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सोनीपत: मजदूरों के बच्चों के लिए किसानों ने की सड़क पर ही स्कूल की व्यवस्था

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Published : Jan 11, 2021, 10:59 AM IST

किसान आंदोलन को समर्थन देने पंजाब के लुधियाना से आए किसान हरिचंद आंदोलन के बीच मजदूरों के बच्चों को पढ़ा कर मिसाल पेश कर रहे हैं.

farmer teaching children of labourers on the road in sonipat
मजदूरों के बच्चों के लिए किसानों ने की सड़क पर ही स्कूल की व्यवस्था

सोनीपत: केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में लगातार किसानों का प्रदर्शन जारी है. ईटीवी भारत की टीम लगातार आपको किसान आंदोलन की अलग-अलग तस्वीरें दिखा रही है. किसानों के लंगर में आ रहे मजदूरों को बच्चों के लिए किसानों ने अब सड़क पर ही स्कूल की व्यवस्था कर दी है. ताकि मजदूर के बच्चों को पढ़ाया जा सके.

पंजाब के लुधियाना से आए हरिचंद ने किसान आंदोलन में एक मिसाल पेश की है. उसने राई औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरी का काम कर रहे मजदूरों के छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया है, ताकि बच्चों की परवरिश और भविष्य पर वो छाप छोड़ सके कि किसानों ने इस तरह का भी आंदोलन किया था.

मजदूरों के बच्चों के लिए किसानों ने की सड़क पर ही स्कूल की व्यवस्था

ये भी पढ़ें: किसान विरोध का 47वां दिन, करनाल के बवाल पर 71 लोगों पर FIR दर्ज

हरिचंद ने बताया कि हमारे पास लंगर में खाना खाने आ रहे छोटे-छोटे मजदूरों के बच्चों को देख कर हमारे दिमाग में आइडिया आया कि आखिरकार इन बच्चों को क्यों ना पढ़ाया जा सके. जिसके बाद हम पिछले कई दिनों से इनको पढ़ा रहे हैं. ताकि इनके भविष्य को सुधारा जा सके और यह याद करें कि इस तरह का कोई किसान आंदोलन हुआ था. जिनमें उन्होंने पढ़ाई की और उनका भविष्य सुधरा. हम इन बच्चों को पंजाबी और सभी पाठ्यक्रम पढ़ा रहे हैं. इन्हें सुबह 9:00 बजे से लेकर दोपहर 2:00 बजे तक पढ़ाया जाता है.

सोनीपत: केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में लगातार किसानों का प्रदर्शन जारी है. ईटीवी भारत की टीम लगातार आपको किसान आंदोलन की अलग-अलग तस्वीरें दिखा रही है. किसानों के लंगर में आ रहे मजदूरों को बच्चों के लिए किसानों ने अब सड़क पर ही स्कूल की व्यवस्था कर दी है. ताकि मजदूर के बच्चों को पढ़ाया जा सके.

पंजाब के लुधियाना से आए हरिचंद ने किसान आंदोलन में एक मिसाल पेश की है. उसने राई औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरी का काम कर रहे मजदूरों के छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया है, ताकि बच्चों की परवरिश और भविष्य पर वो छाप छोड़ सके कि किसानों ने इस तरह का भी आंदोलन किया था.

मजदूरों के बच्चों के लिए किसानों ने की सड़क पर ही स्कूल की व्यवस्था

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हरिचंद ने बताया कि हमारे पास लंगर में खाना खाने आ रहे छोटे-छोटे मजदूरों के बच्चों को देख कर हमारे दिमाग में आइडिया आया कि आखिरकार इन बच्चों को क्यों ना पढ़ाया जा सके. जिसके बाद हम पिछले कई दिनों से इनको पढ़ा रहे हैं. ताकि इनके भविष्य को सुधारा जा सके और यह याद करें कि इस तरह का कोई किसान आंदोलन हुआ था. जिनमें उन्होंने पढ़ाई की और उनका भविष्य सुधरा. हम इन बच्चों को पंजाबी और सभी पाठ्यक्रम पढ़ा रहे हैं. इन्हें सुबह 9:00 बजे से लेकर दोपहर 2:00 बजे तक पढ़ाया जाता है.

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