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कपाल मोचन मेला: कार्तिक पूर्णमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम - कपाल मोचन तीर्थ यमुनानगर

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यमुनानगर के बिलासपुर स्थित कपाल मोचन मेले (kapal mochan mela) में लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. इस बार प्रशासन की तरफ से बेहद बेहतर व्यवस्थाएं देखने को मिली.

yamunanagar kapal mochan mela
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Published : Nov 8, 2022, 10:59 AM IST

यमुनानगर: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यमुनानगर के बिलासपुर स्थित कपाल मोचन मेले (kapal mochan mela) में लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. इस बार प्रशासन की तरफ से बेहद बेहतर व्यवस्थाएं देखने को मिली. पूरे मेले पर सीसीटीवी से नजर रखी जा रही थी. इसके अलावा ड्रोन के जरिए पूरे मेले की निगरानी रखी गई.

यमुनानगर के कपाल मोचन तीर्थ (kapal mochan teerth yamunanagar) पर मिथ्या बनी हुई है कि यहां जब भी कोई नेता सत्ता में रहते हुए सरोवर पर स्नान करने आया तो उसके बाद वो कभी सत्ता में नहीं आया. महा पंजाब के वक्त 1956 में सरदार प्रताप सिंह कैरों मुख्यमंत्री रहते यहां मेले में आए थे, जिसके बाद वो कभी सत्ता में नहीं आए. इसके बाद 1972 में हरियाणा के मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल मेले में आए, जिसके बाद वो भी सत्ता में नहीं आए.

कपाल मोचन मेला: कार्तिक पूर्णमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

इस मिथ्या को तोड़ने के लिए मनोहर लाल पिछले साल मेले में आए थे. यहां तीन सरोवर हैं. सबसे पहले का नाम कपाल मोचन सरोवर दूसरे का नाम ऋण मोचन सरोवर और तीसरे का नाम सूर्य कुंड सरोवर है. सूर्य कुंड सरोवर की मान्यता है कि यहां पर कुंती पुत्र कर्ण का जन्म हुआ था और यहां पर एक कदंब का पेड़ है. जहां धागा बांधने से संतान प्राप्ति होती है. इसके अलावा कदंब के पेड़ की यह भी मान्यता है कि ये वही पेड़ है जिस पर कृष्ण गोपियों के कपड़े छुपाया करते थे.

ये भी पढ़ें- सीआईआई एग्रो टेक 2022: सैनिटाइजर के जरिए फलों और सब्जियों को करीब एक महीने तक ताजा रख सकेंगे किसान

हिंदू धर्म के साथ-साथ यहां सिख लोगों के भी काफी आस्था है, क्योंकि यहां सिक्खों के गुरु गोविंद सिंह 52 दिन ठहरे थे और चंडी महायज्ञ कर भगानी साहब का युद्ध जीता था. जिसके चलते यहां गुरुद्वारे में पूर्णिमा के दिन प्रकाशोत्सव मनाया जाता है. श्रद्धालुओं ने बताया कि वह सालों से यहां पर आ रहे हैं और करोड़ों में स्नान करते हैं और उनकी मान्यताएं पूरी होती है. बड़ी बात ये है कि जहां इस मेले में लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं तो कहीं भी दुर्घटना सामने नहीं आती.

यमुनानगर: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यमुनानगर के बिलासपुर स्थित कपाल मोचन मेले (kapal mochan mela) में लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. इस बार प्रशासन की तरफ से बेहद बेहतर व्यवस्थाएं देखने को मिली. पूरे मेले पर सीसीटीवी से नजर रखी जा रही थी. इसके अलावा ड्रोन के जरिए पूरे मेले की निगरानी रखी गई.

यमुनानगर के कपाल मोचन तीर्थ (kapal mochan teerth yamunanagar) पर मिथ्या बनी हुई है कि यहां जब भी कोई नेता सत्ता में रहते हुए सरोवर पर स्नान करने आया तो उसके बाद वो कभी सत्ता में नहीं आया. महा पंजाब के वक्त 1956 में सरदार प्रताप सिंह कैरों मुख्यमंत्री रहते यहां मेले में आए थे, जिसके बाद वो कभी सत्ता में नहीं आए. इसके बाद 1972 में हरियाणा के मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल मेले में आए, जिसके बाद वो भी सत्ता में नहीं आए.

कपाल मोचन मेला: कार्तिक पूर्णमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

इस मिथ्या को तोड़ने के लिए मनोहर लाल पिछले साल मेले में आए थे. यहां तीन सरोवर हैं. सबसे पहले का नाम कपाल मोचन सरोवर दूसरे का नाम ऋण मोचन सरोवर और तीसरे का नाम सूर्य कुंड सरोवर है. सूर्य कुंड सरोवर की मान्यता है कि यहां पर कुंती पुत्र कर्ण का जन्म हुआ था और यहां पर एक कदंब का पेड़ है. जहां धागा बांधने से संतान प्राप्ति होती है. इसके अलावा कदंब के पेड़ की यह भी मान्यता है कि ये वही पेड़ है जिस पर कृष्ण गोपियों के कपड़े छुपाया करते थे.

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हिंदू धर्म के साथ-साथ यहां सिख लोगों के भी काफी आस्था है, क्योंकि यहां सिक्खों के गुरु गोविंद सिंह 52 दिन ठहरे थे और चंडी महायज्ञ कर भगानी साहब का युद्ध जीता था. जिसके चलते यहां गुरुद्वारे में पूर्णिमा के दिन प्रकाशोत्सव मनाया जाता है. श्रद्धालुओं ने बताया कि वह सालों से यहां पर आ रहे हैं और करोड़ों में स्नान करते हैं और उनकी मान्यताएं पूरी होती है. बड़ी बात ये है कि जहां इस मेले में लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं तो कहीं भी दुर्घटना सामने नहीं आती.

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