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गोहाना: वेतन बढ़ोत्तरी को लेकर आशा वर्कर्स ने SMO को सौंपा ज्ञापन - आशा वर्कर वेतन बढ़ोत्तरी मांग

कोरोना संक्रमण के दौरान गोहाना में ड्यूटी पर लगाई गई आशा वर्कर्स ने वेतन बढ़ोत्तरी की मांग की है. वहीं उनका कहना है कि संक्रमण के खतरे के बावजूद उन्हें सेफ्टी किट भी नहीं दी जा रही है.

gohana Asha workers submitted memorandum to SMO regarding increment of salary
तन बढ़ोत्तरी को लेकर आशा वर्कर्स ने SMO को सौंपा ज्ञापन
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Published : Jun 12, 2020, 5:35 PM IST

गोहाना: गोहाना नागरिक अस्पताल में आशा वर्करों ने जिला अस्पताल में एसएमओ को हरियाणा सरकार के नाम ज्ञापन दिया है. आशा वर्करों का की मांग है कि उन्हें कोविड-19 वायरस ड्यूटी के दौरान उन्हें सेफ्टी किट मुहैया कराई जाए. आशा वर्कर्स ने मानदेय में बढ़ोत्तरी की भी मांग की है.

शुक्रवार को जिले के आशा वर्कर गोहाना के नागरिक अस्पताल में इकट्ठा हुए और कर्मचारी यूनियन के नेताओं के साथ मिलकर बैठक की. बैठक के बाद गोहाना नागरिक अस्पताल के सीएमओ को हरियाणा सरकार के नाम ज्ञापन दिया.

हरियाणा सर्व कर्मचारी यूनियन के नेता सुरेश का कहना है कि आशा वर्कर कोविड-19 वायरस में बढ़ चढ़कर काम कर रही हैं, लेकिन सेफ्टी के लिए इनको किट मुहैया नहीं कराई गई. उन्होंने कहा कि ड्यूटी में खतरा ज्यादा होने के जो वेतन मिलना चाहिए, लेकिन वेतन ही नहीं मिल रहा.

घर-घर सर्वे कर रहीं आशा वर्कर्स

बता दें कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा आशा वर्कर्स के जरिए फर्स्ट राउंड में एक लाख की आबादी का घर-घर जाकर सर्वे किया जा चुका है. वहीं, आशा कार्यकर्ताओं ने दूसरे राउंड में अब तक करीब साढे आठ लाख लोगों की स्क्रीनिंग की है. आशा वर्कर्स ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन्हें किट, ग्लव्स मुहैया करवाए गए हैं. जिन्हें डालकर वे कंटेनमेंट और बफर जोन एरिया में जाती हैं और लोगों के घर जाकर सर्वे करती हैं.

इस तरह काम करती हैं आशा वर्कर्स

आशा वर्कर्स ने बताया कि उन्हें जिले में अलग-अलग जगहों पर भेजा गया है. जहां पर वो घर-घर जाकर लोगों का सर्वे करती हैं. उन्होंने बताया कि लोगों के घर जाकर आशा वर्कर्स लोगों से पूछती हैं कि किसी को खांसी, बुखार, जुकाम, गले में खराश आदि किसी प्रकार के कोई लक्षण तो नहीं है. 60 साल से ऊपर उम्र के बुजुर्गों से भी जानते हैं कि उनमें से किसी को शुगर, बीपी, कैंसर तो नहीं है.

उन्होंने बताया कि ऐसा करने के बाद उनका नाम, आधार कार्ड नम्बर, फोन नम्बर को नोट कर लिया जाता है. नंबर नोट करने के बाद उन्हें सेक्टर 6 नागरिक अस्पताल में रेफर किया जाता है. लेकिन जब वे खुद अस्पताल में नहीं जाते तो फिर संबंधित डिस्पेंसरी में इसकी जानकारी दी जाती है.

कभी-कभी लोग करते हैं झगड़ा

उन्होंने बताया कि सर्वे करने के दौरान कई बार लोग आशा वर्कर्स के साथ झगड़ा भी करते हैं और उन पर हावी हो जाते हैं और बोलते हैं कि तुम रोज आ जाते हो, जिस वजह से जान का खतरा बना रहता है और दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है और इसके बावजूद भी सभी आशा वर्कर्स तन मन से पूरी लगन के साथ अपना काम करने में लगी हैं.

ये भी पढ़ें- पलवल: हरियाणा-बॉर्डर पर प्रवासी मजदूरों का जमावड़ा, घर पहुंचाने के नाम पर सरकार कर रही खानापूर्ति

गोहाना: गोहाना नागरिक अस्पताल में आशा वर्करों ने जिला अस्पताल में एसएमओ को हरियाणा सरकार के नाम ज्ञापन दिया है. आशा वर्करों का की मांग है कि उन्हें कोविड-19 वायरस ड्यूटी के दौरान उन्हें सेफ्टी किट मुहैया कराई जाए. आशा वर्कर्स ने मानदेय में बढ़ोत्तरी की भी मांग की है.

शुक्रवार को जिले के आशा वर्कर गोहाना के नागरिक अस्पताल में इकट्ठा हुए और कर्मचारी यूनियन के नेताओं के साथ मिलकर बैठक की. बैठक के बाद गोहाना नागरिक अस्पताल के सीएमओ को हरियाणा सरकार के नाम ज्ञापन दिया.

हरियाणा सर्व कर्मचारी यूनियन के नेता सुरेश का कहना है कि आशा वर्कर कोविड-19 वायरस में बढ़ चढ़कर काम कर रही हैं, लेकिन सेफ्टी के लिए इनको किट मुहैया नहीं कराई गई. उन्होंने कहा कि ड्यूटी में खतरा ज्यादा होने के जो वेतन मिलना चाहिए, लेकिन वेतन ही नहीं मिल रहा.

घर-घर सर्वे कर रहीं आशा वर्कर्स

बता दें कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा आशा वर्कर्स के जरिए फर्स्ट राउंड में एक लाख की आबादी का घर-घर जाकर सर्वे किया जा चुका है. वहीं, आशा कार्यकर्ताओं ने दूसरे राउंड में अब तक करीब साढे आठ लाख लोगों की स्क्रीनिंग की है. आशा वर्कर्स ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन्हें किट, ग्लव्स मुहैया करवाए गए हैं. जिन्हें डालकर वे कंटेनमेंट और बफर जोन एरिया में जाती हैं और लोगों के घर जाकर सर्वे करती हैं.

इस तरह काम करती हैं आशा वर्कर्स

आशा वर्कर्स ने बताया कि उन्हें जिले में अलग-अलग जगहों पर भेजा गया है. जहां पर वो घर-घर जाकर लोगों का सर्वे करती हैं. उन्होंने बताया कि लोगों के घर जाकर आशा वर्कर्स लोगों से पूछती हैं कि किसी को खांसी, बुखार, जुकाम, गले में खराश आदि किसी प्रकार के कोई लक्षण तो नहीं है. 60 साल से ऊपर उम्र के बुजुर्गों से भी जानते हैं कि उनमें से किसी को शुगर, बीपी, कैंसर तो नहीं है.

उन्होंने बताया कि ऐसा करने के बाद उनका नाम, आधार कार्ड नम्बर, फोन नम्बर को नोट कर लिया जाता है. नंबर नोट करने के बाद उन्हें सेक्टर 6 नागरिक अस्पताल में रेफर किया जाता है. लेकिन जब वे खुद अस्पताल में नहीं जाते तो फिर संबंधित डिस्पेंसरी में इसकी जानकारी दी जाती है.

कभी-कभी लोग करते हैं झगड़ा

उन्होंने बताया कि सर्वे करने के दौरान कई बार लोग आशा वर्कर्स के साथ झगड़ा भी करते हैं और उन पर हावी हो जाते हैं और बोलते हैं कि तुम रोज आ जाते हो, जिस वजह से जान का खतरा बना रहता है और दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है और इसके बावजूद भी सभी आशा वर्कर्स तन मन से पूरी लगन के साथ अपना काम करने में लगी हैं.

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