यमुनानगर: मानसून के दस्तक देते ही हरियाणा के यमुना नगर में स्थित हथिनीकुंड बैराज (Hathnikund barrage Yamunanagar) की चर्चाएं जोर-शोर से शुरू हो जाती है. कारण यमुना उफान पर होती हैं. नदी में पानी भर जाने के कारण बैराज से पानी को अलग अलग राज्यों में डायवर्ट कर दिया जाता है. इसकी वजह से स्थानीय मीडिया से लेकर नेशनल मीडिया में हथिनीकुंड बैराज का जिक्र बड़े ही धमाके के साथ होता है.
डैम और बैराज में क्या अंतर है?- अक्सर दिल्ली की यमुना नदी में पानी बढ़ने के पीछे हथिनीकुंड को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है. क्योंकि बहुत कम लोगों को पता है कि बैराज और डैम में क्या अंतर है. बैराज में बड़े-बड़े कई गेट लगे होते हैं. इन्हें जरुरत के अनुसार खोला या बंद किया जा सकता है. आसान शब्दों में समझे तो बैराज के जरिए पानी को डायवर्ट किया जा सकता है. जबकि डैम में पानी को स्टोर किया जा सकता है. यह बहने वाले पानी को रोकने के लिए बनाया जाता है. डैम के जरिए पानी को सिंचाई, जलविद्युत, पेय जल की आपूर्ति के लिए उपयोग में लाया जा सकता है.
कैसे पड़ा हथिनीकुंड नाम- बैराज का नाम हथिनीकुंड कैसे पड़ा इसके पीछे एक कहानी बताई जाती है. कहा जाता है कि जिस जगह पर यह बैराज स्थित है उस जगह का नाम ही हथिनीकुंड था. यह जगह पहाड़ों से घिरी और कुंड के आकार की थी.
भयंकर बाढ़ को करता है कंट्रोल - हथिनी कुंड बैराज हरियाणा के यमुनानगर में स्थित है, हालांकि इस जिले की सीमाएं कई राज्यों से लगती हैं. इसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के भी कुछ जिले शामिल है. यह बैराज पहाड़ी इलाकों से आने वाली मुसीबत को काफी हद तक कंट्रोल करता है. सीधे शब्दों में कहा जाए तो हथिनीकुंड बैराज पर हिमाचल के ऊपरी इलाके से आने वाले भंयकर बाढ़ को ना सिर्फ डायवर्ट करता है बल्कि पश्चिमी यमुना नहर के आस-पास बसे गांवों पर आने वाली आफत को भी रोकता है.
तीन साल में बन कर तैयार हुआ था बैराज- हथिनीकुंड बैराज का निर्माण साल 1996 में सिंचाई के उद्देश्य से हुआ था. इसके बाद 9 जुलाई 1999 को को तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल ने इस बैराज का उद्घाटन किया था. हथिनीकुंड बैराज बनने से पहले यमुना पर तजेवाला हेड बना (Tajewala head) था. जिसका निर्माण 1873 अंग्रेजों ने करवाया (British Period Tajewala Barrage) था. इस तजेवाला हेड से ही सैकड़ों सालों तक यमुना के पानी का बंटवारा होता था. हालांकि बैराज बन जाने के बाद तेजवाला हेड सेवा में नहीं है. अब यमुना के पानी का बंटवारा हथिनीकुंड बैराज से होता है.
168 करोड़ की लागत से तैयार हुआ था बैराज- हथिनी कुंड बैराज से दो नहरें निकली हुई हैं. जिन्हें पश्चिमी यमुना नहर और पूर्वी यमुना नहर के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा बैराज में एक छोटा तालाब भी बना हुआ है. जिसमें 25 से ज्यादा जलीय पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है. 360 मीटर लंबे इस बैराज में दस से ज्यादा गेट लगे हुए हैं. साल 1999 में इस बैराज को बनाने में कुल 168 करोड़ रुपये खर्च हुए थे.
23 सालों में क्षतिग्रस्त हुआ हथिनीकुंड बैराज- देश के पांच राज्यों में पानी की आपूर्ति करने वाला यह हथिनीकुंड बैराज अवैध खनन और समय पर मरम्मत ना होने की वजह से क्षतिग्रस्त हो चुका है. 23 साल पहले इस बैराज को रिकॉर्ड 3 साल में तैयार किया गया था. वैसे तो इस बैराज को करीब 10 लाख क्यूसेक पानी का दबाव सहने के लिए डिजाइन किया गया था लेकिन पहाड़ी इलाकों में हुई रिकॉर्ड तोड़ बारिश ने इसके टूटने के खतरे को बढ़ा दिया है. 1999 के बाद लगातार आने वाली बाढ़ से इस बैराज का रिवर बेड लगातार नीचे जा रहा है. इस वजह से यह बैराज अब बहुत ज्यादा पानी का बहाव बर्दाश्त नहीं कर पाएगा. अब हथिनी कुंड बैराज की सुरक्षा सिंचाई विभाग के भरोसे है.
खिंचे चले आते हैं टूरिस्ट शिवालिक पर्वत की तलहटी में स्थित यह हथिनीकुंड बैराज घूमने के लिए भी एक अच्छी जगह है. क्योंकि यह कलेश्वर महादेव मंंदिर, पांवटा साहिब और शाकंभरी देवी मंदिर जैसे पवित्र स्थानों के बिल्कुल पास में ही में है. इसके अलावा कलेसर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी ( Kalesar Wildlife Sanctuary) और कलेसर नेशनल पार्क (Kalesar National Park) भी मौजूद इसी वजह से टूरिस्ट यहां खिंचे चले आते हैं
मंत्री का क्या कहना है? हरियाणा के पर्यटन मंत्री कंवरपाल गुर्जर का कहना है कि सरकार हथिनीकुंड बैराज पर पूरा ध्यान दे रही है. हथिनीकुंड बैराज यमुनानगर शहर की एक पहचान है जिसे कायम रखना सरकार के साथ संबंधित विभागों की भी जिम्मेदारी है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या सभी अपना कर्तव्य निभा रहे हैं या फिर खानापूर्ति कर रहे हैं. दरअसल बहुत कम लोगों को पता है कि बैराज और डैम में क्या अंतर है. बैराज में पानी को डायर्वट किया जाता है और डैम में पानी को स्टोर कर सकते हैं.