चंडीगढ़: कहावत है कि 'बुढ़ापे को लाठी का सहारा' मतलब ये कि कोई ऐसा शख्स जो आखिरी उम्र तक आपकी देख-भाल कर सके, लेकिन चंडीगढ़ की रहने वाली 94 साल की हरभजन कौर (94 Year Old Entrepreneur In Chandigarh) ने इस कहावत को गलत सबित कर दिखाया है. उन्होंने ये सबित किया है कि अगर आपमें कुछ करने का जज्बा हो तो आपकी उम्र मायने नहीं रखती. मायने रखती है तो सिर्फ आपकी लगन और उस काम को करने के लिए पक्के इरादे.
हरभजन कौर ने आज से 4 साल पहले यानी 90 साल की उम्र में खुद का स्टार्टअप (Harbhajan Kaur Besan Ki Barfi Startup) शुरू किया. जो आज एक ब्रांड बन चुका है. हरभजन कौर ने बेसन की बर्फी बनाने से अपना व्यवसाय शुरू किया था, लेकिन आज वो बेसन की बर्फी के साथ आचार, कई तरह की चटनियां और शरबत भी बना रही हैं. जिन्हें लोग काफी पसंद कर रहे हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान हरभजन कौर ने बताया कि उनकी उम्र आज 94 साल हो चुकी है. हमेशा से ही उनके मन में एक ख्वाहिश थी कि वे खुद का कुछ काम करें, क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी में हर जिम्मेदारी को निभाया है. चाहे वो माता-पिता की देखभाल हो, शादी हो या घर-गृहस्थी हो. हरभजन ने कहा कि इन सब के बीच मैंने कभी अपने बलबूते पर कोई काम नहीं किया और ना ही जिंदगी भर एक भी रुपया कमाया. उनके मन में यही एक अधूरी ख्वाहिश थी कि वो खुद कुछ काम करें और अपने काम के जरिए पैसा कमाएं. जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने इस स्टार्टअप की शुरुआत की.
ऐसे हुई स्टॉर्टअप की शुरुआत: मां की बढ़ती उम्र दो देखते हुए एक दिन हरभजन कौर की बेटी रवीना सूरी ने उनसे पूछा कि आपको कहीं जाने की इच्छा है? या कुछ ऐसा करने की जो आप नहीं कर पाईं. तब हरभजन कौर ने कहा कि आज तक मुझे इस बात का मलाल है कि मैंने पैसे नहीं कमाए. फिर उनकी बेटी ने पूछा की आपको क्या करने की इच्छा है. तब बुजुर्ग ने कहा की मैंने जीवन भर घर में खाना बनाया है. मुझे बेसन की बर्फी बनानी आती है. मैं उसको बेचकर पैसे कमाना चाहती हूं. कोई तो मेरी बनाई बेसन की बर्फी खरीद ही लेगा. यहीं से रखी गई स्टार्टअप की नींव.
लोगों को पसंद आई बर्फियां: सबसे पहले हरभजन कौर की बेटी की मदद से बनाई गई बेसन की बर्फियों को बाजार में लोगों को मुफ्त खिलाया गया. लोगों और दुकानदारों को ये खूब पसंद आई. इसके बाद उनके पास बर्फी के ऑर्डर आने शुरू हो गए. हरभजन कौर को 5 किलो बेसन की बर्फी का पहला ऑर्डर सेक्टर 18 ऑर्गनिक बाजार से मिला. उनकी बनाई हुई बर्फियां लोगों को बहुत पसंद आई. पहली कमाई को उन्होंने अपनी तीनों बेटियों में बराबर बांट दिया और कहा कि अपनी कमाई की बात कुछ और ही होती है. इसके बाद परिजनों ने सोचा कि मां का शौक पूरा हो गया है. अब वो आराम करेंगी.
आनंद महिंद्रा के ट्वीट से बनी ब्रांड: जैसे-जैसे ऑर्डर की संख्या बढ़ने लगी वैसे-वैसे हरभजन कौर ने बर्फियां बनानी शुरू कर दीं. हरभजन कौर ने ईटीवी भारत को बताया कि इस दौरान महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी के मालिक आनंद महिंद्रा को जब उनके बारे में जानकारी मिली तो, उन्होंने भी उनकी तारीफ करते हुए एक ट्वीट किया. आनंद महिंद्रा के ट्वीट के बाद उनके पास आने वाले ऑर्डर की संख्या और ज्यादा बढ़ गई. तब घर में इतने पैमाने पर माल तैयार करना संभव नहीं था. इसलिए उन्होंने मोहाली में एक जगह ली और वहां पर अपनी रसोई शुरू की. अब मोहाली में ही प्रोडक्शन का काम किया जाता है. उन्होंने कुछ लोगों को भी प्रशिक्षण देकर अपने साथ काम पर लगाया है.
हरभजन कौर अमृतसर के नजदीक तरण-तारण की रहने वाली हैं, उनकी उम्र 94 साल है, जब उनकी शादी हुई तो वो अपने पति के साथ लुधियाना आ गईं, लेकिन दस साल पहले उनके पति का देहांत हो गया, जिसके बाद वो अपनी बेटी के पास चंडीगढ़ आ गईं. हरभजन कौर की तीन बेटियां हैं. जिनमें से वो चंडीगढ़ में अपनी बेटी रवीना सूरी के पास रहती हैं. रवीना सूरी ने बताया कि जब उनकी मां ने अपनी इच्छा उन्हें बताई तो, उन्होंने उनको प्रोत्साहित किया और उनकी सहायता की.
जैसे-जैसे लोगों को इसके बारे में पता चलता गया वैसे-वैसे हमारे पास ऑडर्स भी बढ़ते गए. कोविड में उनके पास ज्यादा ऑर्डर्स बढ़े, क्योंकि तब लोग बाहर का खाना नहीं लेना चाहते थे. लोग सिर्फ घर का बना खाना ही खाना चाहते थे. तब उनके पास काफी ऑर्डर आए. रवीना सूरी ने बताया कि बेसन की बर्फी दो पैकिंग में बेची जाती हैं. एक 450 ग्राम की पैकिंग है. जिसका रेट है ₹550 और एक 800 ग्राम की पैकिंग है जिसका रेट ₹850 है.
अब बेसन की बर्फी के अलावा बादाम का शरबत, लौकी की आइसक्रीम, टमाटर की चटनी, दाल का हलवा, आचार भी बनाया जाता है. चंडीगढ़ के साप्ताहिक ऑर्गनिक बाजार में उनकी बर्फी की बहुत मांग है. इस उम्र में आने के बाद हरभजन कौर थोड़ा धीमा काम करती हैं, लेकिन उनके बनाए हुए खाद्य पदार्थ इतने स्वादिष्ट होते हैं, कि उनके ग्राहकों को इंतजार करने में कोई परेशानी नहीं होती. हरभजन कौर ने कहा कि वो लोगों को ये संदेश देना चाहती हैं कि अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती. हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए. हम जब चाहे जिंदगी की शुरुआत फिर से कर सकते हैं. अगर आप मेहनत करेंगे तो आपको सफलता भी जरूर मिलेगी.
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