सोनीपत: लॉकडाउन के चलते प्रवासी मजदूरों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. भले ही तमाम राज्यों की सरकारें प्रवासी मजदूरों को उनके गन्तव्य तक पहुंचाने के भरसक प्रयास कर रही हों, लेकिन अभी भी सरकार और प्रशासन के इंतजाम नाकाफी दिखाई दे रहे हैं. अभी भी प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घर जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है.
मजबूरी का नाम मजदूर!
सोनीपत में प्रवासी मजदूर खेतों और जंगलों के रास्ते तपती धूप में अपने घर जाते दिखे. ये मजदूर पंजाब के लुधियाना से चार दिन पहले चले थे. मजदूरों को पुलिस ना पकड़ ले, इसलिए इन्होंने खेतों और जंगलों से होते हुए घर जाने का रास्ता चुना.
जब ये मजदूर सोनीपत से होकर गुजर रहे थे तब ईटीवी भारत हरियाणा की नजर इन मजदूरों पर पड़ी. ईटीवी भारत हरियाणा ने जब इनसे पूछताछ की तो पता चला कि इनके पास पैदल चलने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा था. उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के रहने वाले राजेश ने बताया कि
लॉकडाउन के बाद लुधियाना में हमारे लिए कोई काम नहीं बचा. ना ही कही काम मिला. जमा पूंजी से किसी तरह हमने दो महीने काटे. अब रुपये नहीं होने की वजह से हमारे पास और कोई चारा नहीं बचा. ना तो प्रशासन की तरफ से किसी तरह की मदद मिली और ना ही सरकार की तरफ से किसी ने हमारी सुध ली.
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में रहने वाले अभिषेक ने बताया कि वो पंजाब के लुधियाना से चार दिन पहले चले थे. लुधियाना में कारखाना बंद हो चुका है. जब तक उनके पास पैसा रहा तब तक किसी तरह से उन्होंने काम चलाया, उसके बाद जब पैसे खत्म हो गए तो वहां से चलना पड़ा.
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लुधियाना से ही आ रहे चंदन ने बताया कि दो महीने तो हमने जैसे-तैसे गुजारा कर लिया. अब हमें मजबूरन पैदल ही घर जाना पड़ रहा है. चंदन ने बताया कि रास्ते में पुलिस वाले सड़क के रास्ते उन्हें आने नहीं दे रहे थे, जिस वजह से उन्होंने जंगलों और खेतों से अपना सफर तय करने का फैसला किया.