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Buffalo - Cow Urine : भैंस का मूत्र इस मामले में ज्यादा अच्छा, गोमूत्र को लेकर ICAR - IVRI ने किए चौंकाने वाले खुलासे

ICAR - IVRI में महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख Bhojraj Singh ने कहा, गाय, भैंस और मनुष्यों के 73 मूत्र नमूनों के विश्लेषण से पता चलता है कि भैंस के मूत्र में जीवाणुरोधी गतिविधि cow urine (गोमूत्र) की तुलना में अधिक बेहतर थी. भैंस का मूत्र एस एपिडर्मिडिस और ई रैपोंटिसी की तरह बैक्टीरिया पर अधिक प्रभावी था.

Buffalo - Cow Urine
गोमूत्र चिकित्सा
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Published : Apr 12, 2023, 10:20 AM IST

बरेली : दशकों से चमत्कारिक औषधि के रूप में जाना जाता रहा Cow Urine ( गोमूत्र ) मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त पाया गया है. क्योंकि इसमें हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं. देश की प्रमुख पशु अनुसंधान संस्था बरेली स्थित ICAR-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान ( IVRI ) द्वारा किए गए शोध में पाया गया है कि भैंस का मूत्र कुछ बैक्टीरिया पर अधिक प्रभावी था.

तीन पीएचडी छात्रों के साथ संस्थान के भोज राज सिंह के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पाया गया कि स्वस्थ गायों और बैलों के मूत्र के नमूनों में एस्चेरिचिया कोलाई की उपस्थिति के साथ कम से कम 14 प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं, जो पेट में संक्रमण का कारण बन सकते हैं. शोध के निष्कर्ष ऑनलाइन रिसर्च वेबसाइट रिसर्चगेट में प्रकाशित किए गए हैं. ICAR - IVRI में महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख भोजराज सिंह ने कहा, गाय, भैंस और मनुष्यों के 73 मूत्र के नमूनों के विश्लेषण से पता चलता है कि भैंस के मूत्र में जीवाणुरोधी गतिविधि गायों की तुलना में कहीं अधिक बेहतर थी. भैंस का मूत्र एस एपिडर्मिडिस और ई रैपोंटिसी की तरह बैक्टीरिया पर काफी अधिक प्रभावी था.

मूत्र उपभोग की सिफारिश नहीं
Bhojraj Singh ने कहा, हमने स्थानीय डेयरी फार्मों से तीन प्रकार की गायों साहीवाल, थारपारकर और विंदावानी (क्रॉस ब्रीड) के मूत्र के नमूने एकत्र किए, साथ ही भैंसों और मनुष्यों के नमूने भी लिए. यह शोध पिछले साल जून व नवंबर के बीच किया गया. शोध के निष्कर्षो के मुताबिक यह धारणा सही नहीं है कि गोमूत्र जीवाणुरोधी होते हैं. उन्होंने कहा, किसी भी मामले में मानव उपभोग के लिए मूत्र की सिफारिश नहीं की जा सकती है.

बरेली : दशकों से चमत्कारिक औषधि के रूप में जाना जाता रहा Cow Urine ( गोमूत्र ) मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त पाया गया है. क्योंकि इसमें हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं. देश की प्रमुख पशु अनुसंधान संस्था बरेली स्थित ICAR-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान ( IVRI ) द्वारा किए गए शोध में पाया गया है कि भैंस का मूत्र कुछ बैक्टीरिया पर अधिक प्रभावी था.

तीन पीएचडी छात्रों के साथ संस्थान के भोज राज सिंह के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पाया गया कि स्वस्थ गायों और बैलों के मूत्र के नमूनों में एस्चेरिचिया कोलाई की उपस्थिति के साथ कम से कम 14 प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं, जो पेट में संक्रमण का कारण बन सकते हैं. शोध के निष्कर्ष ऑनलाइन रिसर्च वेबसाइट रिसर्चगेट में प्रकाशित किए गए हैं. ICAR - IVRI में महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख भोजराज सिंह ने कहा, गाय, भैंस और मनुष्यों के 73 मूत्र के नमूनों के विश्लेषण से पता चलता है कि भैंस के मूत्र में जीवाणुरोधी गतिविधि गायों की तुलना में कहीं अधिक बेहतर थी. भैंस का मूत्र एस एपिडर्मिडिस और ई रैपोंटिसी की तरह बैक्टीरिया पर काफी अधिक प्रभावी था.

मूत्र उपभोग की सिफारिश नहीं
Bhojraj Singh ने कहा, हमने स्थानीय डेयरी फार्मों से तीन प्रकार की गायों साहीवाल, थारपारकर और विंदावानी (क्रॉस ब्रीड) के मूत्र के नमूने एकत्र किए, साथ ही भैंसों और मनुष्यों के नमूने भी लिए. यह शोध पिछले साल जून व नवंबर के बीच किया गया. शोध के निष्कर्षो के मुताबिक यह धारणा सही नहीं है कि गोमूत्र जीवाणुरोधी होते हैं. उन्होंने कहा, किसी भी मामले में मानव उपभोग के लिए मूत्र की सिफारिश नहीं की जा सकती है.

(आईएएनएस)

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