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गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की बुनियादी सुविधाओं में कटौती निंदनीयः संयुक्त किसान मोर्चा - गाजीपुर बॉर्डर पुलिस कार्रवाई

संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली पुलिस द्वारा भेजे जा रहे नोटिसों की निंदा की. उन्होंने कहा कि हमें ये नोटिस नहीं डरा सकते. बीजेपी सरकार 26 जनवरी की हिंसक कार्रवाई के नीचे इस आंदोलन को दबाना चाहती है. जिसे हम कतई स्वीकार नहीं करते.

Sanyukt kisan morcha press conference
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Published : Jan 28, 2021, 9:55 PM IST

सोनीपत: संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर गाजीपुर में प्रदर्शनकारी किसानों के लिए बुनियादी सुविधाओं में कटौती करने का आरोप लगाया है. संयुक्त मोर्चा ने किसानों को जबरन हटाने के प्रयासों की निंदा की है. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि किसान नेता राकेश टिकैत, तजिंदर विर्क और केके रागेश जैसे नेताओं ने शांतिपूर्वक तरीके से पुलिस के इस व्यवहार का विरोध किया.

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि आरएसएस-भाजपा द्वारा प्रायोजित लोग गाजीपुर साइट पर आए, पर किसान नेताओं ने इनके खिलाफ शांतिपूर्ण रहने के लिए जनता को समझाया. नेताओं ने किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के लिए सरकार के प्रयासों के बारे में जनता को समझाया. मोर्चे ने पलवल में प्रदर्शनकारियों को बेदखल करने की भी कड़ी निंदा की जहां पुलिस ने स्थानीय लोगों को उकसाया और विभाजनकारी भावनाओं को भड़काया.

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संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि किसान आंदोलन को बदनाम करने के सरकार के प्रयास जारी है. सभी बॉर्डर्स पर सरकार जिस तरह से सुरक्षा बढ़ा रही है उससे सरकार की घबराहट साफ जाहिर होती है. सरकार बार-बार आंदोलन को हिंसक दिखाना चाहती है, पर सयुंक्त किसान मोर्चा की एकमत राय, प्रयास और रास्ता है कि आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली पुलिस द्वारा भेजे जा रहे नोटिसों की निंदा की.

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उन्होंने कहा कि हमें ये नोटिस नहीं डरा सकते. बीजेपी सरकार 26 जनवरी की हिंसक कार्रवाई के नीचे इस आंदोलन को दबाना चाहती है. जिसे हम कतई स्वीकार नहीं करते. पुलिस कई धरने खाली भी करवा रही है. पुलिस किसान नेताओं और प्रदर्शनकारियों को इस तरह से परेशान करना बंद करें. सिंघु बॉर्डर में किसान यूनियन के नेताओं द्वारा सद्भावना यात्रा निकाली गई. ये प्रदर्शनकारी किसानों को धर्म और राज्यों के अनुसार विभाजित कर रही ताकतों को जवाब दिया गया है. ये मार्च किसानों के बीच एकता की भावना को मजबूत करने के लिए था. यात्रा के दौरान सबने हाथों और गाड़ियों पर लहराता हुआ तिरंगा था.

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किसान नेताओं ने कहा कि देशभक्ति और राष्ट्रवाद केवल कुछ लोगों की जागीर नहीं है. भारत के जवान, जो किसानी परिवार से है, भी देश की रक्षा करते हैं और किसान भी उतने ही देशभक्त हैं. इस आंदोलन में अब तक 171 किसान शहीद हो चुके हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि हम इन शहीद किसानों को हार्दिक श्रद्धाजंलि अर्पित करते हैं. अनेक आंदोलनकारी बीमार और जख्मी भी हुए हैं. ये सब बताता है कि सरकार का घमंड इंसान की क़ीमत से कहीं ज्यादा बड़ा है. संयुक्त किसान मोर्चा ने देशभर के किसानों ने 26 जनवरी को बता दिया था कि ये आंदोलन एक तबके का नहीं बल्कि देशव्यापी जनांदोलन है. हम पूरे विश्वास से कहते हैं कि सिर्फ पंजाब-हरियाणा ही नहीं, सारा देश एक है. हम सभी से अपील करते है कि जो भी किसान दिल्ली पहुंच रहे हैं उनके लिए रास्ते मे लंगर और सभी सुविधा जारी रखें.

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