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सोनीपत: कड़कड़ाती ठंड और बारिश में भी सिंघु बॉर्डर पर डटी है महिलाएं और बुजुर्ग

जबरदस्त ठंड और बारिश के बीच सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन जारी है. आंदोलन में पहुंची महिलाओं के भी हौंसले बुलंद है और उनका कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगे नहीं मान लेती तब तक वो यहीं डटी रहेंगी.

sonipat farmers protest
कड़कड़ाती ठंड और बारिश में भी सिंघु बॉर्डर पर डटी है महिलाएं और बुजुर्ग
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Published : Jan 5, 2021, 5:04 PM IST

सोनीपत: केंद्र सरकार द्वारा पारित 3 नए कृषि कानूनों के विरोध में लगातार किसानों का आंदोलन जारी है. वहीं सिंघु बॉर्डर पर किसान अभी भी बैठे हुए हैं. पिछले 2 दिन से रुक-रुक कर बारिश होने के बावजूद इन किसानों के हौंसले बुलंद है और इनका कहना है कि जब तक कृषि कानून रद्द नहीं होते तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.

ईटीवी भारत से हुई बातचीत में इन महिलाओं का कहना था कि चाहे बरसात हो या कड़ाके की ठंड पड़े, हम यहां से नहीं जाने वाली हैं और इस ठंड और बरसात ने हमारे हौंसले को और बढ़ाया हैं. उन्होंने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए हम हार मानने वाली नहीं है.

कड़कड़ाती ठंड और बारिश में भी सिंघु बॉर्डर पर डटी है महिलाएं और बुजुर्ग

वहीं महिला किसानों ने सरकार के साथ हो रही वार्तालाप पर बोलते हुए कहा कि सरकार हमें जानबूझकर तारीख पर तारीख दे रही है, ताकि हमारे हौंसले टूट जाए. उन्होंने कहा कि हम सरकार से कहना चाहते हैं कि वो कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन हम हार नहीं मानेंगे और यहां से तभी वापस जाएंगे जब मोदी सरकार कृषि कानून रद्द कर देगी.

ये भी पढ़िए: टिकरी बॉर्डर पर किसान संगठनों की प्रेस वार्ता, इस रणनीति से करेंगे आंदोलन को और मजबूत

आपको बता दें कि पिछले 40 दिनों से भारी संख्या में किसान सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं. इस बीच किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच 8 बार बैठक भी हो चुकी है लेकिन कृषि कानूनों को रद्द करने पर सरकार द्वारा कोई फैसला नहीं लिया गया है.

वहीं किसान आंदोलन में अभी तक 50 से ज्यादा मौत भी हो चुकी है जिसको लेकर किसानों में काफी गुस्सा है. अब किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच अगली बैठक 8 जनवरी को होगी और किसान संगठन उम्मीद जता रहें हैं कि शायद इस बार उनकी मांगे मान ली जाएंगी.

सोनीपत: केंद्र सरकार द्वारा पारित 3 नए कृषि कानूनों के विरोध में लगातार किसानों का आंदोलन जारी है. वहीं सिंघु बॉर्डर पर किसान अभी भी बैठे हुए हैं. पिछले 2 दिन से रुक-रुक कर बारिश होने के बावजूद इन किसानों के हौंसले बुलंद है और इनका कहना है कि जब तक कृषि कानून रद्द नहीं होते तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.

ईटीवी भारत से हुई बातचीत में इन महिलाओं का कहना था कि चाहे बरसात हो या कड़ाके की ठंड पड़े, हम यहां से नहीं जाने वाली हैं और इस ठंड और बरसात ने हमारे हौंसले को और बढ़ाया हैं. उन्होंने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए हम हार मानने वाली नहीं है.

कड़कड़ाती ठंड और बारिश में भी सिंघु बॉर्डर पर डटी है महिलाएं और बुजुर्ग

वहीं महिला किसानों ने सरकार के साथ हो रही वार्तालाप पर बोलते हुए कहा कि सरकार हमें जानबूझकर तारीख पर तारीख दे रही है, ताकि हमारे हौंसले टूट जाए. उन्होंने कहा कि हम सरकार से कहना चाहते हैं कि वो कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन हम हार नहीं मानेंगे और यहां से तभी वापस जाएंगे जब मोदी सरकार कृषि कानून रद्द कर देगी.

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आपको बता दें कि पिछले 40 दिनों से भारी संख्या में किसान सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं. इस बीच किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच 8 बार बैठक भी हो चुकी है लेकिन कृषि कानूनों को रद्द करने पर सरकार द्वारा कोई फैसला नहीं लिया गया है.

वहीं किसान आंदोलन में अभी तक 50 से ज्यादा मौत भी हो चुकी है जिसको लेकर किसानों में काफी गुस्सा है. अब किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच अगली बैठक 8 जनवरी को होगी और किसान संगठन उम्मीद जता रहें हैं कि शायद इस बार उनकी मांगे मान ली जाएंगी.

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