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शानदार पहल : उत्तराखंड के इन गांवों में दरवाजे पर लगी बेटी की नेम प्लेट - Name plate of daughter at door in Pauri villages of Uttarakhand

उत्तराखंड के पौड़ी जिला प्रशासन की अनोखी पहल से बेटियों को पहचान मिल रही है. घर के आगे उनके नाम की प्लेट लगाई जा रही है. इस योजना के शुरू होने से बेटियां में भी काफी खुशी हैं.

जिला प्रशासन पौड़ी की शानदार पहल
जिला प्रशासन पौड़ी की शानदार पहल
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Published : Dec 2, 2020, 9:33 PM IST

पौड़ी : बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत बेटियों को उनकी पहचान दिलाने के लिए जिला प्रशासन पौड़ी की ओर से शुरू की गई शानदार पहल 'घौर की पछ्यांण नौनी कु नौ' (घर की पहचान बेटी के नाम) अपनी पहचान बनाने लगी है. पौड़ी उत्तराखंड का पहला जिला है जहां पर ऐसी योजना की शुरुआत की गई है.

इस योजना की शुरुआत पौड़ी के खिर्सू ब्लॉक से की गई. यहां अबतक दो गांवों के 125 घरों ने शान से अपनी बेटियों के नाम घर के बाहर लगाए हैं. बुदेशु गांव के 70 और मल्ली गांव के 55 घरों में नेम प्लेट लगाई गई है.

जिला प्रशासन पौड़ी की शानदार पहल

अच्छी बात ये है कि ग्रामीण खुद इस काम को करने के लिए आगे आ रहे हैं. यह सिलसिला जनपद के सभी ब्लॉकों में किया जाना है. वहीं बेटियां भी इस योजना से काफी खुश नजर आ रही हैं. उन्हें काफी गर्व है कि उनके नाम से उनके घर की पहचान होगी. परिजन भी इस योजना की शुरुआत के बाद खुद को बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

परिजनों का कहना है कि बेटियों को समाज में सशक्त और मजबूत करने के लिए सरकार की ओर से तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से किये गए प्रयास काफी सराहनीय है.

पढ़ें- हरियाणा : पूर्व हॉकी खिलाड़ी 22 बेटियों को गोद लेकर संवार रहे भविष्य

एक ब्लॉक से की गई थी शुरुआत

बीते 9 सितंबर को पौड़ी जिला प्रशासन व महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से 'घौर की पछ्याण, नौनी कु नौ' योजना शुरू की गई थी. इस दौरान उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने खिर्सू ब्लॉक के बुदेशु गांव में बेटियों को उनके नाम की नेम प्लेट बांटी थीं. गौर हो कि राज्यमंत्री ने बुदेशु गांव को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के तहत गोद भी लिया है.

सोच में बदलाव आयेगा : मुख्य विकास अधिकारी

मुख्य विकास अधिकारी आशीष भटगाईं ने बताया कि बेटियों को सशक्त बनाने और समाज में उनकी अलग पहचान बनाने के लिए उनकी ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इस पहल की मदद से बेटियों को अपनी पहचान मिलेगी. समाज में बेटियों को लेकर गलत धारणा रखने वाले लोगों की सोच में भी इससे बदलाव आयेगा. इस योजना की मदद से बेटियों को समाज मे पहचान दिलाने के साथ-साथ उन्हें सशक्त और मजबूत किया जाएगा.

पौड़ी : बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत बेटियों को उनकी पहचान दिलाने के लिए जिला प्रशासन पौड़ी की ओर से शुरू की गई शानदार पहल 'घौर की पछ्यांण नौनी कु नौ' (घर की पहचान बेटी के नाम) अपनी पहचान बनाने लगी है. पौड़ी उत्तराखंड का पहला जिला है जहां पर ऐसी योजना की शुरुआत की गई है.

इस योजना की शुरुआत पौड़ी के खिर्सू ब्लॉक से की गई. यहां अबतक दो गांवों के 125 घरों ने शान से अपनी बेटियों के नाम घर के बाहर लगाए हैं. बुदेशु गांव के 70 और मल्ली गांव के 55 घरों में नेम प्लेट लगाई गई है.

जिला प्रशासन पौड़ी की शानदार पहल

अच्छी बात ये है कि ग्रामीण खुद इस काम को करने के लिए आगे आ रहे हैं. यह सिलसिला जनपद के सभी ब्लॉकों में किया जाना है. वहीं बेटियां भी इस योजना से काफी खुश नजर आ रही हैं. उन्हें काफी गर्व है कि उनके नाम से उनके घर की पहचान होगी. परिजन भी इस योजना की शुरुआत के बाद खुद को बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

परिजनों का कहना है कि बेटियों को समाज में सशक्त और मजबूत करने के लिए सरकार की ओर से तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से किये गए प्रयास काफी सराहनीय है.

पढ़ें- हरियाणा : पूर्व हॉकी खिलाड़ी 22 बेटियों को गोद लेकर संवार रहे भविष्य

एक ब्लॉक से की गई थी शुरुआत

बीते 9 सितंबर को पौड़ी जिला प्रशासन व महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से 'घौर की पछ्याण, नौनी कु नौ' योजना शुरू की गई थी. इस दौरान उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने खिर्सू ब्लॉक के बुदेशु गांव में बेटियों को उनके नाम की नेम प्लेट बांटी थीं. गौर हो कि राज्यमंत्री ने बुदेशु गांव को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के तहत गोद भी लिया है.

सोच में बदलाव आयेगा : मुख्य विकास अधिकारी

मुख्य विकास अधिकारी आशीष भटगाईं ने बताया कि बेटियों को सशक्त बनाने और समाज में उनकी अलग पहचान बनाने के लिए उनकी ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इस पहल की मदद से बेटियों को अपनी पहचान मिलेगी. समाज में बेटियों को लेकर गलत धारणा रखने वाले लोगों की सोच में भी इससे बदलाव आयेगा. इस योजना की मदद से बेटियों को समाज मे पहचान दिलाने के साथ-साथ उन्हें सशक्त और मजबूत किया जाएगा.

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