यमुनानगर: हरियाणा के जिला यमुनानगर में सीएम फ्लाइंग टीम के हाथ बड़ी कामयाबी लगी है. टीम ने चार ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है, जो ओवरलोड पर लगाम कसने वाले अधिकारियों की रेकी किया करते थे. इन लोगों ने जय महादेव के नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाया हुआ था और उसमें ट्रांसपोर्टर्स को अधिकारी की जानकारी देते थे. इन लोगों में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट भी शामिल है. फिलहाल जगाधरी सिटी थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है और यह जांच चल रही है, कि इस ग्रुप में और कौन-कौन लोग शामिल थे.
हरियाणा के यमुनानगर में बड़े स्तर पर खनन का काम होता है और ओवरलोडिंग का धंधा भी किसी से छिपा नहीं है. जिस पर लगाम कसने के लिए प्रशासन को ओवरलोडिंग करने वाले ट्रांसपोर्टर्स ने नाको चने चबाने को लंबे समय से मजबूर किया हुआ है. इनके साथ मिलीभगत के आरोप में आरटीए विभाग के कर्मचारियों से लेकर रीजनल ट्रांसपोर्ट अधिकारी तक गिरफ्तार हो चुके हैं. लेकिन शायद फिर भी इन्हें रोक पाना बमुश्किल है. क्योंकि यह लोग कोई ना कोई नया तरीका निकाल ही लेते हैं और ऐसे ही इनके एक तरीके का पर्दाफाश सीएम फ्लाइंग टीम ने किया. गुप्त सूचना के आधार पर टीम ने छापेमारी की और डिजायर कार सवार दो लोगों को गुलाब नगर चौक के पास से काबू किया.
जबकि उनका एक साथी वहां से एक गाड़ी में रफूचक्कर हो गया. जिसके बाद उसे भी काबू कर लिया गया और इस ग्रुप को चलाने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट को भी काबू किया गया. पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह लोग व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर ट्रांसपोर्टर्स को आरटीओ विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की जानकारी दिया करते थे और गुलाब नगर चौक के पास ही आरटीए अधिकारी का आवास भी है. जिसके चलते यह वहीं आसपास घूमा करते थे और इनके मोबाइल से अभी तक यही पता चला है, कि यह कई महीने से इस काम को अंजाम देने में लगे हुए थे.
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वहीं, रेकी करने के लिए इन्हें 1500 से 2000 रुपये तक मिलते थे. पुलिस अधिकारी ने बताया कि इनमें लाक्कड़ गांव निवासी सागर और आजाद, यूपी के सरसावा निवासी आशीष और यमुनानगर निवासी रवि भाटिया को काबू किया है. पुलिस का कहना है, कि फिलहाल इनके मोबाइल जप्त कर लिए गए हैं. मोबाइल से यह जानकारी जुटाई जाएगी कि आखिर इनके साथ ग्रुप में कौन-कौन जुड़े हुए थे. जो अधिकारियों की रेकी करते और करवाते थे. जिसके बाद आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. वहीं बात करें तो यह कोई नई घटना या बात नहीं है. इससे पहले भी व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए इसी तरह से अधिकारियों की रेकी होती रही है. अब सवाल उठता है कि आखिर प्रशासन इन्हें किस तरह से काबू करेगा.
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