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मकान बनाने से रोका तो किसानों ने बना ली झोपड़ियां, गर्मी से बचने के लिए हैं खास इंतजाम

आंदोलन के दौरान किसानों के ट्रैक्टर ट्रॉली उनके घर के जैसे थे. फिर किसानों ने हाइवे पर पक्के मकान भी बनाए, लेकिन प्रशासन ने रोका तो अब किसानों ने बीच का रास्ता निकालते हुए झोपड़ियां बना ली हैं और ट्रैक्टर ट्रॉलियों को भी खेती के लिए घर रवाना कर दिया है.

farmers made huts singhu border
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Published : Apr 9, 2021, 9:38 PM IST

सोनीपत: कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. सर्दियों में शुरू हुआ ये आंदोलन अब गर्मियों के मौसम तक आ पहुंचा है. ऐसे में सड़कों पर ठेरा डाले बैठे किसानों के लिए भी हर दिन मुश्किल होता है, लेकिन इन किसानों के पास हर बात का तोड़ है और हर मुश्किल से बाहर निकलने का हुनर.

धरने पर बैठे किसानों ने पहले सर्दी और बारिश से बचने के लिए हाइवे पर ही पक्के मकान बना दिए थे. वहीं हाइवे पर पक्के मकान बने तो प्रशासन ने भी सख्त रुख अख्तियार किया और किसानों पर केस दर्ज कर दिए. जिस वजह से किसानों को पक्के मकान बनाने का काम रोकना पड़ा.

मकान बनाने से रोका तो किसानों ने बना ली झोपड़ियां, गर्मी से बचने के लिए हैं खास इंतजाम

वहीं अब किसानों ने बीच का रास्ता निकालते हुए हाइवे पर झोपड़ियां बनानी शुरू कर दी हैं. किसानों का कहना है कि पता नहीं आंदोलन कितना लंबा चलेगा. इसलिए पक्के मकान बनाने लगे थे, प्रशासन ने रोका तो झोपड़ी बनवानी शुरू कर दी. अब गर्मी और लू से बच रहे हैं.

ये भी पढ़ें- कल KMP एक्सप्रेस-वे 24 घंटे बंद रखेंगे किसान, पुलिस ने की इन रूटों का इस्तेमाल करने की अपील

अगर खर्चे की बात करें तो एक बांस की सामान्य झोपड़ी बनाने में ही करीब 20 हजार का खर्चा हो रहा है. वहीं टीन से लेकर एल्युमिनियम की झोपड़ी और ट्राली के अंदर एसी से लेकर हाईटैक मकान तैयार हो गए हैं. कुछ किसानों ने अंदर से झोपड़ियों की मिट्टी से लिपाई कर रखी है, जिससे दीवारें ठंडी रहें.

बहरहाल ये आंदोलन कितने दिन और चलेगा ये तो अभी किसी को नहीं पता. सर्दियों में जहां हाईवे पर ट्रैक्टर और ट्रालियों की भीड़ दिखती थी, वहीं अब धूप से बचने के लिए किसान ने झोपड़ियां बना ली हैं, लेकिन एक बात जरूर है कि आंदोलन का स्वरूप लगातार बदल रहा है.

ये भी पढ़ें- खुली चुनौती देकर पंजाब से निकला लक्खा सिधाना, ढाई सौ गाड़ियों के काफिले के साथ पहुंचेगा दिल्ली

सोनीपत: कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. सर्दियों में शुरू हुआ ये आंदोलन अब गर्मियों के मौसम तक आ पहुंचा है. ऐसे में सड़कों पर ठेरा डाले बैठे किसानों के लिए भी हर दिन मुश्किल होता है, लेकिन इन किसानों के पास हर बात का तोड़ है और हर मुश्किल से बाहर निकलने का हुनर.

धरने पर बैठे किसानों ने पहले सर्दी और बारिश से बचने के लिए हाइवे पर ही पक्के मकान बना दिए थे. वहीं हाइवे पर पक्के मकान बने तो प्रशासन ने भी सख्त रुख अख्तियार किया और किसानों पर केस दर्ज कर दिए. जिस वजह से किसानों को पक्के मकान बनाने का काम रोकना पड़ा.

मकान बनाने से रोका तो किसानों ने बना ली झोपड़ियां, गर्मी से बचने के लिए हैं खास इंतजाम

वहीं अब किसानों ने बीच का रास्ता निकालते हुए हाइवे पर झोपड़ियां बनानी शुरू कर दी हैं. किसानों का कहना है कि पता नहीं आंदोलन कितना लंबा चलेगा. इसलिए पक्के मकान बनाने लगे थे, प्रशासन ने रोका तो झोपड़ी बनवानी शुरू कर दी. अब गर्मी और लू से बच रहे हैं.

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अगर खर्चे की बात करें तो एक बांस की सामान्य झोपड़ी बनाने में ही करीब 20 हजार का खर्चा हो रहा है. वहीं टीन से लेकर एल्युमिनियम की झोपड़ी और ट्राली के अंदर एसी से लेकर हाईटैक मकान तैयार हो गए हैं. कुछ किसानों ने अंदर से झोपड़ियों की मिट्टी से लिपाई कर रखी है, जिससे दीवारें ठंडी रहें.

बहरहाल ये आंदोलन कितने दिन और चलेगा ये तो अभी किसी को नहीं पता. सर्दियों में जहां हाईवे पर ट्रैक्टर और ट्रालियों की भीड़ दिखती थी, वहीं अब धूप से बचने के लिए किसान ने झोपड़ियां बना ली हैं, लेकिन एक बात जरूर है कि आंदोलन का स्वरूप लगातार बदल रहा है.

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