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Bengal News: बंगाल के सरकारी अस्पताल ने जीवित नवजात का जारी कर दिया मृत्यु प्रमाण पत्र

पश्चिम बंगाल के एक सरकारी अस्पताल में अजीब घटना सामने आई है. आरोप है कि यहां के डॉक्टरों ने एक नवजात का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया, जब वह जीवित था (hospital issued death certificate of New born). यह घटना शनिवार को पश्चिम मेदिनीपुर जिले के सरकारी घाटल सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हुई.

govt hospital in Bengal
परिजनों को समझाते पुलिसवाले
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Published : Apr 9, 2023, 5:30 PM IST

घाटाल (पश्चिम बंगाल) : पश्चिम बंगाल के एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही का मामला सामने आया है. यहां डॉक्टरों ने एक नवजात को मृत घोषित कर दिया, जबकि वह जीवित था. परिवार के सदस्य उसका अंतिम संस्कार करने वाले थे, देखा तो बच्चा जीवित था. यह घटना शनिवार को पश्चिम मेदिनीपुर जिले के सरकारी घाटल सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हुई.

जानकारी के मुताबिक शनिवार तड़के मोनालिसा खातून को प्रसव पीड़ा के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया. दोपहर करीब दो बजे उसने पुत्र को जन्म दिया. डॉक्टरों ने दावा किया कि बच्चा प्री-मैच्योर है. शाम करीब 5 बजे परिवार के सदस्यों को बताया गया कि बच्चे की मौत हो गई है.

परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टरों ने न केवल बच्चे को मृत घोषित कर दिया बल्कि मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर शव माता-पिता को सौंपने से पहले पैक कर दिया.

दुखी परिजन बच्चे का अंतिम संस्कार करने ही वाले थे कि देखा बच्चे की सांसे चल रही थीं. वे बच्चे को वापस अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने आईसीयू वार्ड में उसका इलाज फिर से शुरू कर दिया. हालांकि, बच्चा नहीं बचा और रविवार सुबह उसकी मौत हो गई.

इस घटना के बाद से बच्चे के पिता और ग्रामीणों में रोष है. उनका कहना है कि डॉक्टर जीवित बच्चे का मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे जारी कर सकते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि बच्चे को कई घंटों तक बंद रखने के बाद से उसकी हालत और बिगड़ गई.

मृतक के परिवार के सदस्यों ने दोषी डॉक्टरों के लिए सजा की मांग की है. उनका कहना है कि वे इसकी शिकायत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से करेंगे. घटना के बाद, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ जिलाधिकारी ने अस्पताल अधीक्षक से मुलाकात की. अस्पताल अधीक्षक ने कहा कि मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है और मामले में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी.

पढ़ें- उत्तराखंड: डॉक्टरों ने जिंदा मरीज को बताया मृत, अंतिम संस्कार के दौरान हुआ खुलासा

घाटाल (पश्चिम बंगाल) : पश्चिम बंगाल के एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही का मामला सामने आया है. यहां डॉक्टरों ने एक नवजात को मृत घोषित कर दिया, जबकि वह जीवित था. परिवार के सदस्य उसका अंतिम संस्कार करने वाले थे, देखा तो बच्चा जीवित था. यह घटना शनिवार को पश्चिम मेदिनीपुर जिले के सरकारी घाटल सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हुई.

जानकारी के मुताबिक शनिवार तड़के मोनालिसा खातून को प्रसव पीड़ा के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया. दोपहर करीब दो बजे उसने पुत्र को जन्म दिया. डॉक्टरों ने दावा किया कि बच्चा प्री-मैच्योर है. शाम करीब 5 बजे परिवार के सदस्यों को बताया गया कि बच्चे की मौत हो गई है.

परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टरों ने न केवल बच्चे को मृत घोषित कर दिया बल्कि मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर शव माता-पिता को सौंपने से पहले पैक कर दिया.

दुखी परिजन बच्चे का अंतिम संस्कार करने ही वाले थे कि देखा बच्चे की सांसे चल रही थीं. वे बच्चे को वापस अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने आईसीयू वार्ड में उसका इलाज फिर से शुरू कर दिया. हालांकि, बच्चा नहीं बचा और रविवार सुबह उसकी मौत हो गई.

इस घटना के बाद से बच्चे के पिता और ग्रामीणों में रोष है. उनका कहना है कि डॉक्टर जीवित बच्चे का मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे जारी कर सकते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि बच्चे को कई घंटों तक बंद रखने के बाद से उसकी हालत और बिगड़ गई.

मृतक के परिवार के सदस्यों ने दोषी डॉक्टरों के लिए सजा की मांग की है. उनका कहना है कि वे इसकी शिकायत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से करेंगे. घटना के बाद, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ जिलाधिकारी ने अस्पताल अधीक्षक से मुलाकात की. अस्पताल अधीक्षक ने कहा कि मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है और मामले में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी.

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