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कन्नड़ प्रोफेसर का पंजाबी भाषा से प्यार, खुद भी सीखी, लोगों में भी कर रहे प्रचार

चंडीगढ़ में रहने वाले और मूलरूप से कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाले एक प्रोफेसर पंडितराव धनेवर का पंजाबी भाषा से प्यार (karnatakan professor love Punjabi language) देखने लायक है. प्रोफेसर पंडितराव धनेवर पंजाबी भाषा के जरिए उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ना चाह रहे हैं. प्रोफेसर ने अबतक कई धार्मिक किताबों को कन्नड़ से पंजाबी और पंजाबी से कन्नड़ में अनुवाद (Translate Punjabi religious books to kannad) किया है.

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कन्नड़ प्रोफेसर का पंजाबी भाषा से प्यार
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Published : Nov 21, 2021, 11:24 AM IST

चंडीगढ़: बहुत से लोगों में नई-नई भाषाओं को सीखने का चाव होता है, लेकिन कर्नाटक के रहने वाले प्रोफेसर पंडितराव धनेवर (Professor Panditrao Dhanevar Chandigarh) का पंजाबी भाषा से जो लगाव है वो शायद ही किसी ओर में होगा. पंडितराव की मातृभाषा कन्नड़ है, लेकिन इस कन्नड़ प्रोफेसर का पंजाबी भाषा से प्यार (karnatakan professor love Punjabi language) लेवल अलग ही लेवल का है. पंडितराव ने पहले खुद पंजाबी सीखी और अब वह दूसरे लोगों को यह भाषा सिखा (South Indian professor teaching Punjabi language) रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने पंडितराव से बातचीत की और जाना कि कैसे पंजाबी भाषा उनकी जिंदगी में आई और उन्हें इस भाषा से लगाव हो गया.

इस बातचीत में पंडितराव ने बताया कि वह करीब 20 साल पहले चंडीगढ़ आए थे. यहां उन्होंने सेक्टर-44 के कॉलेज में साइकोलॉजी के लेक्चरर के तौर पर नौकरी शुरू की थी. आज वह इसी कॉलेज में प्रोफेसर हैं और बच्चों को साइकोलॉजी पढ़ाते हैं. उन्होंने इस बात को समझा कि बच्चों को पंजाबी भाषा के करीब लाना बेहद जरूरी (Punjabi language importance) है. बहुत से ऐसे बच्चे होते हैं जो दूसरे राज्यों से आते हैं और वह यहां के आम लोगों की बोली को ठीक से समझ नहीं पाते, इसलिए उन्होंने बच्चों को पंजाबी दिखाने का बीड़ा उठाया.

कन्नड़ प्रोफेसर का पंजाबी भाषा से प्यार, खुद भी सीखी, लोगों में भी कर रहे प्रचार, देखिए वीडियो

इसके लिए उन्होंने पहले खुद पंजाबी भाषा सीखी और फिर बच्चों को सिखाने शुरू की. इनमें ज्यादातर बच्चे दक्षिण भारतीय हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश उत्तराखंड बिहार यहां तक कि नेपाल से आए बच्चे भी अब पंजाबी सीख रहे हैं. प्रोफेसर पंडितराव बताते हैं कि वे पिछले कई सालों से पीजीआई में काम करने वाले दक्षिण भारतीय डॉक्टरों को भी पंजाबी सिखा रहे हैं. उन्हें पंजाबी नहीं आती, लेकिन पीजीआई में भारी संख्या में ऐसे रोगी आते हैं जो केवल पंजाबी बोलना जानते हैं.

ये पढ़ें- Inspirational story: बेसहारा बच्चों के लिए कुछ करने की चाहत में बन गईं कर्मचारी से अधिकारी, जानें रितु राठी की प्रेरणादायक कहानी

ऐसे में दक्षिण भारतीय डॉक्टर सही तरीके से समझ नहीं पाते कि मरीज उनसे क्या कहना चाह रहा है. भाषा में रुकावट की वजह से उन्हें कभी कभी मरीज की हालत का पता नहीं चलता. उन्हें मरीज की भाषा को समझना आना चाहिए, इसीलिए वह डॉक्टरों को पंजाबी भाषा सिखा रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने डॉक्टरों को बहुत से ऐसे शब्द भी सिखाए हैं, जिन्हें मरीज इस्तेमाल करता है.

South Indian professor teaching Punjabi language
गुरुमुखी के साथ प्रोफेसर पंडितराव धनेवर और उनके छात्र

इस दौरान ईटीवी भरत की टीम ने कुछ छात्रों से भी बात की. यह छात्र तमिलनाडु, बिहार उत्तराखंड उत्तर प्रदेश और नेपाल के रहने वाले है. इनका कहना था कि पढ़ाई में पंजाबी का बहुत महत्व है. अगर वह चंडीगढ़ में रहकर अच्छी नौकरी हासिल करना चाहते हैं तो उन्हें पंजाबी आनी चाहिए. अगर उन्हें पंजाबी लिखने-पढ़ने और बोलने आएगी तो यह उनके भविष्य के लिए अच्छा होगा.

ये पढ़ें- आधी आबादी के लिए मिसाल बनी महिला, पति की मौत के बाद ऐसे बनी आत्मनिर्भर, प्रेरणादायक है कहानी

किताबों का किया अनुवाद: प्रोफेसर पंडितराव ने बहुत सी पंजाबी किताबों का कन्नड़ में अनुवाद (Translate Punjabi religious books to kannad) किया है. इनमें ज्यादातर धार्मिक किताबें हैं. बहुत से गुरुद्वारों, सिख गुरु और सिख इतिहास के बारे में बताया गया है. उन्होंने सुखमणि साहब और जपजी साहब का भी कन्नड़ में अनुवाद किया है. साथ ही उन्होंने कई कन्नड़ किताबों का पंजाबी में भी अनुवाद किया है. उनका कहना है कि किताबों का अनुवाद होना चाहिए, ताकि उत्तर भारत और दक्षिण भारत के लोगों को आपस में एक दूसरे के इतिहास और संस्कृति के बारे में ज्यादा जानकारी मिले और वे लोग एक दूसरे के बारे में ज्यादा जान पाए. यह कदम भारत की एकता और अखंडता को और मजबूत करने वाला होगा.

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प्रोफेसर पंडितराव ने बहुत सी पंजाबी किताबों का कन्नड़ में अनुवाद किया है.

आपको बता दें कि प्रोफेसर पंडितराव ना सिर्फ पंजाबी भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए काम कर रहे हैं, बल्कि वह पंजाबी गानों में दिखाई जाने वाली अश्लीलता नशे हथियार और हिंसा के भी बेहद खिलाफ है. जिसके चलते वे लगातार कोई न कोई मुहिम चलाकर रखते हैं. इतना ही नहीं वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पंजाबी गानों में इस तरह दिखाए जाने वाले दृश्यों और भाषा के खिलाफ कई सालों से लड़ाई भी लड़ रहे हैं.

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चंडीगढ़: बहुत से लोगों में नई-नई भाषाओं को सीखने का चाव होता है, लेकिन कर्नाटक के रहने वाले प्रोफेसर पंडितराव धनेवर (Professor Panditrao Dhanevar Chandigarh) का पंजाबी भाषा से जो लगाव है वो शायद ही किसी ओर में होगा. पंडितराव की मातृभाषा कन्नड़ है, लेकिन इस कन्नड़ प्रोफेसर का पंजाबी भाषा से प्यार (karnatakan professor love Punjabi language) लेवल अलग ही लेवल का है. पंडितराव ने पहले खुद पंजाबी सीखी और अब वह दूसरे लोगों को यह भाषा सिखा (South Indian professor teaching Punjabi language) रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने पंडितराव से बातचीत की और जाना कि कैसे पंजाबी भाषा उनकी जिंदगी में आई और उन्हें इस भाषा से लगाव हो गया.

इस बातचीत में पंडितराव ने बताया कि वह करीब 20 साल पहले चंडीगढ़ आए थे. यहां उन्होंने सेक्टर-44 के कॉलेज में साइकोलॉजी के लेक्चरर के तौर पर नौकरी शुरू की थी. आज वह इसी कॉलेज में प्रोफेसर हैं और बच्चों को साइकोलॉजी पढ़ाते हैं. उन्होंने इस बात को समझा कि बच्चों को पंजाबी भाषा के करीब लाना बेहद जरूरी (Punjabi language importance) है. बहुत से ऐसे बच्चे होते हैं जो दूसरे राज्यों से आते हैं और वह यहां के आम लोगों की बोली को ठीक से समझ नहीं पाते, इसलिए उन्होंने बच्चों को पंजाबी दिखाने का बीड़ा उठाया.

कन्नड़ प्रोफेसर का पंजाबी भाषा से प्यार, खुद भी सीखी, लोगों में भी कर रहे प्रचार, देखिए वीडियो

इसके लिए उन्होंने पहले खुद पंजाबी भाषा सीखी और फिर बच्चों को सिखाने शुरू की. इनमें ज्यादातर बच्चे दक्षिण भारतीय हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश उत्तराखंड बिहार यहां तक कि नेपाल से आए बच्चे भी अब पंजाबी सीख रहे हैं. प्रोफेसर पंडितराव बताते हैं कि वे पिछले कई सालों से पीजीआई में काम करने वाले दक्षिण भारतीय डॉक्टरों को भी पंजाबी सिखा रहे हैं. उन्हें पंजाबी नहीं आती, लेकिन पीजीआई में भारी संख्या में ऐसे रोगी आते हैं जो केवल पंजाबी बोलना जानते हैं.

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ऐसे में दक्षिण भारतीय डॉक्टर सही तरीके से समझ नहीं पाते कि मरीज उनसे क्या कहना चाह रहा है. भाषा में रुकावट की वजह से उन्हें कभी कभी मरीज की हालत का पता नहीं चलता. उन्हें मरीज की भाषा को समझना आना चाहिए, इसीलिए वह डॉक्टरों को पंजाबी भाषा सिखा रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने डॉक्टरों को बहुत से ऐसे शब्द भी सिखाए हैं, जिन्हें मरीज इस्तेमाल करता है.

South Indian professor teaching Punjabi language
गुरुमुखी के साथ प्रोफेसर पंडितराव धनेवर और उनके छात्र

इस दौरान ईटीवी भरत की टीम ने कुछ छात्रों से भी बात की. यह छात्र तमिलनाडु, बिहार उत्तराखंड उत्तर प्रदेश और नेपाल के रहने वाले है. इनका कहना था कि पढ़ाई में पंजाबी का बहुत महत्व है. अगर वह चंडीगढ़ में रहकर अच्छी नौकरी हासिल करना चाहते हैं तो उन्हें पंजाबी आनी चाहिए. अगर उन्हें पंजाबी लिखने-पढ़ने और बोलने आएगी तो यह उनके भविष्य के लिए अच्छा होगा.

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किताबों का किया अनुवाद: प्रोफेसर पंडितराव ने बहुत सी पंजाबी किताबों का कन्नड़ में अनुवाद (Translate Punjabi religious books to kannad) किया है. इनमें ज्यादातर धार्मिक किताबें हैं. बहुत से गुरुद्वारों, सिख गुरु और सिख इतिहास के बारे में बताया गया है. उन्होंने सुखमणि साहब और जपजी साहब का भी कन्नड़ में अनुवाद किया है. साथ ही उन्होंने कई कन्नड़ किताबों का पंजाबी में भी अनुवाद किया है. उनका कहना है कि किताबों का अनुवाद होना चाहिए, ताकि उत्तर भारत और दक्षिण भारत के लोगों को आपस में एक दूसरे के इतिहास और संस्कृति के बारे में ज्यादा जानकारी मिले और वे लोग एक दूसरे के बारे में ज्यादा जान पाए. यह कदम भारत की एकता और अखंडता को और मजबूत करने वाला होगा.

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प्रोफेसर पंडितराव ने बहुत सी पंजाबी किताबों का कन्नड़ में अनुवाद किया है.

आपको बता दें कि प्रोफेसर पंडितराव ना सिर्फ पंजाबी भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए काम कर रहे हैं, बल्कि वह पंजाबी गानों में दिखाई जाने वाली अश्लीलता नशे हथियार और हिंसा के भी बेहद खिलाफ है. जिसके चलते वे लगातार कोई न कोई मुहिम चलाकर रखते हैं. इतना ही नहीं वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पंजाबी गानों में इस तरह दिखाए जाने वाले दृश्यों और भाषा के खिलाफ कई सालों से लड़ाई भी लड़ रहे हैं.

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