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6 सालों से बदहाली के आंसू बहा रहा यमुनानगर का ये गांव, फैक्ट्री से निकलने वाले गंदे पानी से नरकीय जीवन जी रहे लोग

यमुनानगर में जगाधरी विधानसभा के गांव सलेमपुर बांगर में ग्रामीण बीते 6 सालों से फैक्ट्री से निकलने वाले गंदे पानी की वजह से परेशान है. गांव के लोग कई बार प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं लेकिन अभी तक ग्रामीणों को इस समस्या से निजात नहीं मिल पाई है.

Factory dirty water problem in Yamunanagar
यमुनानगर की जगाधरी विधानसभा का सलेमपुर बांगर गांव
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Published : Jun 6, 2023, 8:51 PM IST

यमुनानगर: हरियाणा के जिला यमुनानगर की जगाधरी विधानसभा का सलेमपुर बांगर गांव पिछले 6 साल से गांव के पास लगी फैक्ट्रियों से परेशान है. गांव में आने वाले मुख्य रास्ते पर 25 प्लाईवुड फैक्ट्री में लगी हुई हैं. इनमें से निकलने वाला गंदा पानी पिछले 6 सालों से गांव वालों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. गांव के मुख्य रास्ते से किसी भी वाहन का निकलना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन जैसा है. गांव वालों का कहना है कि वे सरकार से लेकर प्रशासन तक गुहार लगा लगाकर थक चुके हैं.

जगाधरी विधानसभा क्षेत्र का सलेमपुर बांगर गांव में पिछले 6 सालों में हालात ऐसे बदले कि किसान से लेकर गांव का आमजन तक परेशान है. विपक्ष यमुनानगर में सड़कों की दयनीय हालत को लेकर सरकार को घेरता नजर आता है लेकिन समस्या का समाधान कभी नहीं हुआ. इस गांव में 6 साल पहले के हालात बिल्कुल सही थे. लेकिन यहां जब से प्लाईवुड फैक्ट्री लगी तब से सड़क पर गंदा पानी भरने लगा.

ये भी पढ़ें: पीने लायक नहीं रहा भिवानी का पानी: 700 से ज्यादा सैंपल फेल, बढ़ रही मरीजों की संख्या

जिसके बाद कुछ ही दिनों में यहां से सड़क गायब हो गई और गांव वालों को यहां से निकलने से डर लगने लगा. ग्रामीणों ने प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. आलम ये हो चला कि गांव के जो बच्चे स्कूल में पढ़ने जाते थे. उनमें से कुछ को तो स्कूल ही छोड़ना पड़ा या फिर स्कूल बदलना पड़ा ताकि दूसरे रास्तों का सहारा लेकर अन्य स्कूलों में पढ़ाई की जा सके. इतना ही नहीं गांव वालों को उनका मुख्य बाजार बिलासपुर से बदलकर छछरौली या जगाधरी का सहारा लेना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि यह बरसाती पानी नहीं बल्कि फैक्ट्रियों से निकलने वाला केमिकल वाला गंदा पानी है और इससे गांव में बीमारियों ने भी पैर पसार लिए हैं.

जब इस बारे में प्रदूषण विभाग के अधिकारियों से बातचीत की गई तो उन्होंने इस बात से साफ इनकार कर दिया कि प्लाईवुड इंडस्ट्री में पानी की कोई जरूरत ही नहीं होती. हालांकि उन्होंने इतना जरूर माना कि इसमें बहुत ज्यादा लेबर की जरूरत पड़ती है और लेबर की दिनचर्या के लिए पानी की भी जरूरत होती है. इस बारे में पीडब्ल्यूडी विभाग का कहना है कि इस सड़क की हालत उन्हें मालूम है और इस बारे में सरकार को अवगत करवाया गया था. इस सड़क पर जल्द ही टेंडर होने के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा. ग्रामीणों के मुताबिक 6 साल से हालात ऐसे ही हैं.

ये भी पढ़ें: सोनीपत में 3 दिन से नहीं आ रहा पानी, नाराज लोगों ने सड़क पर लगाया जाम

यमुनानगर: हरियाणा के जिला यमुनानगर की जगाधरी विधानसभा का सलेमपुर बांगर गांव पिछले 6 साल से गांव के पास लगी फैक्ट्रियों से परेशान है. गांव में आने वाले मुख्य रास्ते पर 25 प्लाईवुड फैक्ट्री में लगी हुई हैं. इनमें से निकलने वाला गंदा पानी पिछले 6 सालों से गांव वालों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. गांव के मुख्य रास्ते से किसी भी वाहन का निकलना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन जैसा है. गांव वालों का कहना है कि वे सरकार से लेकर प्रशासन तक गुहार लगा लगाकर थक चुके हैं.

जगाधरी विधानसभा क्षेत्र का सलेमपुर बांगर गांव में पिछले 6 सालों में हालात ऐसे बदले कि किसान से लेकर गांव का आमजन तक परेशान है. विपक्ष यमुनानगर में सड़कों की दयनीय हालत को लेकर सरकार को घेरता नजर आता है लेकिन समस्या का समाधान कभी नहीं हुआ. इस गांव में 6 साल पहले के हालात बिल्कुल सही थे. लेकिन यहां जब से प्लाईवुड फैक्ट्री लगी तब से सड़क पर गंदा पानी भरने लगा.

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जिसके बाद कुछ ही दिनों में यहां से सड़क गायब हो गई और गांव वालों को यहां से निकलने से डर लगने लगा. ग्रामीणों ने प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. आलम ये हो चला कि गांव के जो बच्चे स्कूल में पढ़ने जाते थे. उनमें से कुछ को तो स्कूल ही छोड़ना पड़ा या फिर स्कूल बदलना पड़ा ताकि दूसरे रास्तों का सहारा लेकर अन्य स्कूलों में पढ़ाई की जा सके. इतना ही नहीं गांव वालों को उनका मुख्य बाजार बिलासपुर से बदलकर छछरौली या जगाधरी का सहारा लेना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि यह बरसाती पानी नहीं बल्कि फैक्ट्रियों से निकलने वाला केमिकल वाला गंदा पानी है और इससे गांव में बीमारियों ने भी पैर पसार लिए हैं.

जब इस बारे में प्रदूषण विभाग के अधिकारियों से बातचीत की गई तो उन्होंने इस बात से साफ इनकार कर दिया कि प्लाईवुड इंडस्ट्री में पानी की कोई जरूरत ही नहीं होती. हालांकि उन्होंने इतना जरूर माना कि इसमें बहुत ज्यादा लेबर की जरूरत पड़ती है और लेबर की दिनचर्या के लिए पानी की भी जरूरत होती है. इस बारे में पीडब्ल्यूडी विभाग का कहना है कि इस सड़क की हालत उन्हें मालूम है और इस बारे में सरकार को अवगत करवाया गया था. इस सड़क पर जल्द ही टेंडर होने के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा. ग्रामीणों के मुताबिक 6 साल से हालात ऐसे ही हैं.

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