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40 लाख रुपये की लागत से बना था जलघर, फिर भी गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण

सोनीपत के रामगढ़ गांव में बीते काफी समय से ग्रामीण गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. ग्रामीणों को गंदा पानी पीने से कई तरह की बीमारियों भी हो रही हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने अभी तक इनकी सुध नहीं ली है.

Gohana Ramgarh village dirty water
Gohana Ramgarh village dirty water
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Published : Jun 23, 2020, 4:57 PM IST

सोनीपत: गोहाना से 6 किलोमीटर की दूरी पर रामगढ़ गांव बसा हुआ है. 1300 ग्रामीणों के इस गांव में सरकार ने 40 लाख रुपये की लागत से जलघर बनावाया था, लेकिन जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण अभी तक ग्रामीण स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे हैं.

रामगढ़ गांव के ग्रामीण बीते कई वर्षों से गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. सरकारी डेटा के अनुसार तो दिसंबर 2018 से ही ग्रामीणों को साफ पानी मिल रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कागजी हकीकत से बिल्कुल परे है. ग्रामीणों को साफ पानी पीने के लिए तो छोड़िए देखने को भी नसीब नहीं होता है.

इस गांव में 40 लाख रुपये की लागत से बना था जलघर, फिर भी गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण

अब ग्रामीण बीते काफी समय से गंदा पानी पीने को मजबूर हैं, जिस वजह से कई गंभीर बीमारियों ने गांव में डेरा डाल लिया है. आए दिन छोटे-छोटे बच्चों की तबीयत गंदा पानी पीने से बिगड़ रही है, लेकिन प्रशासनिक तंत्र में किसी तरह की कोई हलचल नहीं है. ग्रामीण तो अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाते-लगाते थक गए, लेकिन सरकारी मशीनरी ने अपना काम भगवान भरोसे छोड़ रखा है.

ये भी पढ़ें- नूंह में पानी के लिए हाहाकर, महिलाएं पूछ रहीं- कहां हो सरकार

ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि परिवार के लोग और पशु गंदा पानी पीने को मजबूर हो रहे हैं. गांव से बाहर एक हैंड पंप जरूर है, लेकिन अब 1300 ग्रामीणों के लिए वो पूरा नहीं पड़ रहा है. महिलाओं का कहना है कि जलघर बने 2 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक स्वच्छ पानी पीने को नसीब नहीं हुआ. वहीं जलघर की हालत भी अब खस्ता हो चुकी है.

ग्रामीण सतवीर का कहना है कि सरकार की तरफ से जलघर के लिए 40 लाख रुपये आए थे और जलघर बना भी, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से उन्हें कभी साफ पानी नहीं मिला. उन्होंने कहा कि वो जनस्वास्थ्य विभाग के कई चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन अधिकारी उनकी एक बात भी सुनने को तैयार नहीं हैं.

सोनीपत: गोहाना से 6 किलोमीटर की दूरी पर रामगढ़ गांव बसा हुआ है. 1300 ग्रामीणों के इस गांव में सरकार ने 40 लाख रुपये की लागत से जलघर बनावाया था, लेकिन जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण अभी तक ग्रामीण स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे हैं.

रामगढ़ गांव के ग्रामीण बीते कई वर्षों से गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. सरकारी डेटा के अनुसार तो दिसंबर 2018 से ही ग्रामीणों को साफ पानी मिल रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कागजी हकीकत से बिल्कुल परे है. ग्रामीणों को साफ पानी पीने के लिए तो छोड़िए देखने को भी नसीब नहीं होता है.

इस गांव में 40 लाख रुपये की लागत से बना था जलघर, फिर भी गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण

अब ग्रामीण बीते काफी समय से गंदा पानी पीने को मजबूर हैं, जिस वजह से कई गंभीर बीमारियों ने गांव में डेरा डाल लिया है. आए दिन छोटे-छोटे बच्चों की तबीयत गंदा पानी पीने से बिगड़ रही है, लेकिन प्रशासनिक तंत्र में किसी तरह की कोई हलचल नहीं है. ग्रामीण तो अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाते-लगाते थक गए, लेकिन सरकारी मशीनरी ने अपना काम भगवान भरोसे छोड़ रखा है.

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ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि परिवार के लोग और पशु गंदा पानी पीने को मजबूर हो रहे हैं. गांव से बाहर एक हैंड पंप जरूर है, लेकिन अब 1300 ग्रामीणों के लिए वो पूरा नहीं पड़ रहा है. महिलाओं का कहना है कि जलघर बने 2 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक स्वच्छ पानी पीने को नसीब नहीं हुआ. वहीं जलघर की हालत भी अब खस्ता हो चुकी है.

ग्रामीण सतवीर का कहना है कि सरकार की तरफ से जलघर के लिए 40 लाख रुपये आए थे और जलघर बना भी, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से उन्हें कभी साफ पानी नहीं मिला. उन्होंने कहा कि वो जनस्वास्थ्य विभाग के कई चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन अधिकारी उनकी एक बात भी सुनने को तैयार नहीं हैं.

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