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पाकिस्तान के हिंदू तीर्थ कटासराज से जुड़ी हैं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की यादें, जानिए कैसे?

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Published : Aug 16, 2019, 7:21 PM IST

1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारत-पाक के बीच रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए बस लेकर लाहौर गए थे. इस यात्रा को सफल बनाने में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का भी योगदान था.

पाकिस्तान के हिंदू तीर्थ कटासराज से जुड़ी सुषमा स्वराज की यादें

यमुनानगर: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वो याद बनकर हमारे दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी. ऐसी ही एक याद सुषमा स्वराज की कटासराज मंदिर से जुड़ी है. वही भगवान शिव का प्राचीन मंदिर जो भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान के हिस्से में आ गया था.

कहते हैं कि इसी मंदिर में यक्ष-युधिष्ठिर संवाद हुआ था, यहीं देवी सती की अग्नि समाधि के बाद भगवान शिव के आंसू गिरे थे और विश्व प्रसिद्ध रोमां संगीत की उत्पत्ति का क्षेत्र भी इसे ही माना जाता है. इसी प्राचीन मंदिर में दिवंगत पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 1999 में अपना जन्मदिन मनाया था और उस दिन शिवरात्री भी थी.

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बारे में ज्यादा जानने के लिए वीडियो पर क्लिक करें.

कटासराज में मनाया था सुषमा स्वराज ने अपना जन्मदिन
1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारत-पाक के बीच रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए बस लेकर लाहौर गए थे. इस यात्रा को सफल बनाने में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का भी योगदान था.

यमुनानगर की केंद्रीय सनातन धर्म सभा पाकिस्तान में हिंदू तीर्थ स्थल कटासराज में 22 सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल को लेकर गई थी. इसमें सुषमा स्वराज, मीरा कुमार, बलराम जाखड़, राज्यसभा सदस्य लाजपतराय और मणिशंकर अय्यर जैसे बड़े नेता भी शामिल थे.

कटासराज की दशा देख हुई थीं दुखी
सुषमा स्वराज जब कटासराज यात्रा से लौंटी तो वो मंदिर की दशा ठीक करने का मन बना चुकी थीं. बाद में जब वो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री बनीं तो उन्होंने 'धरती का दूसरा नेत्र' के नाम से प्रसिद्ध कटासराज के लिए बहुत से विकास कार्य किए.

यमुनानगर: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वो याद बनकर हमारे दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी. ऐसी ही एक याद सुषमा स्वराज की कटासराज मंदिर से जुड़ी है. वही भगवान शिव का प्राचीन मंदिर जो भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान के हिस्से में आ गया था.

कहते हैं कि इसी मंदिर में यक्ष-युधिष्ठिर संवाद हुआ था, यहीं देवी सती की अग्नि समाधि के बाद भगवान शिव के आंसू गिरे थे और विश्व प्रसिद्ध रोमां संगीत की उत्पत्ति का क्षेत्र भी इसे ही माना जाता है. इसी प्राचीन मंदिर में दिवंगत पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 1999 में अपना जन्मदिन मनाया था और उस दिन शिवरात्री भी थी.

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बारे में ज्यादा जानने के लिए वीडियो पर क्लिक करें.

कटासराज में मनाया था सुषमा स्वराज ने अपना जन्मदिन
1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारत-पाक के बीच रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए बस लेकर लाहौर गए थे. इस यात्रा को सफल बनाने में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का भी योगदान था.

यमुनानगर की केंद्रीय सनातन धर्म सभा पाकिस्तान में हिंदू तीर्थ स्थल कटासराज में 22 सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल को लेकर गई थी. इसमें सुषमा स्वराज, मीरा कुमार, बलराम जाखड़, राज्यसभा सदस्य लाजपतराय और मणिशंकर अय्यर जैसे बड़े नेता भी शामिल थे.

कटासराज की दशा देख हुई थीं दुखी
सुषमा स्वराज जब कटासराज यात्रा से लौंटी तो वो मंदिर की दशा ठीक करने का मन बना चुकी थीं. बाद में जब वो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री बनीं तो उन्होंने 'धरती का दूसरा नेत्र' के नाम से प्रसिद्ध कटासराज के लिए बहुत से विकास कार्य किए.

Intro:एंकर _ भारतीयों की आस्था व श्रद्धा के प्रति भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर पाकिस्तान में होने के कारण हर साल हजारों भारतीय साल में दो बार वहां बने कटास राज मंदिर व कुंड की यात्रा के लिए जाते थे…इस यात्रा के लिए सुषमा स्वराज ने दोनों देशों के बीच अहम भूमिका निभाई थी..

हरियाणा की बेटी, भारतीय जनता पार्टी की दिग्गज नेत्री के लिए शिवप्रसाद बजाज कटासराज यात्रा के संयोजक भावुक होते हुए कहा कि इस दुखद घड़ी में सुषमा स्वराज के लिए क्या कहूं वह मेरे बड़ी नजदीक थी छोटी बहन कहूं या बेटी कहूं दोनों रिश्तो में ही मैं उससे बहुत प्यार करता था. वह 1999 में जो डेलिगेशन श्री कटासराज गया था उसमें सुषमा स्वराज भी उस डेलिगेशन में साथ गई थी. सुषमा जी ने जब वहां की दुर्दशा देखी तो वह बड़ी दुखी हुई क्योंकि अमर कुंड में जल ही नहीं था क्योंकि वहां की सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं था…अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में जब वह मंत्री बनी तो धरती का दूसरा नेत्र श्री कटासराज के लिए बहुत विकास कार्य किए. कटासराज यात्रा के लिए हम गए वह लम्हे मुझे बड़ी अच्छी तरह से याद है…Body:वीओ यहां गिरे थे भगवान शंकर के आंसू, तभी से हो रहा चमत्कार..!
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित श्री कटासराज तीर्थ हिंदुओं का ऐसा ही धर्मस्थल है. जो किसी समय हिन्दू धर्म के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित था. सन 1947 में देश के बंटवारे के बाद इस तीर्थ-राज के पाकिस्तान का हिस्सा बन जाने के बाद हम इसे कुछ भूलने जरूर लगे, पर इस तीर्थ की ऐसी महिमा है. कि आज भी हिन्दुओं के धार्मिक जत्थे इसके दर्शनों के लिए वहां जाते हैं. श्री कटासराज की महिमा का एक वर्णन हिन्दुओं के प्रमुख ग्रंथ महाभारत में मिलता है. इसके मुताबिक इस स्थान पर युधिष्ठिर और ऋषि यक्ष के मध्य वह बहुचचिर्त संवाद हुआ था. जिसमें धर्मराज युधिष्ठिर ने यक्ष के सभी सवालों के उत्तर देकर धर्मराज की पदवी हासिल की थी. साथ ही, यक्ष के जरिए अपने चारों भाइयों- भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव को अचेत अवस्था से श्री कटासराज के अमर कुंड के पवित्र जल से पुन: जीवित करवाया था. सिर्फ इसी प्रकरण से इस महान तीर्थ की महिमा समस्त संसार में फैल गई. हमारे कुछ शास्त्रों में इस तीर्थ को 'धरती का नेत्र' कहा गया है…

वीओ_ शिवप्रसाद बजाज का कहना है कि दुख की घड़ी है आज हमारे मध्य में ऐसी महान शख्सियत जिनके अपनी जिंदगी के हर पहलू के अंदर मुफ्तलीफ हमारी श्री कटासराज यात्रा को ले लीजिए…कैलाश मानसरोवर यात्रा धार्मिक पहलू में भी वह बहुत आगे थी. मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ 1999 में हमारा एक जत्था जो श्री कटासराज यात्रा के लिए गया था.

यह 1999 की बात है कि जब सुषमा स्वराज उस डेलिगेशन में शामिल थी जब श्री कटासराज में हमारी रिसेप्शन चल रही थी तो सुषमा स्वराज ने कहा कि बजाज भाई साहब आज मेरा जन्मदिन भी है उस दिन शिवरात्रि का दिन था 14 फरवरी 1999 मुझे बड़ी खुशी हुई की बहन जी आपका जन्मदिन बड़ी खूबसूरती से मनाया जाएगा आप इतने सौभाग्यशाली हैं की श्री कटासराज जी के घर पर आज हम आपका जन्मदिन मनाएंगे..

मुझे बड़ी खुशी हुई है की आज जो मेरा जन्मदिन है वह शिवरात्रि के मौके पर हैं श्री कटासराज जो धरती का दूसरा नेत्र है और एक महान तीर्थ स्थान है शिव जी महाराज का तो मैं कितनी भाग्यशाली हूं और आज एक बड़ा दर्दनाक दिन है याद करते हुए मुझे बहुत दुख होता है की ऐसी महान देवी चली गई है..

वीओ सुषमा स्वराज 1999 में जब वहां दुर्दशा देखी मैंने दिखाया और बताया तो वह बड़ी दुखी हुई वहां पर श्री अमर कुंड में जल ही नहीं था जहां पर हम लोग स्नान करना चाहते थे क्योंकि वह सूख गया था और वहां की सरकार इस और कोई ध्यान नहीं देती थी सुषमा जी ने उसी समय से डिवेलपमेंट के लिए बहुत तवज्जो दी और उस वक्त अटल बिहारी वाजपेई जी की हुकूमत थी सुषमा जी उस समय मंत्री थे और बाद में जब वह विदेश मंत्री बने तो उन्होंने श्री कटासराज के लिए बहुत मदद की कई बार पाकिस्तान ने अड़चनें भी पैदा की यात्रा के लिए लेकिन बहन जी की वजह से सब दूर हो गई क्योंकि बहन जी की आस्था कटास राज के लिए थी सब कुछ ठीक होता चला गया..

हमारा एक डेलिगेशन जिसमें 28 मेंबर हमारे देश के महान नेता इसमें शामिल थे बलराम जी जाखड़ और सुषमा स्वराज शांता कुमार और एक डेलिगेशन टीम मेरे साथ गई थी कटासराज यात्रा के लिए हम गए वह लम्हे मुझे बड़ी अच्छी तरह से याद है…

BITE_ शिव प्रताप बजाज, संयोजक कटासराज यातConclusion:
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