ETV Bharat / state

बच्चों का पेट पालने के लिए श्मशान में शवों के संस्कार का काम करती हैं रेणू रानी

परिवार का पालन पोषण करने और बच्चों की मोह ममता इंसान से क्या कुछ नहीं करवा देती. इसका नजारा यमुनानगर के श्मशान घाट में देखने को मिला जहां एक महिला अपने बच्चों का पेट पालने के लिए शवों का संस्कार करने का काम करती है.

woman works cremate dead bodies
woman works cremate dead bodies
author img

By

Published : Mar 9, 2021, 10:13 PM IST

Updated : Jun 7, 2021, 10:40 PM IST

यमुनानगर: हिंदू धर्म में महिलाओं को जहां श्मशान में जाने की इजाजत नहीं होती तो वहीं यमुनानगर में अपने बच्चों का पेट पालने के लिए एक महिला शवों का संस्कार करने का काम कर रही है. जो आधुनिक युग में एक बड़ी मिसाल बन रही हैं.

इतिहास गवाह है कि राजा हरिश्चंद्र जैसे महापुरुष भी श्मशान घाट में जाकर शव को जलाने का काम करते थे. वही शवों का संस्कार कर रही इस महिला का कहना है कि कोई भी काम अच्छा या बुरा और बड़ा या छोटा नहीं होता. वह इस काम को उसी लगन से करती हैं जिस लगन से लोग दूसरे काम करने में खुश होते हैं.

बच्चों का पेट पालने के लिए श्मशान में शवों के संस्कार का काम करती हैं रेणू रानी

दरअसल, इस महिला का पति भी शवों के संस्कार करने का काम करता था, लेकिन कुछ साल पहले उसका देहांत हो गया. जिससे घर में चूल्हा जलाना तक मुश्किल हो गया, लेकिन कहावत है कि काम करने वाले की कभी हार नहीं होती और इस महिला ने ठाना कि वह अपने बच्चों का पेट पालने के लिए वही काम करेगी जो उसका पति करता था.

ये भी पढ़ें: दक्षिण सूडान में यूनाइटेड नेशन आर्मी में तैनात होकर देश की सेवा कर रही है भिवानी की मेजर बिंदेश्वरी

अपने परिवार का पालन पोषण करने में लगी इस महिला का कहना है कि काम तो काम होता है. शवों का संस्कार करने वाली इस महिला के तीन बच्चे हैं और इसके पति का करीब 5 साल पहले देहांत हो चुका है.

महिला की सास भी उन्हीं के साथ रहती है. 7000 रुपये मासिक वेतन और सौ रुपये प्रति शव के हिसाब से ये महिला यहां काम कर रही है और इसके पति भी यही काम करते थे. महिला के ससुर भी करनाल के शिवपुरी में शवों का संस्कार करने का काम करते थे.

ये भी पढे़ं- इन दो सीटों पर उपचुनाव के लिए सरकार ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र

यमुनानगर: हिंदू धर्म में महिलाओं को जहां श्मशान में जाने की इजाजत नहीं होती तो वहीं यमुनानगर में अपने बच्चों का पेट पालने के लिए एक महिला शवों का संस्कार करने का काम कर रही है. जो आधुनिक युग में एक बड़ी मिसाल बन रही हैं.

इतिहास गवाह है कि राजा हरिश्चंद्र जैसे महापुरुष भी श्मशान घाट में जाकर शव को जलाने का काम करते थे. वही शवों का संस्कार कर रही इस महिला का कहना है कि कोई भी काम अच्छा या बुरा और बड़ा या छोटा नहीं होता. वह इस काम को उसी लगन से करती हैं जिस लगन से लोग दूसरे काम करने में खुश होते हैं.

बच्चों का पेट पालने के लिए श्मशान में शवों के संस्कार का काम करती हैं रेणू रानी

दरअसल, इस महिला का पति भी शवों के संस्कार करने का काम करता था, लेकिन कुछ साल पहले उसका देहांत हो गया. जिससे घर में चूल्हा जलाना तक मुश्किल हो गया, लेकिन कहावत है कि काम करने वाले की कभी हार नहीं होती और इस महिला ने ठाना कि वह अपने बच्चों का पेट पालने के लिए वही काम करेगी जो उसका पति करता था.

ये भी पढ़ें: दक्षिण सूडान में यूनाइटेड नेशन आर्मी में तैनात होकर देश की सेवा कर रही है भिवानी की मेजर बिंदेश्वरी

अपने परिवार का पालन पोषण करने में लगी इस महिला का कहना है कि काम तो काम होता है. शवों का संस्कार करने वाली इस महिला के तीन बच्चे हैं और इसके पति का करीब 5 साल पहले देहांत हो चुका है.

महिला की सास भी उन्हीं के साथ रहती है. 7000 रुपये मासिक वेतन और सौ रुपये प्रति शव के हिसाब से ये महिला यहां काम कर रही है और इसके पति भी यही काम करते थे. महिला के ससुर भी करनाल के शिवपुरी में शवों का संस्कार करने का काम करते थे.

ये भी पढे़ं- इन दो सीटों पर उपचुनाव के लिए सरकार ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र

Last Updated : Jun 7, 2021, 10:40 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.