सोनीपतः तमाम अटकलों, उठापटक और कई दौर की बैठकों के बाद आखिरकार कांग्रेस ने इंदु राज नरवाल को टिकट दे दिया. लेकिन इंदु राज का नाम पहले से चर्चा में नहीं था फिर उन्हें टिकट कैसे मिला. कांग्रेस मेंचली ये पर्दे के पीछे की कहानी काफी दिलचस्प है, जिसने इंदु राज नरवाल को टिकट दिलवा दिया.
नामांकन से एक दिन पहले का नाटकीय घटनाक्रम
कांग्रेस के टिकटार्थियों की लिस्ट काफी लंबी थी, जिसमें बीजेपी नेता कपूर नरवाल का भी नाम था. और कपूर नरवाल के पक्ष में भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी थे जिसकी वजह से उन्हें मजबूत दावेदार माना जा रहा था. उनके नाम की घोषणा की तैयारियां भी लगभग पूरी कर ली गई थीं, लेकिन जैसे ही कांग्रेस के स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भनक लगी तो उन्होंने कपूर नरवाल को बाहरी कहकर विरोध शुरू कर दिया.
हुड्डा ने निकाला बीच का रास्ता
जब कांग्रेस काडर और दूसरे धड़े ने ज्यादा विरोध किया तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हालात समझते हुए इंदु राज नरवाल का नाम आगे कर दिया. जिस पर कुमारी शैलजा से लेकर कांग्रेस के तमाम कार्यकर्ता भी राजी हो गए. इस तरीके से कांग्रेस के टिकट की रेस में सबसे आगे चल रहे कपूर नरवाल को टिकट नहीं मिला और वो निर्दलीय मैदान में उतर गए.
इंदु राज नरवाल पर सभी कांग्रेसी एकमत क्यों ?
इंदु राज कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ता हैं, उनका परिवार भी हमेशा से कांग्रेसी ही रहा है और वो जमीन पर काम करने वाले नेता हैं. इस वजह से उन पर ना तो बाहरी का ठप्पा लग सकता है और ना ही उन्हें कोई बड़ा नाम कह सकता है. पुराने कार्यकर्ता होने की वजह से ही कांग्रेस में कोई इंदु राज नरवाल का विरोध नहीं कर सका. और कांग्रेस के सभी धड़े एकमत हो गए.
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हुड्डा ने इंदु राज का नाम ही क्यों आगे किया ?
दरअसल भूपेंद्र सिंह हुड्डा कपूर नरवाल को टिकट दिलवाना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस का दूसरा धड़ा उन्हें बाहरी कहकर नकार रहा था. अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा का एक ऐसा नाम चाहिए था जिसे सभी स्वीकार कर लें और वो उनके खेमे का भी हो, क्योंकि हुड्डा अपने प्रभुत्व वाले क्षेत्र में किसी और की दखल नहीं चाहते थे. तब उनके दिमाग में पूर्व जिला पार्षद इंदु राज नरवाल क्योंकि उनके पिता धूप सिंह नरवाल भूपेंद्र सिंह हुड्डा के काफी करीबी थे और इंदु राज नरवाल दीपेंद्र हुड्डा के काफी करीबी हैं. इसीलिए हुड्डा ने एक तीर से दो निशाने किये और इंदु राज नरवाल का नाम आगे कर दिया.