सोनीपत: कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों से मंगलवार को केंद्र सरकार ने 2 फेज में करीब ढाई घंटे तक बातचीत की. किसान संगठनों के 35 प्रतिनिधियों की मीटिंग विज्ञान भवन में हुई. पंजाब के किसान नेता बलबीर सिंह राजोवाल ने कहा कि ये 3 कृषि कानून पूंजीपतियों के अर्थशास्त्रियों ने बनाए हैं.
उन्होंने कहा कि आंदोलन को शांतिपूर्ण चलाना हमारी जिम्मेदारी है और हम आगे भी चलाएंगे. उन्होंने कहा कि ये कृषि कानून मार्किटिंग सिस्टम को तोड़ने की साजिश है. उन्होंने अंत में कहा कि केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपना चाह रही है और इसके लिए सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है.
'ये किसान आंदोलन जनआंदोलन बनने जा रहा है'
मध्यप्रदेश के किसान नेता शिव कुमार कक्काजी ने कहा कि ये 3 कृषि कानून किसानों की मौत के फरमान हैं. उन्होंने कहा कि सभी किसान नेता बहुत समझदार हैं और वो जानते हैं कि इन कानूनों से किसानों को बहुत नुकसान है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में ये किसान आंदोलन जनआंदोलन बनने जा रहा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के कमरों में बैठकर किसानों की नीतियां नहीं बनाई जा सकती.
'केंद्र सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा'
किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने बिना किसी किसान संगठन से बात किए हुए ये 3 कृषि कानून किसानों पर थोपे हैं. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर, केरल, राजस्थान, गुजरात, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक के किसानों ने भी धरने स्थल पर आना शुरू कर दिया है और इनकी संख्या आने वाले दिनों में बढ़ती जाएगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की मांग पूरी नहीं करती है तो आने वाले समय में केंद्र सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
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'ये कानून किसानों के लिए मौत के फरमान हैं'
हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि जबसे कृषि कानून आए हैं तभी से सरकार दुष्प्रचार कर रही है कि इन कानूनों के बहुत फायदे हैं, लेकिन किसान इस बात को अच्छे तरीके से जानते हैं कि ये कानून किसानों के लिए मौत के फरमान हैं. उन्होंने आगे कहा कि किसान 5 महीने से आंदोलित हैं और इतनी कड़कड़ाती ठंड में आंदोलन कर रहे हैं.
किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्रहाना ने कहा कि सरकार किसानों के मुद्दे पर संवेदनशील नहीं है. उन्होंने कहा कि कड़कड़ाती ठंड में बच्चे और बुजुर्ग किसान सड़कों पर हैं, लेकिन सरकार असंवेदनशील तरीके से व्यवहार कर रही है. किसान नेता हनानमौला ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
केंद्र सरकार से किसानों की हुई बैठक की बड़ी बातें
- किसान नेता कृषि कानूनों को रद्द करवाने पर अड़िग, सरकार ने कमेटी बनाने के प्रस्ताव दिया
- 3 दिसंबर को फिर से किसान प्रतिनिधियों और सरकार के बीच बातचीत होगी
- 3 दिसंबर की मीटिंग में कृषि कानूनों के हर मुद्दे पर एक-एक कर के विस्तार से बात होगी
- बुधवार को कृषि कानूनों की खामियों की सूची बना के किसान नेता केंद्र सरकार को सौंपेंगे
- किसान नेताओं ने मीटिंग के दौरान चाय ब्रेक का बहिष्कार किया
- किसान नेताओं ने कहा कि देश के किसानों का केंद्र सरकार पर भरोसा नहीं है
- प्रधानमंत्री के वाराणसी के भाषण पर किसान नेताओं ने कहा कि किसानों के प्रति पीएम की नीति और नीयत ठीक नहीं है और केंद्र सरकार दोहरे मापदंड अपना रही है
- किसान नेताओं ने आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवारों के लिए मुआवडे की मांग की