यमुनानगर: 'ये फकत मिट्टी के बर्तन नहीं है साहब, बिक जाएं तो घर के अरमान खरीद लूं' ये चंद पंक्तियां मिट्टी को आकार देने वाले कुम्हारों पर एक दम सटीक बैठती हैं. मॉर्डन होते जमाने के साथ वैसे ही मिट्टी के बर्तनों की डिमांड घट रही थी और अब कोरोना ने कुम्हारों के सारे अरमान मिट्टी में मिला दिए हैं. त्यौहारी सीजन सिर पर है फिर भी मिट्टी के बर्तनों की खरीद ना के बराबर है.
मेहनत से मिट्टी को आकार देते कुम्हार ने कहा कि वो दिवाली के लिए दिये और दूसरे सामान बनाने की तैयारी में जुटा है. उसने कहा कि इस बार कोरोना के डर से बिक्री कम होने की उम्मीद है, लेकिन वो फिर भी ये काम कर रहा है.
उन्होंने बताया कि बीते दिनों जो त्यौहार गए उनमें भी सामान की बिक्री में काफी कमी आई है. अब वो दिवाली को लेकर सामान तो बना रहे हैं, लेकिन बिक्री में आई कमी से उन्हें दिवाली पर्व पर भी बिक्री ना के बराबर होने के आसार नजर आ रहे हैं.
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कोरोना महामारी मिट्टी के बर्तनों की खरीद तो कम कर सकता है, लेकिन इन कुम्हारों के हौसले नहीं. मिट्टी पुत्र लगातार दिये और दूसरे साज सजावट का सामान बना रहे हैं. सिर्फ इस उम्मीद के साथ की लोग आएंगे और उनका ये सामान खरीदेंगे.