यमुनानगर: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारी के गबन की सजा उपभोक्ता भुगत रहे हैं. जीवन भर की जमापूंजी गंवा दी, अब उसे वापस लेने के लिए कभी बैंक, तो कभी पुलिस के चक्कर काट रहे हैं. कई माह चक्कर काटने के बाद अब शहर यमुनानगर थाना पुलिस ने बैंक कर्मियों व दो अन्य पर केस दर्ज किया है.
ये मामला शांति कॉलोनी निवासी सुशीला की शिकायत पर दर्ज हुआ. उनके खाते से 17 लाख रुपये बैंक कर्मचारी ने अपने परिवार के लोगों के खाते में ट्रांसफर किए. सुशीला देवी के पिता जाति राम अंबाला में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन से वर्ष 2013 में सेवानिवृत्त हुए थे. उनका अंबाला में एसबीआई में खाता था. एक अन्य खाता एसबीआई नाहरपुर में है.
इनमें उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद करीब 30 लाख रुपये जमा कराए थे. कुछ पैसा वह बीच में निकालते भी रहे. जाति राम सत्संग में जाते थे. यहां उनकी बैंक कर्मचारी उन्हेड़ी निवासी राजेश से मुलाकात हो गई थी. इस बीच जाति राम की बेटी सुशीला का तलाक हो गया था. उसे तलाक के बाद चार लाख रुपये मिले थे.
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उन्होंने राजेश से बात कर सुशीला का खाता खुलवा दिया था. वर्ष 2015 से 17 तक सुशीला ने खाते से कोई पैसा नहीं निकाला, क्योंकि उसे मकान बनाना था. इसमें वह थोड़ा-थोड़ा कर पैसा जमा करती रही. इस बीच यदि कभी जाति राम को पैसे की जरूरत पड़ती थी, तो वह राजेश को चेक देकर मंगवा लेते थे.
सुशीला ने बताया कि बैंक कर्मी राजेश ने पारिवारिक विवाद में आत्महत्या कर ली थी. इस बीच वह मकान बनाने के लिए बैंक से पैसा निकलवाने के लिए गई, तो पता लगा कि खाते में कोई पैसा नहीं है.
ये सुनकर उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई. बैंक में पता किया, तो जानकारी मिली कि राजेश ही इस खाते का प्रयोग करता था. बैंक मैनेजर को इस संबंध में शिकायत दी, लेकिन वह जांच करने की बात कहते रहे. बाद में आरटीआई के जरिये पता किया, तो जानकारी मिली कि राजेश ने अपने भाई प्रताप और ताऊ रतन लाल के खाते में यह पैसा ट्रांसफर किया है. आरोप है कि उनके खाते से पैसे निकाले जाने में बैंक कर्मियों की भी मिलीभगत है.
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