सोनीपत में बंदरों से क्रूरता मामले में प्रशसान ने बड़ी कार्रवाई की है. मीडिया में खबर आने के बाद सोनीपत नगर निगम के अधिकारियों ने बंदर पकड़ने वाली कंपनी का टेंडर रद्द कर दिया है. साथ ही कंपनी की जमा राशि भी जब्त कर ली है. नगर निगम ने कंपनी के मालिकों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करवाया है. सोनीपत नगर निगम के अधिकारियों ने ज्वाइंट कमिश्नर के नेतृत्व में जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है.
सोनीपत नगर निगम आयुक्त विश्राम कुमार मीणा ने बताया कि सेक्टर 23 में बंदरों के साथ क्रूरता का मामला सामने आया था. जिसमें निगम की तरफ से कार्रवाई की गई है. उन्होंने बताया कि इस मामले में वेलकम कोऑपरेटिव सोसाइटी को एक बंदर पकड़ने के लिए 1800 रुपये दिए जा रहे थे. इन बंदरों को यमुनानगर के जंगलों में छोड़कर आना था, लेकिन ठेकेदार ने इन बंदरों के एक मकान में बंद कर दिया. ना तो वहां उनके लिए खाने की व्यवस्था थी, ना पीने के पानी की.
कुमारी मीणा ने बताया कि इस मामले में सोनीपत नगर निगम ज्वाइंट कमिश्नर के नेतृत्व में टीम का गठन कर दिया गया है. जो इस पूरे मामले की जांच करेगी. फिलहाल सभी बंदरों को यमुनानगर के जंगलों में छोड़ दिया गया है. बता दें कि सोनीपत सेक्टर 23 के मकान में बंद पिंजरों में 150 से ज्यादा बंदर मिले थे. जिनमें से कुछ बंदरों की मौत हो चुकी थी. 5 मरे हुए बंदर मकान बाहर मिले. जैसे ही लोगों को इस बारे में बता चला तो उन्होंने जमकर हंगामा किया.
सोनीपत नगर निगम ने ठेकेदार को बंदर पकड़ने का टेंडर दिया था. ठेकेदार ने शहर के बंदरों को पकड़कर सोनीपत सेक्टर 23 स्थित मकान में पिंजरों में बंद करके रख दिया. लोगों के मुताबिक करीब 4 पिंजरों में 150 से ज्यादा बंदर बंद थे. ना तो उनके खाने की व्यवस्था की गई थी और ना पीने के पानी की व्यवस्था. एक पिंजरे में जरूरत से ज्यादा बंदर होने की वजह से उनमें से कुछ की मौत भी हो गई थी. जबकि कुछ मृत बंदरों को घर के बाहर डाला हुआ था. सूचना मिलने पर पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचा और कार्रवाई की.