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यमुनानगर का रहने वाला CRPF जवान असम में हुआ शहीद

सीआरपीएफ में तैनात यमुनानगर के जवान जयमल खान असम के कोकराझार में ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए. गुरुवार को उनके शव को पैतृक घर कल्याणपुर गांव में सुपुर्द-ए-खाक किया गया.

Yamunanagars CRPF jawans died in Assam
यमुनानगर आर्मी जवान शहीद
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Published : Apr 1, 2021, 11:03 PM IST

यमुनानगर: जिले के सीआरपीएफ लाल जयमल खान असम में शहीद हो गए. कोकराझार में ड्यूटी के दौरान गोली लगने से वे शहीद हो गए. वीरवार को उनका पार्थिव शरीर साढौरा के गांव कल्याणपुर लाया या. जहां राजकीय सम्मान के साथ वो सुपुर्द-ए-खाक हुए.

ये भी पढ़ें:हरियाणा के रहने वाले नायब सूबेदार लेह में हुए शहीद

दरअसल शहीद जयमल खान नक्सल प्रभावित एरिया में तैनात थे. गमगीन माहौल में हजारों ग्रामीणों ने उन्हें अंतिम विदाई दी. सीआरपीएफ की 129वीं बटालियन के निरीक्षक रुदल मंडल के नेतृत्व में जवानों की टुकड़ी शव वाहन में जयमल खान के पार्थिव शरीर लेकर दो सड़का चौक पर पहुंची. वहां मौजूद सैकड़ों बाइक सवार युवकों ने हाथ में तिरंगा लिए और भारत माता की जय और शहीद जयमल अमर रहे के नारे लगाए.

Yamunanagars CRPF jawans died in Assam
यमुनानगर के लाल ने देश के लिए कर दी जान कुर्बान, अंतिम विदाई में उमड़ा देशभक्ति का सैलाब

2004 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे जयमल

इसके बाद शहीद जयमल के पार्थिव शरीर को उनके गांव कल्याणपुर ले जाया गया. शहीद के भाई सुलेमान ने बताया कि चार भाइयों में सबसे छोटा भाई जयमल वर्ष 2004 में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ. एक महीने की छुट्टी के बाद वो 24 मार्च को ड्यूटी पर लौटे थे. उनकी पत्नी रहीशा को सीआरपीएफ के अधिकारियों ने शहीद होने की सूचना दी थी. 30 मार्च को 13 वर्षीय बेटे अकरम से जयमल की फोन पर बात हुई थी.

दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे जयमल खान

सुलेमान का कहना है कि वो हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता था. गांव में आने पर भी वह सभी लोगों से परिवार की तरह मिलता था. बच्चों को भी देश की सेवा के लिए प्रेरित किया करता था. जयमल इकलौते बेटे अकरम को देश की सेवा के लिए सेना में अधिकारी बनाना चाहते थे. पिता को अंतिम विदाई देते हुए बेटे की आंखे नम थी, लेकिन दिल में हौसला पूरा था.

ये भी पढ़ें:शहीद की वीरांगना ने दी सेना मेडल लौटाने की चेतावनी, ये है पूरा मामला

सेना में भर्ती होकर पिता का सपना पूरा करना चाहता है बेटा

जयमल कहा करते थे कि सेना में भर्ती होकर पिता का सपना पूरा करूंगा. कल्याणपुर से काफी जवान देश की सीमा पर पहरा दे रहे हैं. शहीद का पार्थिव शरीर घर पहुंचते ही महिलाओं के चीत्कार से माहौल और अधिक गमगीन हो गया. इसके बाद शहीद के पार्थिव शरीर को गांव के कब्रिस्तान ले जाया गया. जहां सीआरपीएफ के जवानों ने शस्त्र झुकाकर सलामी दी. इसके साथ ही शहीद के पार्थिव शरीर को सपुर्दे खाक किया गया.

यमुनानगर: जिले के सीआरपीएफ लाल जयमल खान असम में शहीद हो गए. कोकराझार में ड्यूटी के दौरान गोली लगने से वे शहीद हो गए. वीरवार को उनका पार्थिव शरीर साढौरा के गांव कल्याणपुर लाया या. जहां राजकीय सम्मान के साथ वो सुपुर्द-ए-खाक हुए.

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दरअसल शहीद जयमल खान नक्सल प्रभावित एरिया में तैनात थे. गमगीन माहौल में हजारों ग्रामीणों ने उन्हें अंतिम विदाई दी. सीआरपीएफ की 129वीं बटालियन के निरीक्षक रुदल मंडल के नेतृत्व में जवानों की टुकड़ी शव वाहन में जयमल खान के पार्थिव शरीर लेकर दो सड़का चौक पर पहुंची. वहां मौजूद सैकड़ों बाइक सवार युवकों ने हाथ में तिरंगा लिए और भारत माता की जय और शहीद जयमल अमर रहे के नारे लगाए.

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2004 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे जयमल

इसके बाद शहीद जयमल के पार्थिव शरीर को उनके गांव कल्याणपुर ले जाया गया. शहीद के भाई सुलेमान ने बताया कि चार भाइयों में सबसे छोटा भाई जयमल वर्ष 2004 में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ. एक महीने की छुट्टी के बाद वो 24 मार्च को ड्यूटी पर लौटे थे. उनकी पत्नी रहीशा को सीआरपीएफ के अधिकारियों ने शहीद होने की सूचना दी थी. 30 मार्च को 13 वर्षीय बेटे अकरम से जयमल की फोन पर बात हुई थी.

दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे जयमल खान

सुलेमान का कहना है कि वो हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता था. गांव में आने पर भी वह सभी लोगों से परिवार की तरह मिलता था. बच्चों को भी देश की सेवा के लिए प्रेरित किया करता था. जयमल इकलौते बेटे अकरम को देश की सेवा के लिए सेना में अधिकारी बनाना चाहते थे. पिता को अंतिम विदाई देते हुए बेटे की आंखे नम थी, लेकिन दिल में हौसला पूरा था.

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सेना में भर्ती होकर पिता का सपना पूरा करना चाहता है बेटा

जयमल कहा करते थे कि सेना में भर्ती होकर पिता का सपना पूरा करूंगा. कल्याणपुर से काफी जवान देश की सीमा पर पहरा दे रहे हैं. शहीद का पार्थिव शरीर घर पहुंचते ही महिलाओं के चीत्कार से माहौल और अधिक गमगीन हो गया. इसके बाद शहीद के पार्थिव शरीर को गांव के कब्रिस्तान ले जाया गया. जहां सीआरपीएफ के जवानों ने शस्त्र झुकाकर सलामी दी. इसके साथ ही शहीद के पार्थिव शरीर को सपुर्दे खाक किया गया.

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