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उन्नाव रेप केस : विधायक कुलदीप सिंह सेंगर दोषी करार, कल सजा पर बहस

उन्नाव रेप केस में बीजेपी से निलंबित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर दोष सिद्ध हो गया है. उनकी सजा पर मंगलवार को कोर्ट में बहस होगी और फैसला भी सुनाया जा सकता है.

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कुलदीप सिंह सेंगर
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Published : Dec 16, 2019, 3:11 PM IST

Updated : Dec 16, 2019, 10:37 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उन्नाव में 2017 में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का दोषी करार देते हुए कहा कि 'शक्तिशाली व्यक्ति' के खिलाफ पीड़िता की गवाही 'सच्ची और बेदाग' है. अदालत ने सेंगर को भारतीय दंड संहिता के तहत दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम के तहत लोकसेवक द्वारा बच्ची के खिलाफ यौन हमले के अपराध का दोषी ठहराया.

अदालत सजा की अवधि पर बुधवार को दलीलें सुनेगी. इस अपराध के लिये अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने हालांकि सह-आरोपी शशि सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया.

पॉक्सो अधिनियम के तहत सेंगर (53) को दोषी ठहराते हुए अदालत ने कहा कि सीबीआई ने साबित किया कि पीड़िता नाबालिग थी और इस विशेष कानून के तहत चलाया गया मुकदमा सही था.

न्यायाधीश ने फैसला पढ़ते हुए कहा, 'मैंने उसके बयान को सच्चा और बेदाग पाया कि उस पर यौन हमला हुआ. उस पर खतरा था, वो चिंतित थी. वह गांव की लड़की है, महानगरीय शिक्षित इलाके की नहीं...सेंगर एक शक्तिशाली व्यक्ति था. इसलिये उसने अपना वक्त लिया....'

न्यायाधीश ने जब फैसला सुनाना शुरू किया तो सह-आरोपी सिंह बेहोश हो गया.

अदालत ने यह भी कहा कि पीड़िता द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखे जाने के बाद उसके परिवार वालों के खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे दर्ज किये गए और उन पर 'सेंगर की छाप' थी.

पीड़िता के वकील धर्मेन्द्र मिश्रा का बयान

अदालत ने दुष्कर्म के मामले में सीबीआई द्वारा आरोप पत्र दायर करने में की गई देरी पर भी हैरानी जताई और कहा कि इससे सेंगर और अन्य के खिलाफ मुकदमा लंबा चला.

अदालत ने आरोप पत्र दायर करने में देरी के साथ ही जांच में महिला अधिकारी की गैर मौजूदगी के लिये भी उसे आड़े हाथों लिया.

अदालत ने इस बात पर भी नाखुशी जाहिर की कि पीड़िता के बयान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को चुनिंदा तरीके से लीक किया गया ताकि उसके मामले को दबाया जा सके.

अदालत ने कहा, 'कानून के मुताबिक ऐसे मामलों में पीड़िता के बयान दर्ज करने के लिये महिला अधिकारी होनी चाहिए लेकिन आश्चर्यजनक रूप से पीड़िता के घर जाने के बजाए उसे कई बार सीबीआई दफ्तर बुलाया गया.'

पीड़िता की वकील पूनम कौशिक का बयान

अदालत ने कहा कि जैसा कि पॉक्सो अधिनियम की धारा 24 में उल्लेखित है ऐसे मामलों की जांच महिला अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए लेकिन पीड़ित लड़की को बार-बार सीबीआई दफ्तर बुलाकर उसके बयान लिये गए.

पॉक्सो का संदर्भ देते हुए अदालत ने कहा कि कानून में 'कुछ गलत' नहीं लेकिन इसे जमीनी स्तर पर प्रभावी तरीके से लागू करने और संबंधित अधिकारियों में मानवीय सोच की कमी से अक्सर ऐसी स्थिति बनती है जहां न्याय में देरी होती है.

अदालत ने कहा कि सीबीआई खुद जांच और अभियोजन से जुड़ी नियमावली का पालन नहीं करती है.

सेंगर ने 2017 में पीड़िता का अपहरण और दुष्कर्म किया था जब वह नाबालिग थी.

अदालत ने सह आरोपी शशि सिंह के खिलाफ भी आरोप तय किये थे. भाजपा ने उत्तर प्रदेश के बांगरमऊ से चार बार के विधायक सेंगर को अगस्त 2019 में पार्टी से निष्कासित कर दिया था.

अदालत ने नौ अगस्त को विधायक और सिंह के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, अपहरण, बलात्कार और पॉक्सो कानून से संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए थे.

पीड़िता का बयान दर्ज करने के लिए यहां स्थित एम्स अस्पताल में 11,12 और 13 सितंबर को एक विशेष अदालत भी बनाई गई. पीड़िता को लखनऊ के एक अस्पताल से हवाई एंबुलेन्स के जरिये दिल्ली ला कर यहां भर्ती कराया गया था.

उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मामले को लखनऊ की अदालत से दिल्ली स्थानांतरित किया गया था . न्यायाधीश ने यहां पांच अगस्त से दैनिक आधार पर मामले में सुनवाई की.

पीड़िता की कार को इसी साल 28 जुलाई में एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी, जिसमें वह गंभीर रूप से जख्मी हो गई थी. दुर्घटना में युवती की दो रिश्तेदार मारी गईं और उसके परिवार ने इसमें षड्यंत्र होने के आरोप लगाए थे.

उसके पिता को कथित रूप से अवैध हथियार रखने के मामले में फंसाया गया था और तीन अप्रैल 2018 को उन्हें गिरफ्तार किया गया था. कुछ दिनों बाद नौ अप्रैल को उनकी न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी. स्थानीय अदालत ने इस मामले में विधायक, उसके भाई अतुल व नौ अन्य पर हत्या और अन्य आरोप तय किये थे.

उच्चतम न्यायालय ने उन्नाव बलात्कार मामले में दर्ज सभी पांच मामलों को एक अगस्त को उत्तरप्रदेश में लखनऊ की अदालत से दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करते हुए निर्देश दिया कि रोजाना आधार पर सुनवाई की जाए और इसे 45 दिनों के अंदर पूरा किया जाए. न्यायालय ने यह व्यवस्था पीड़िता द्वारा भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को लिखे पत्र पर संज्ञान लेते हुए दी थी.

चार अन्य मामलों - पीड़िता के पिता को अवैध हथियार के मामले में फंसाने और न्यायिक हिरासत में उनकी मौत, दुर्घटना मामले में सेंगर और अन्य की साजिश तथा पीड़िता से तीन अन्य द्वारा दुष्कर्म के एक अलग मामले- की सुनवाई चल रही है.

उच्चतम न्यायालय के आदेशों पर युवती और उसके परिवार को सीआरपीएफ की सुरक्षा दी गई है. दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की सहायता से वे फिलहाल राष्ट्रीय राजधानी में एक किराये के घर में रह रहे हैं.

उन्नाव बलात्कार मामले में तीस हजारी जिला अदालत में सोमवार को जैसे ही कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया गया तो वह और उसके परिवार के सदस्य रो पड़े. विधायक की बहन अदालत कक्ष में घुसी और रोने लगी.

वकीलों ने जैसे ही बताया कि न्यायाधीश 2017 के सनसनीखेज उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोपहर तीन बजे फैसला सुनाएंगे तो अदालत कक्ष के बाहर स्थिति तनावपूर्ण हो गई.

जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने निष्कासित भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 2017 में एक लड़की से बलात्कार के मामले में दोषी करार दिया. घटना के समय लड़की नाबालिग थी.

सेंगर और महिला सह-आरोपी शशि सिंह के परिवार के सदस्य और रिश्तेदार फैसले के लिए अदालत कक्ष के बाहर जुट गए थे.

कुछ ने कहा कि आरोपी बरी हो जाएंगे क्योंकि बचाव पक्ष के पास ठोस सबूत हैं जबकि कुछ ने कहा कि अगर दोषी करार दिया गया तो वे उच्च अदालतों में इसे चुनौती देंगे.

दोपहर दो बजकर 15 मिनट पर जैसे ही सुनवाई शुरू हुई तो दोनों पक्षों के वकीलों और मीडियाकर्मियों के अलावा किसी को भी अदालत कक्ष में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई.

सेंगर और सिंह को कड़ी सुरक्षा के बीच दोपहर दो बजकर 45 मिनट पर अदालत कक्ष में लाया गया.

सेंगर की बहन को फैसला सुनाने से पहले ही रोते हुए देखा गया क्योंकि उसने अपने एक रिश्तेदार को कहते हुए सुना था कि उसके भाई को दोषी करार दिए जाने की संभावना है.

उसका बहनोई तथा गांव के करीब 20 अन्य रिश्तेदार भी अदालत कक्ष के बाहर रो पड़े.

इस बीच, जैसे ही न्यायाधीश ने सिंह का फैसला पढ़ना शुरू किया था तो वह बेहोश हो गई. जब वह होश में आयी तो फफक फफककर रोने लगी. न्यायाधीश ने उसे बताया कि उसे बरी कर दिया गया है और पूछा कि क्या उसे डॉक्टर की जरूरत है.

जब सेंगर को अदालत कक्ष से जेल तक ले जाया जा रहा था तो बाहर एकत्रित भीड़ उसके पीछे हो चली लेकिन हालात काबू में कर लिए गए.

सेंगर की दो बेटियां भी रोने लगी. उनकी एक रिश्तेदार ने उन्हें दिलासा देते हुए कहा कि उनके पिता ने कुछ गलत नहीं किया है और लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है.

रिश्तेदार ने उनसे कहा, 'फैसला गलत तथा अन्यायपूर्ण है. लड़ाई खत्म नहीं हुई है. हम लड़ेंगे.'

दोषियों के वकीलों ने कहा कि वे फैसले के खिलाफ उच्च अदालतों में अपील करेंगे.

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उन्नाव में 2017 में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का दोषी करार देते हुए कहा कि 'शक्तिशाली व्यक्ति' के खिलाफ पीड़िता की गवाही 'सच्ची और बेदाग' है. अदालत ने सेंगर को भारतीय दंड संहिता के तहत दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम के तहत लोकसेवक द्वारा बच्ची के खिलाफ यौन हमले के अपराध का दोषी ठहराया.

अदालत सजा की अवधि पर बुधवार को दलीलें सुनेगी. इस अपराध के लिये अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने हालांकि सह-आरोपी शशि सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया.

पॉक्सो अधिनियम के तहत सेंगर (53) को दोषी ठहराते हुए अदालत ने कहा कि सीबीआई ने साबित किया कि पीड़िता नाबालिग थी और इस विशेष कानून के तहत चलाया गया मुकदमा सही था.

न्यायाधीश ने फैसला पढ़ते हुए कहा, 'मैंने उसके बयान को सच्चा और बेदाग पाया कि उस पर यौन हमला हुआ. उस पर खतरा था, वो चिंतित थी. वह गांव की लड़की है, महानगरीय शिक्षित इलाके की नहीं...सेंगर एक शक्तिशाली व्यक्ति था. इसलिये उसने अपना वक्त लिया....'

न्यायाधीश ने जब फैसला सुनाना शुरू किया तो सह-आरोपी सिंह बेहोश हो गया.

अदालत ने यह भी कहा कि पीड़िता द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखे जाने के बाद उसके परिवार वालों के खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे दर्ज किये गए और उन पर 'सेंगर की छाप' थी.

पीड़िता के वकील धर्मेन्द्र मिश्रा का बयान

अदालत ने दुष्कर्म के मामले में सीबीआई द्वारा आरोप पत्र दायर करने में की गई देरी पर भी हैरानी जताई और कहा कि इससे सेंगर और अन्य के खिलाफ मुकदमा लंबा चला.

अदालत ने आरोप पत्र दायर करने में देरी के साथ ही जांच में महिला अधिकारी की गैर मौजूदगी के लिये भी उसे आड़े हाथों लिया.

अदालत ने इस बात पर भी नाखुशी जाहिर की कि पीड़िता के बयान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को चुनिंदा तरीके से लीक किया गया ताकि उसके मामले को दबाया जा सके.

अदालत ने कहा, 'कानून के मुताबिक ऐसे मामलों में पीड़िता के बयान दर्ज करने के लिये महिला अधिकारी होनी चाहिए लेकिन आश्चर्यजनक रूप से पीड़िता के घर जाने के बजाए उसे कई बार सीबीआई दफ्तर बुलाया गया.'

पीड़िता की वकील पूनम कौशिक का बयान

अदालत ने कहा कि जैसा कि पॉक्सो अधिनियम की धारा 24 में उल्लेखित है ऐसे मामलों की जांच महिला अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए लेकिन पीड़ित लड़की को बार-बार सीबीआई दफ्तर बुलाकर उसके बयान लिये गए.

पॉक्सो का संदर्भ देते हुए अदालत ने कहा कि कानून में 'कुछ गलत' नहीं लेकिन इसे जमीनी स्तर पर प्रभावी तरीके से लागू करने और संबंधित अधिकारियों में मानवीय सोच की कमी से अक्सर ऐसी स्थिति बनती है जहां न्याय में देरी होती है.

अदालत ने कहा कि सीबीआई खुद जांच और अभियोजन से जुड़ी नियमावली का पालन नहीं करती है.

सेंगर ने 2017 में पीड़िता का अपहरण और दुष्कर्म किया था जब वह नाबालिग थी.

अदालत ने सह आरोपी शशि सिंह के खिलाफ भी आरोप तय किये थे. भाजपा ने उत्तर प्रदेश के बांगरमऊ से चार बार के विधायक सेंगर को अगस्त 2019 में पार्टी से निष्कासित कर दिया था.

अदालत ने नौ अगस्त को विधायक और सिंह के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, अपहरण, बलात्कार और पॉक्सो कानून से संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए थे.

पीड़िता का बयान दर्ज करने के लिए यहां स्थित एम्स अस्पताल में 11,12 और 13 सितंबर को एक विशेष अदालत भी बनाई गई. पीड़िता को लखनऊ के एक अस्पताल से हवाई एंबुलेन्स के जरिये दिल्ली ला कर यहां भर्ती कराया गया था.

उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मामले को लखनऊ की अदालत से दिल्ली स्थानांतरित किया गया था . न्यायाधीश ने यहां पांच अगस्त से दैनिक आधार पर मामले में सुनवाई की.

पीड़िता की कार को इसी साल 28 जुलाई में एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी, जिसमें वह गंभीर रूप से जख्मी हो गई थी. दुर्घटना में युवती की दो रिश्तेदार मारी गईं और उसके परिवार ने इसमें षड्यंत्र होने के आरोप लगाए थे.

उसके पिता को कथित रूप से अवैध हथियार रखने के मामले में फंसाया गया था और तीन अप्रैल 2018 को उन्हें गिरफ्तार किया गया था. कुछ दिनों बाद नौ अप्रैल को उनकी न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी. स्थानीय अदालत ने इस मामले में विधायक, उसके भाई अतुल व नौ अन्य पर हत्या और अन्य आरोप तय किये थे.

उच्चतम न्यायालय ने उन्नाव बलात्कार मामले में दर्ज सभी पांच मामलों को एक अगस्त को उत्तरप्रदेश में लखनऊ की अदालत से दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करते हुए निर्देश दिया कि रोजाना आधार पर सुनवाई की जाए और इसे 45 दिनों के अंदर पूरा किया जाए. न्यायालय ने यह व्यवस्था पीड़िता द्वारा भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को लिखे पत्र पर संज्ञान लेते हुए दी थी.

चार अन्य मामलों - पीड़िता के पिता को अवैध हथियार के मामले में फंसाने और न्यायिक हिरासत में उनकी मौत, दुर्घटना मामले में सेंगर और अन्य की साजिश तथा पीड़िता से तीन अन्य द्वारा दुष्कर्म के एक अलग मामले- की सुनवाई चल रही है.

उच्चतम न्यायालय के आदेशों पर युवती और उसके परिवार को सीआरपीएफ की सुरक्षा दी गई है. दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की सहायता से वे फिलहाल राष्ट्रीय राजधानी में एक किराये के घर में रह रहे हैं.

उन्नाव बलात्कार मामले में तीस हजारी जिला अदालत में सोमवार को जैसे ही कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया गया तो वह और उसके परिवार के सदस्य रो पड़े. विधायक की बहन अदालत कक्ष में घुसी और रोने लगी.

वकीलों ने जैसे ही बताया कि न्यायाधीश 2017 के सनसनीखेज उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोपहर तीन बजे फैसला सुनाएंगे तो अदालत कक्ष के बाहर स्थिति तनावपूर्ण हो गई.

जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने निष्कासित भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 2017 में एक लड़की से बलात्कार के मामले में दोषी करार दिया. घटना के समय लड़की नाबालिग थी.

सेंगर और महिला सह-आरोपी शशि सिंह के परिवार के सदस्य और रिश्तेदार फैसले के लिए अदालत कक्ष के बाहर जुट गए थे.

कुछ ने कहा कि आरोपी बरी हो जाएंगे क्योंकि बचाव पक्ष के पास ठोस सबूत हैं जबकि कुछ ने कहा कि अगर दोषी करार दिया गया तो वे उच्च अदालतों में इसे चुनौती देंगे.

दोपहर दो बजकर 15 मिनट पर जैसे ही सुनवाई शुरू हुई तो दोनों पक्षों के वकीलों और मीडियाकर्मियों के अलावा किसी को भी अदालत कक्ष में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई.

सेंगर और सिंह को कड़ी सुरक्षा के बीच दोपहर दो बजकर 45 मिनट पर अदालत कक्ष में लाया गया.

सेंगर की बहन को फैसला सुनाने से पहले ही रोते हुए देखा गया क्योंकि उसने अपने एक रिश्तेदार को कहते हुए सुना था कि उसके भाई को दोषी करार दिए जाने की संभावना है.

उसका बहनोई तथा गांव के करीब 20 अन्य रिश्तेदार भी अदालत कक्ष के बाहर रो पड़े.

इस बीच, जैसे ही न्यायाधीश ने सिंह का फैसला पढ़ना शुरू किया था तो वह बेहोश हो गई. जब वह होश में आयी तो फफक फफककर रोने लगी. न्यायाधीश ने उसे बताया कि उसे बरी कर दिया गया है और पूछा कि क्या उसे डॉक्टर की जरूरत है.

जब सेंगर को अदालत कक्ष से जेल तक ले जाया जा रहा था तो बाहर एकत्रित भीड़ उसके पीछे हो चली लेकिन हालात काबू में कर लिए गए.

सेंगर की दो बेटियां भी रोने लगी. उनकी एक रिश्तेदार ने उन्हें दिलासा देते हुए कहा कि उनके पिता ने कुछ गलत नहीं किया है और लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है.

रिश्तेदार ने उनसे कहा, 'फैसला गलत तथा अन्यायपूर्ण है. लड़ाई खत्म नहीं हुई है. हम लड़ेंगे.'

दोषियों के वकीलों ने कहा कि वे फैसले के खिलाफ उच्च अदालतों में अपील करेंगे.

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Last Updated : Dec 16, 2019, 10:37 PM IST
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