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कोरोना इफेक्टः हरियाणा में नर्सिंग स्टाफ की मांग बढ़ी, राज्य में अभी भी कई पद खाली

कोरोना वायरस संकट में हरियाणा में नर्सिंग स्टाफ की मांग बढ़ी है. कोरोना से निपटने के लिए कोविड सेंटर स्थापित किए गए हैं. जिनमें नर्सों की जरूरत है.

nursing staff demand increased after covid-19 in haryana
nursing staff demand increased after covid-19 in haryana
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Published : Jul 28, 2020, 11:03 PM IST

सोनीपत: पूरे विश्व मे जब से कोविड-19 का प्रकोप फैला है तब से निजी और सरकारी अस्पतालों में नर्सों की मांग में भारी बढ़ोतरी हुई है. हरियाणा में मरीजों के लिए कोविड सेंटर बनाए जाने से सरकारी अस्पतालों में नर्सें कम पड़ने लगी हैं. सरकारी अस्पताल के अलावा निजी अस्पतालों में भी नर्सों की कमी हुई है. हरियाणा में तालाबंदी के बाद से कुछ अस्पतालों ने अपना खर्च कम करने के लिए नर्सों को हटा भी दिया था, जिसके बाद अब अनलॉक होने पर उन्हीं अस्पतालों में नर्सें कम पड़ रही हैं.

कोविड सेंटर में नर्सों की जरूरत

कोरोना के चलते सोनीपत जिले में दर्जन भर के करीब कोविड सेंटर स्थापित किए गए हैं. इन कोविड सेंटर में डॉक्टरों के अलावा नर्सों को भी तैनात किया गया है. ये सभी नर्सें सरकारी अस्पतालों में तैनात थी, जिस कारण अब सरकारी अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ की कमी हुई है. लॉकडाउन में सरकारी अस्पतालों इलाज के लिए लोगों का आवागमन ना के बराबर रहा जिस कारण से उस समय तो नर्सों की अधिक कमी नहीं खली, लेकिन अनलॉक के बाद सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने से ये कमी खूब खल रही है.

कोरोना काल में हरियाणा में नर्सिंग स्टाफ की मांग बढ़ी, देखें वीडियो

सोनीपत के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बीके राजौरा भी मानते हैं कि अस्पतालों में नर्सें कम होने से इलाज प्रभावित हुआ है. उन्होंने बताया कि उच्च अधिकारियों को नर्सों की डिमांड के लिए अवगत करवाया गया है, जिसको जल्द ही पूरा किया जाएगा. इसके अलावा नर्सों के कमी को देखते हुए अलग-अलग नर्सिंग स्कूलों से 50-50 की संख्या में नर्सिंग छात्रों की सेवाएं भी ली जा रही हैं.

नर्सों के पद खाली

हरियाणा में पैरामेडिकल स्टाफ के लिए नर्स के 1,432 पद खाली हैं. राज्य में 3656 नर्सों की जरूरत है लेकिन फिलहाल 2,224 नर्सें काम कर रही हैं. दूसरी तरफ राज्य में 559 मल्टी पर्पस हेल्थ वर्कर की कमी है. बता दें कि हरियाणा में 59 अस्पतालों, 119 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, 486 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 2,630 उप-केंद्रों सहित 3,294 स्वास्थ्य संस्थानों का एक नेटवर्क है.

निजी अस्पतालों में नर्सों की कमी

सरकारी अस्पतालों के बाद अब निजी अस्पतालों का रुख करते हैं. लॉकडाउन के चलते कई बड़े अस्पतालों ने खर्च कम करने के लिए नर्सों की सेवाएं खत्म कर दी थीं. अब अनलॉक के बाद उन अस्पतालों में नर्सों की कमी पड़ गयी है और उन अस्पतालों को अधिक वेतन पर नर्सों को तैनात किया जा रहा है. निजी अस्पताल के संचालक डॉ. धर्मबीर नांदल बता रहे हैं कि अस्पतालों ने नर्सों को मैनेज कर लिया था, लेकिन अब मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद नर्सों की कमी हुई है. इसके अलावा विदेशों में भी नर्सिंग स्टाफ की डिमांड बढ़ गयी है.

क्या बोलीं नर्सें ?

वहीं निजी अस्पताल में कार्यरत नर्स राखी और तन्वी भी मानती हैं कि अस्पतालों में नर्सों की कमी हुई है और कोविड फैलने के बाद नर्सों की मांग में बढ़ोतरी हुई है. वेतन पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सरकारी और निजी अस्पतालों की नर्सिंग स्टाफ में काफी अंतर है जिसमे बदलाव की आवश्यकता है.

सरकारी अस्पतालों में नर्सों की कमी के चलते मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ है. सरकार अब दावा कर रही है कि इस कमी को जल्द पूरा कर लिया जाएगा. बहरहाल किसी तरह से सरकारी अस्पताल इस कमी को मैनेज करने में जुटा हुआ है तो वहीं निजी अस्पताल भी नर्सों को वेतन बढ़ाकर दोबारा सेवाएं लेने को मजबूर है.

ये भी पढ़ें- राफेल के आने से पहले बुधवार सुबह से ही अंबाला के इन गांवों में लग जाएगी धारा 144

सोनीपत: पूरे विश्व मे जब से कोविड-19 का प्रकोप फैला है तब से निजी और सरकारी अस्पतालों में नर्सों की मांग में भारी बढ़ोतरी हुई है. हरियाणा में मरीजों के लिए कोविड सेंटर बनाए जाने से सरकारी अस्पतालों में नर्सें कम पड़ने लगी हैं. सरकारी अस्पताल के अलावा निजी अस्पतालों में भी नर्सों की कमी हुई है. हरियाणा में तालाबंदी के बाद से कुछ अस्पतालों ने अपना खर्च कम करने के लिए नर्सों को हटा भी दिया था, जिसके बाद अब अनलॉक होने पर उन्हीं अस्पतालों में नर्सें कम पड़ रही हैं.

कोविड सेंटर में नर्सों की जरूरत

कोरोना के चलते सोनीपत जिले में दर्जन भर के करीब कोविड सेंटर स्थापित किए गए हैं. इन कोविड सेंटर में डॉक्टरों के अलावा नर्सों को भी तैनात किया गया है. ये सभी नर्सें सरकारी अस्पतालों में तैनात थी, जिस कारण अब सरकारी अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ की कमी हुई है. लॉकडाउन में सरकारी अस्पतालों इलाज के लिए लोगों का आवागमन ना के बराबर रहा जिस कारण से उस समय तो नर्सों की अधिक कमी नहीं खली, लेकिन अनलॉक के बाद सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने से ये कमी खूब खल रही है.

कोरोना काल में हरियाणा में नर्सिंग स्टाफ की मांग बढ़ी, देखें वीडियो

सोनीपत के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बीके राजौरा भी मानते हैं कि अस्पतालों में नर्सें कम होने से इलाज प्रभावित हुआ है. उन्होंने बताया कि उच्च अधिकारियों को नर्सों की डिमांड के लिए अवगत करवाया गया है, जिसको जल्द ही पूरा किया जाएगा. इसके अलावा नर्सों के कमी को देखते हुए अलग-अलग नर्सिंग स्कूलों से 50-50 की संख्या में नर्सिंग छात्रों की सेवाएं भी ली जा रही हैं.

नर्सों के पद खाली

हरियाणा में पैरामेडिकल स्टाफ के लिए नर्स के 1,432 पद खाली हैं. राज्य में 3656 नर्सों की जरूरत है लेकिन फिलहाल 2,224 नर्सें काम कर रही हैं. दूसरी तरफ राज्य में 559 मल्टी पर्पस हेल्थ वर्कर की कमी है. बता दें कि हरियाणा में 59 अस्पतालों, 119 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, 486 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 2,630 उप-केंद्रों सहित 3,294 स्वास्थ्य संस्थानों का एक नेटवर्क है.

निजी अस्पतालों में नर्सों की कमी

सरकारी अस्पतालों के बाद अब निजी अस्पतालों का रुख करते हैं. लॉकडाउन के चलते कई बड़े अस्पतालों ने खर्च कम करने के लिए नर्सों की सेवाएं खत्म कर दी थीं. अब अनलॉक के बाद उन अस्पतालों में नर्सों की कमी पड़ गयी है और उन अस्पतालों को अधिक वेतन पर नर्सों को तैनात किया जा रहा है. निजी अस्पताल के संचालक डॉ. धर्मबीर नांदल बता रहे हैं कि अस्पतालों ने नर्सों को मैनेज कर लिया था, लेकिन अब मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद नर्सों की कमी हुई है. इसके अलावा विदेशों में भी नर्सिंग स्टाफ की डिमांड बढ़ गयी है.

क्या बोलीं नर्सें ?

वहीं निजी अस्पताल में कार्यरत नर्स राखी और तन्वी भी मानती हैं कि अस्पतालों में नर्सों की कमी हुई है और कोविड फैलने के बाद नर्सों की मांग में बढ़ोतरी हुई है. वेतन पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सरकारी और निजी अस्पतालों की नर्सिंग स्टाफ में काफी अंतर है जिसमे बदलाव की आवश्यकता है.

सरकारी अस्पतालों में नर्सों की कमी के चलते मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ है. सरकार अब दावा कर रही है कि इस कमी को जल्द पूरा कर लिया जाएगा. बहरहाल किसी तरह से सरकारी अस्पताल इस कमी को मैनेज करने में जुटा हुआ है तो वहीं निजी अस्पताल भी नर्सों को वेतन बढ़ाकर दोबारा सेवाएं लेने को मजबूर है.

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