्षा में विद्यालय छोड़ दिया था. उन्हें राजनीति और नेताओं से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है.
उन्होनें बताया,' मैं कानूनी तरीके से अपने नाम में बदलाव करने की सोच रहा हूं.'