सोनीपत: कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से रोडवेज बसों को पर्याप्त यात्री नहीं मिल रहे हैं. यात्री नहीं मिलने पर रोडवेज अधिकारियों ने तीन रूटों पर बसों का संचालन बंद कर दिया है. इन रूटों पर बसों को प्रतिदिन दो से तीन यात्री ही मिलते थे. राजस्व कम मिलने पर अधिकारियों ने यह निर्णय लिया है.
तीनों बसें लोकल रूटों पर चलाई जा रही थी. लॉकडाउन में ढील मिलने पर रोडवेज मुख्यालय ने बीते माह चिह्नित रूटों पर बसों का संचालन करवाने की मंजूरी दी थी. शुरू में मुख्यालय ने तीन रूटों पर ही बसें चलाने के आदेश दिए थे. बाद में अधिकारियों ने रूटों की संख्या बढ़ा दी.
यात्रियों की सुविधा के लिए नौ रूटों पर बसों का संचालन शुरू हो गया. लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद कोरोना वायरस का संक्रमण अधिक बढ़ गया. जिले में प्रतिदिन वायरस से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है. इसे देख यात्री रोडवेज बसों में सफर करने से डर रहे हैं.
बस में यात्रियों की संख्या अधिक होने के कारण वे एक दूसरे के संपर्क में आते हैं. इससे कोरोनावायरस का संक्रमण होने का खतरा रहता है. वायरस से बचने के लिए लोग आने-जाने के लिए निजी वाहनों का ही प्रयोग कर रहे हैं. इससे रोडवेज बसों को यात्री कम मिल रहे हैं. कम यात्री होने के कारण खरखौदा, गन्नौर और जुलाना रूट पर चलने वाली बसें बंद हो गई हैं. अधिकारियों ने तीन दिनों तक रूट पर बसें चलवाई, लेकिन यात्रियों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई.
सोनीपत व रोहतक रूट पर यात्रियों की संख्या अधिक
रोडवेज विभाग द्वारा अब छह रूटों पर बसें चलाई जा रही हैं. इनमें से सोनीपत और रोहतक रूट पर यात्रियों की संख्या अधिक है. यात्रियों की संख्या अधिक होने के कारण अधिकारियों द्वारा इन रूटों पर बसें भी अधिक चलवाई जा रही हैं. सोनीपत रूट पर आठ बसें और रोहतक मार्ग पर तीन बसें चलाई जा रही हैं. इन रूटों से विभाग को अन्य रूटों की अपेक्षा राजस्व भी अधिक मिल रहा है.
रोजाना लगभग दस हजार रुपए का राजस्व
विभिन्न रूटों पर बसों के संचालन से विभाग को प्रतिदिन लगभग दस हजार रुपए का राजस्व मिलता है. जबकि लॉकडाउन से पहले विभाग को प्रतिदिन चार लाख रुपये से अधिक का राजस्व मिलता था. अधिकारियों का कहना है कि कम राजस्व से रूटों पर बसें चलाने का खर्च भी पूरा नहीं हो रहा है.
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