भ्रष्टाचार पर बेअसर हुईं 'शक्तिविहीन लोकायुक्त' की सिफारिशें
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चंडीगढ़: भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जनता को उनके अधिकार मिले, उन्हें न्याय मिले, इसके लिए जैसे प्रवाधान किए गए हैं उसकी तारीफ पूरी दुनिया में की जाती है. भारत की संसद, राज्यों की विधानसभाओं और न्यायालयों में इस लोकतंत्र को और कैसे मजबूत बनाया जाए, सुधार किया जाए, इस पर हमेशा चिंतन होता रहता है, ताकि देश के हर तबके को उसका हक सम्मान सहित मिले. ताकि देश में समानता का अधिकार हो और भ्रष्ट प्रकृति के लोगों के लिए दंड़ का प्रावधान हो. इसके लिए देश में कानून बनाने के लिए संसद है, कानून बनाने और उसके प्रभाव की चिंता करने वाले राजनेता हैं, उस कानून को लागू करने के लिए प्रशासन है. नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस है और दोषी को सजा देने के लिए न्यायालय है. इसी कड़ी में इस 'सिस्टम' को और प्रभावी करने के लिए हरियाणा में लोकायुक्त एक्ट 1998 में बना था.