सोनीपत: शराब घोटाले में खरखौदा थाने के बर्खास्त इंस्पेक्टर जसबीर सिंह ने मुख्य आरोपी भूपेंद्र के शराब घोटाले में सहभागी होना स्वीकार किया है. जसबीर ने अपने कई पुलिसकर्मियों और आबकारी विभाग के अधिकारियों के भी शामिल होने की बात कही है. बता दें कि डीएसपी डॉक्टर रवींद्र कुमार की टीम ने जसबीर को कोर्ट में पेश कर दो दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ की थी.
जसबीर ने पूछताछ में बताया कि 345 शराब पेटी लेकर उसने भूपेंद्र का नाम रिपोर्ट में शामिल नहीं किया था. इस मामले में उसकी और एएसआई जयपाल की सौदेबाजी भूपेंद्र के भाई जितेंद्र से हुई थी. पूछताछ में तस्करी की शराब पकड़कर उसमें बंटवारा करना और तस्कर को लाभ पहुंचाना बर्खास्त इंस्पेक्टर ने स्वीकार कर लिया है.
खरखौदा थाने में 18 मार्च को एक ट्रक और स्कॉरपियो कार में 22 सौ पेटी शराब पकड़ी गई थी. कार और ट्रक के चालक ने पुलिस को बताया था कि ये शराब भूपेंद्र की है. उसके बाद भूपेंद्र के भाई जितेंद्र ने जसबीर से मुलाकात की थी. जसबीर ने उससे भूपेंद्र का नाम रिपोर्ट में ना लिखने के बदले में सौदेबाजी की थी. इसका खुलासा भूपेंद्र ने रिमांड के दौरान एसईटी के सामने किया था.
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उसके बाद एसईटी ने एएसआई जयपाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी. उसके बाद मामले में जसबीर का नाम सामने आया. पूछताछ में हुए खुलासों के बाद आरोपी जसबीर ने मामले को नया मोड़ दे दिया है. इस मामले में अभी आरोपियों की संख्या और बढ़ सकती है.
क्या है शराब घोटाला?
सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी. लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गईं. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. गोदाम भूपेंद्र ठेकेदार का है. ठेकेदार भूपेंद्र खरखौदा थाने में सरेंडर कर चुका है. जिसे कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड पर लिया जा चुका है.
कैसे हुई तस्करी?
सोनीपत के एसपी जशनदीप सिंह रंधावा के मुताबिक, खरखौदा में बाईपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.
पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम यह रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा. जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात हैं.
'पूरी योजना बनाकर निकाली गई थी शराब'
विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि शराब माफिया ने पुलिस से सांठ-गांठ कर पूरा गुणा-भाग लगा कर गोदाम से शराब निकाली है. लॉकडाउन के दौरान शराब की मांग बढ़ी तो शराब माफिया ने पुलिस कर्मचारियों को झांसे में लिया. शराब गिनती में पकड़े जाने की बात उठी, तो माफिया ने तर्क दिया कि अब 6 सौ की बोतल 22 सौ में बिक रही है. लॉकडाउन खुलने के बाद 6 सौ रुपये की बोतल खरीद कर वापस गोदाम में रखवा दी जाएगी. जिससे कभी भी यह खेल उजागर नहीं होगा.
कैसे हुआ खुलासा?
डीएसपी हरेंद्र कुमार, डॉ. रविंद्र कुमार और जितेंद्र सिंह की देखरेख में 4 दिन तक शराब की गिनती की गई. पुलिस को सील की गयी गई शराब में से 5500 पेटियां गायब मिली. इनको ताले तोड़कर, सील हटाकर और दीवार उखाड़ कर निकाला गया था. सील की गई शराब गायब होने पर खरखौदा थाने में एसएचओ रहे अरुण कुमार और जसबीर सिंह समेत 5 पर मुकदमा दर्ज हुआ.