संकट में गडरिया समाज: रेडिमेड के जमाने में हाशिए पर रोजगार, नई पीढ़ी ने छोड़ा पुश्तैनी काम

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करनाल: समय के साथ दुनिया आगे बढ़ी है. आधुनिकता के इस दौर में लोगों ने अपने रहन सहन में भी बदलाव किया है और इसका सीधा असर उन जातियों और जन जातियों को हुआ, जो पुश्तैनी काम को रोजगार के रूप में पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाती रहीं. इन्ही जातियों में गडरिया समाज है. जिनका अस्तित्व अब खत्म होने के कागार पर है, क्योंकि समय की दौड़ में इनके पुश्तैनी काम से दो वक्त की रोजी रोटी का जुगाड़ कर पाना मुश्किल (Business Crisis Of Shepherd Society) हो चुका है. करनाल जिले में बड़थल गांव के भेड़ पालक (Badthal Village Shepherd Society in karnal) कलीराम के बड़े-बुजुर्ग दशकों से भेड़-बकरियों का पालन करते आ रहे हैं. कलीराम ने भी अपने पुश्तैनी काम को आगे बढ़ाया और भेड़ों का पालन करते रहे, लेकिन अब इस पुश्तैनी काम को उनकी अगली पीढ़ी नहीं अपनाएगी. कलिराम का कहना है कि भेड़ पालन घाटे का सौदा है. इस वजह से नए बच्चे इस काम में नहीं आना चाहते.

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