ETV Bharat / state

दिल्ली कूच को लेकर किसान संगठनों में फूट, राकेश टिकैत के सामने चढूनी गुट ने की हूटिंग

सोनीपत में सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा (samyukt kisan morcha meeting) की बैठक चल रही है. बैठक के दौरान किसान संगठनों में दरार देखने को मिला. भारतीय किसान यूनियन (चढूनी गुट) के नेताओं ने गुरनाम सिंह चढूनी को अपना नेता बताकर जमकर नारेबाजी की है.

farmers meeting singhu border
farmers meeting singhu border
author img

By

Published : Nov 9, 2021, 6:00 PM IST

Updated : Nov 9, 2021, 6:14 PM IST

सोनीपत: तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन (Farmers protest) लगातार जारी है. 26 नवंबर को किसान आंदोलन को 1 साल पूरा होने जा रहा है, लेकिन सरकार और किसान नेताओं के बीच में बातचीत पर डेड लॉक लगा हुआ है. ऐसे में आज संयुक्त मोर्चा (samyukt kisan morcha meeting) के किसान नेता आंदोलन के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने के लिए सिंघु बॉर्डर पर बैठक कर रहे हैं. वहीं इस बैठक के दौरान किसान संगठनों में फूट भी देखने को मिली.

इस बैठक में किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी समेत देश के सभी बड़े किसान नेता पहुंचे हैं. वहीं भारतीय किसान यूनियन (चढूनी गुट) के नेता 26 नवंबर को दिल्ली कूच पर अड़े गए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाहर भारतीय किसान यूनियन (चढूनी गुट) के किसान हूटिंग कर रहे हैं. उन्होंने गुरनाम सिंह चढूनी को अपना नेता बता कर संयुक्त मोर्चा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

चढूनी गुट ने संयुक्त किसान मोर्चा के खिलाफ की हूटिंग, टिकैत के सामने की नारेबाजी

इस दौरान किसान नेता राकेश टिकैत माहौल को संभालते हुए नजर आए. टिकैत का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें वो ये कहते नजर आ रहे हैं कि अगर सब ऐसा ही बर्ताव करेंगे तो संगठन की ऐसी-तैसी हो जाएगी. जिसके बाद किसान नेताओं ने मीडिया के कैमरे बंद करवा दिए. नारेबाजी करने वाले किसान कह रहे हैं कि हरियाणा की अगुवाई हरियाणा के किसान करेंगे. बाहर का नेता यहां चौधर ना करे. दिल्ली जाने का फैसला हरियाणा के किसान संगठनों ने लिया था. संयुक्त मोर्चा चाहे जो भी फैसला करे लेकिन इस बार भी हरियाणा के किसान 26 नवंबर को दिल्ली कूच करेंगे.

बता दें कि इससे पहले 7 नवंबर को हरियाणा के किसान संगठनों ने रोहतक के मकड़ौली टोल पर बैठक की, वहीं 8 नवंबर को पंजाब में 32 जत्थेबंदियों ने बैठक की. 9 नवंबर को अब हरियाणा, पंजाब और अन्य राज्यों के किसान संगठन के नेता सिंघु बॉर्डर पर हो रही संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक (samyukt kisan morcha meeting) में अपने संगठन का प्रतिनिधित्व करते हुए राय रखेंगे. इसके बाद 26 नवंबर को होने जा रहे आंदोलन के एक साल पर आगे की रणनीति बनाई जायेगी.

ये पढ़ें- हरियाणा में किसान बदलेंगे बीजेपी नेताओं का विरोध करने की रणनीति! राकेश टिकैत ने दिए संकेत

केएमपी और केजीपी जाम करेंगे किसान?: पंजाब की एक बड़ी किसान जत्थेबंदी के नेता मंजीत राय पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि अगर हमें सरकार पर दबाव बनाना है तो हमें केएमपी, केजीपी को भी अनिश्चितकाल के लिए बंद करना पड़ेगा, ताकि सरकार को अपनी जिद्द से हटना पड़े और यह तीनों कृषि कानून वापस हों. उन्होंने कहा कि किसान संगठनों को कोई बड़ा फैसला लेना होगा ताकि सरकार किसानों के सामने झुके और ये तीनों कृषि कानून वापस हों.

ये पढ़ें- हांसी में किसानों का धरना जारी, प्रशासन से बातचीत रही बेनतीजा, टेंट लगाने की तैयारी में किसान

नेताओं के विरोध की बनेगी रणनीति: सोमवार को हांसी पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत ने अपने सम्बोधन में कहा कि हरियाणा में जेजेपी-बीजेपी के नेताओं के विरोध को लेकर संयुक्त मोर्चा की बैठक में सुझाव रखा जाएगा कि बीजेपी सरकार आंदोलन को जातियों में उलझाना चाहती है. संयुक्त मोर्चा यह चिन्हित करे कि हरियाणा में किस नेता का विरोध किया जाए किसका नहीं. राकेश टिकैत ने आंदोलन के एक साल होने पर कहा कि 26 नवंबर तक या तो सरकार बातचीत करे, नहीं तो हम अपने तंबू रिपेयर करने शुरू करेंगे.

गौरतलब है कि 26 नवंबर 2020 को हरियाणा और पंजाब के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे और उनको दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के विरोध में विरोध करने जाना था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने सोनीपत में कुंडली सिंघु बॉर्डर, झज्जर जिले के टिकरी बॉर्डर और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को रोक दिया. इसके बाद किसान संगठनों ने फैसला लिया कि दिल्ली की सीमाओं पर ही किसान अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे, तब से आज तक किसान संगठन मोर्चे पर डटे हुए हैं.

हरियाणा की खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat App

सोनीपत: तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन (Farmers protest) लगातार जारी है. 26 नवंबर को किसान आंदोलन को 1 साल पूरा होने जा रहा है, लेकिन सरकार और किसान नेताओं के बीच में बातचीत पर डेड लॉक लगा हुआ है. ऐसे में आज संयुक्त मोर्चा (samyukt kisan morcha meeting) के किसान नेता आंदोलन के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने के लिए सिंघु बॉर्डर पर बैठक कर रहे हैं. वहीं इस बैठक के दौरान किसान संगठनों में फूट भी देखने को मिली.

इस बैठक में किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी समेत देश के सभी बड़े किसान नेता पहुंचे हैं. वहीं भारतीय किसान यूनियन (चढूनी गुट) के नेता 26 नवंबर को दिल्ली कूच पर अड़े गए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाहर भारतीय किसान यूनियन (चढूनी गुट) के किसान हूटिंग कर रहे हैं. उन्होंने गुरनाम सिंह चढूनी को अपना नेता बता कर संयुक्त मोर्चा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

चढूनी गुट ने संयुक्त किसान मोर्चा के खिलाफ की हूटिंग, टिकैत के सामने की नारेबाजी

इस दौरान किसान नेता राकेश टिकैत माहौल को संभालते हुए नजर आए. टिकैत का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें वो ये कहते नजर आ रहे हैं कि अगर सब ऐसा ही बर्ताव करेंगे तो संगठन की ऐसी-तैसी हो जाएगी. जिसके बाद किसान नेताओं ने मीडिया के कैमरे बंद करवा दिए. नारेबाजी करने वाले किसान कह रहे हैं कि हरियाणा की अगुवाई हरियाणा के किसान करेंगे. बाहर का नेता यहां चौधर ना करे. दिल्ली जाने का फैसला हरियाणा के किसान संगठनों ने लिया था. संयुक्त मोर्चा चाहे जो भी फैसला करे लेकिन इस बार भी हरियाणा के किसान 26 नवंबर को दिल्ली कूच करेंगे.

बता दें कि इससे पहले 7 नवंबर को हरियाणा के किसान संगठनों ने रोहतक के मकड़ौली टोल पर बैठक की, वहीं 8 नवंबर को पंजाब में 32 जत्थेबंदियों ने बैठक की. 9 नवंबर को अब हरियाणा, पंजाब और अन्य राज्यों के किसान संगठन के नेता सिंघु बॉर्डर पर हो रही संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक (samyukt kisan morcha meeting) में अपने संगठन का प्रतिनिधित्व करते हुए राय रखेंगे. इसके बाद 26 नवंबर को होने जा रहे आंदोलन के एक साल पर आगे की रणनीति बनाई जायेगी.

ये पढ़ें- हरियाणा में किसान बदलेंगे बीजेपी नेताओं का विरोध करने की रणनीति! राकेश टिकैत ने दिए संकेत

केएमपी और केजीपी जाम करेंगे किसान?: पंजाब की एक बड़ी किसान जत्थेबंदी के नेता मंजीत राय पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि अगर हमें सरकार पर दबाव बनाना है तो हमें केएमपी, केजीपी को भी अनिश्चितकाल के लिए बंद करना पड़ेगा, ताकि सरकार को अपनी जिद्द से हटना पड़े और यह तीनों कृषि कानून वापस हों. उन्होंने कहा कि किसान संगठनों को कोई बड़ा फैसला लेना होगा ताकि सरकार किसानों के सामने झुके और ये तीनों कृषि कानून वापस हों.

ये पढ़ें- हांसी में किसानों का धरना जारी, प्रशासन से बातचीत रही बेनतीजा, टेंट लगाने की तैयारी में किसान

नेताओं के विरोध की बनेगी रणनीति: सोमवार को हांसी पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत ने अपने सम्बोधन में कहा कि हरियाणा में जेजेपी-बीजेपी के नेताओं के विरोध को लेकर संयुक्त मोर्चा की बैठक में सुझाव रखा जाएगा कि बीजेपी सरकार आंदोलन को जातियों में उलझाना चाहती है. संयुक्त मोर्चा यह चिन्हित करे कि हरियाणा में किस नेता का विरोध किया जाए किसका नहीं. राकेश टिकैत ने आंदोलन के एक साल होने पर कहा कि 26 नवंबर तक या तो सरकार बातचीत करे, नहीं तो हम अपने तंबू रिपेयर करने शुरू करेंगे.

गौरतलब है कि 26 नवंबर 2020 को हरियाणा और पंजाब के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे और उनको दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के विरोध में विरोध करने जाना था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने सोनीपत में कुंडली सिंघु बॉर्डर, झज्जर जिले के टिकरी बॉर्डर और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को रोक दिया. इसके बाद किसान संगठनों ने फैसला लिया कि दिल्ली की सीमाओं पर ही किसान अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे, तब से आज तक किसान संगठन मोर्चे पर डटे हुए हैं.

हरियाणा की खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat App

Last Updated : Nov 9, 2021, 6:14 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.