यमुनानगर: जुमला मुश्तरका (Land Dispute in Shamlat Deh) और शामलात-देह भूमि को पंचायतों (Jumla Mushtarka Malkan Panchayat) और नगर निगम के नाम करने के मामले में किसानों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इसी कड़ी में सोमवार को किसानों ने यमुनानगर में ब्लॉक स्तर पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया और अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा. किसानों ने सरकार से विशेष विधानसभा सत्र बुलाकर ये जमीनें किसानों को वापस करने की मांग की.
किसानों का कहना है कि अगर उनकी मांग को जल्द माना नहीं गया तो वे एक बार फिर बड़ा आंदोलन खड़ा करने से भी गुरेज नहीं करेंगे. किसान नेता मनदीप रोड छप्पर ने कहा कि किसान कई दशकों से अपनी पुश्तैनी जमीनों पर काश्तकारी कर रहे (Land dispute in Yamunanagar) हैं. तकसीम करवाने में ज्यादा खर्च आने की वजह से करीब 80 फीसदी किसानों की जमीनें मुश्तरका खातों में हैं. इस दौरान जमीनों की खरीद-बेचने से लेकर रेहन तक का काम सरकारी नियमानुसार होता आया है.
किसानों के मुताबिक सरकार ने 1992 में एक्ट 1961 के तहत संशोधन करते हुए मुश्तरका मालकान जमीनों को पंचायती करार दिया था, लेकिन किसानों ने हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी तो फैसला किसानों के हक में आया. जिसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सरकार के पक्ष में दिया जो की किसानों के लिए न्याय संगत नहीं है. इसलिए सरकार को चाहिए कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इसमें संशोधन किया जाए.
किसानों के मुताबिक इस आदेश के अनुसार कई किसानों को जमीनें खाली करने के नोटिस भी आ चुके हैं. क्योंकि कई जगह जमीनें पंचायतों और निगम के नाम कर दी गई हैं. फिलहाल किसानों ने इस फैसले के विरोध में बड़े आंदोलन की चेतावनी दे दी है.