सोनीपत: देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे केएमपी एक बार फिर विवादों में आ गया है. आपको बता दें कि कि केएमपी को बनाने वाले ठेकेदार धरने पर बैठ गए हैं.
ठेकेदारों का कहना है कि केएमपी का निर्माण करने वाली एस्सेल कंपनी ने उन्हें कोई भी भुगतान नहीं किया है. जिसके बाद सभी ठेकेदारों ने रोष व्यक्त किया है. ठेकेदार कंपनी द्वारा निर्माण कार्य कराने के बाद रुपये न देने से नाराज हैं. ठेकेदारों ने एस्सेल ग्रुप और एचएसआइआइडीसी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके विरोध में ठेकेदार धरने पर बैठे हैं.
वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे पर गढ़ीबाला टोल टैक्स के पास केएमपी को बनाने वाले सभी ठेकेदार धरने पर बैठ गए हैं. ठेकेदारों का कहना है कि केएमपी पर वसूला जाने वाला टोल टैक्स वसूली भी बंद कराएंगे.
उन्होंने बताया कि ठेकेदार केएमपी बनाने के बाद भी करीब 150 करोड़ रुपये की राशि नहीं मिलने से परेशान हैं. वही केएमपी का निर्माण करने वाली एस्सेल कंपनी ने उन्हें कोई भी भुगतान नहीं किया है. जिसके बाद सभी ठेकेदारों ने रोष व्यक्त किया है. ठेकेदार कंपनी ने निर्माण कार्य कराने के बाद रुपये न देने से नाराज हैं.
पूरे पैसे ना मिलने से नाराज
19 नवंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केएमपी एक्सप्रेस-वे की सौगात जनता को सौंपी थी. यही नहीं मनोहर सरकार ने इस एक्सप्रेस-वे को अपनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया था.
इस पूरे मामले में एचएसआईआईडीसी अधिकारी सुरेंदर देशवाल ने बताया कि केएमपी का टेंडर एस्सेल ग्रुप को दिया था. इसमें एचएसआईआईडीसी का कोई लेना देना नहीं है.
वही ठेकेदारों ने बताया है कि 2016 से वह केएमपी बनाने में जुटे थे, लेकिन जिस कंपनी के साथ वह इसके निर्माण के लिए जुड़े थे, उस कंपनी पर इन ठेकेदारों का अभी 150 करोड़ रुपए बकाया है.
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