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पंजाब में किसान नेताओं की हार का कारण किसान संगठनों में फूट- गुरनाम सिंह चढूनी

पंजाब हार के बार किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी का बयान सामने आया है. उन्होंने पंजाब में किसान संगठन को मिली हार की वजह बताई है.

Gurnam singh chaduni
पंजाब में किसान नेताओं की हार का कारण किसान संगठनों में फूट- गुरनाम सिंह चढूनी
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Published : Apr 2, 2022, 3:27 PM IST

Updated : Apr 2, 2022, 3:35 PM IST

सोनीपत: गुरनाम सिंह चढूनी का पंजाब चुनाव के बाद दर्द सामने आया है. सोनीपत की छोटूराम धर्मशाला में आयोजित किसान नेताओं की बैठक में उन्होंने कहा कि पंजाब में किसान नेताओं की हार का सबसे बड़ा कारण आपसी फूट था. किसान नेताओं में आपसी फूट का कारण ही पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है. अगर, संयुक्त किसान मोर्चा चुनाव का विरोध नहीं करता तो पंजाब में एकतरफा किसान नेताओं की सरकार बनती. वहीं, लखीमपुर खीरी में हुई किसानों के साथ हादसे के बाद सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है जिसको लेकर 12 तारीख को एक बड़ी महापंचायत लखीमपुर खीरी में बुलाई गई है.

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने सबसे बड़ी गलती यही की है कि उसने चुनाव का विरोध किया है. अगर, संयुक्त किसान मोर्चा साथ देता तो पंजाब में हालात कुछ और ही होते, क्योंकि पंजाब के सभी लोगों ने एक मन बना लिया था कि बादल और कांग्रेस को हराना है. उनके विकल्प के तौर पर केजरीवाल और किसान संगठन थे, लेकिन किसान संगठनों में आपसी फूट थी और इसका फायदा आम आदमी पार्टी को हुआ.

पंजाब में किसान नेताओं की हार का कारण किसान संगठनों में फूट- गुरनाम सिंह चढूनी

गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार भी अपने वादों पर खरी नहीं उतर रही है और अभी तक कुछ किसान है ऐसे हैं, जिन्हें मुआवजा नहीं मिला है और कुछ केस ऐसे हैं जिनमें अभी तक किसानों को रिहा नहीं किया गया है. वहीं, लखीमपुर खीरी में हुई घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां जो कुछ हुआ गलत हुआ और जो अंदर होने चाहिए थे वह बाहर हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने चुनाव का विरोध जरूर किया, लेकिन मोर्चे की 5 सदस्यीय कमेटी में चार नाम है ऐसे थे जो पहले चुनाव लड़ चुके थे. वहीं, बलबीर सिंह राजेवाल अब चुनाव लड़ चुके हैं और इनके अलावा राकेश टिकैत भी पहले दो बार चुनाव लड़ चुके थे तो इसके अंदर राजनीति कैसे हुई.

उन्होंने कहा कि 2024 में हरियाणा में चुनाव के लिए हमारी कमेटी बातचीत कर रही है और उसी के बाद कोई निर्णय लिया जाएगा. आपको बता दें कि प्रदेश में किसानों की खराब हुई फसलों का अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. जिसको लेकर किसानों की एक बैठक बुलाई गई थी. बैठक से पहले सोनीपत डीसी को ज्ञापन सौंपा कर किसानों ने जल्द से जल्द मुआवजे की मांग पूरी करने की अपील की है.

ये भी पढ़ें: चंडीगढ़ हरियाणा की राजधानी थी, है और रहेगी- भूपेंद्र सिंह हुड्डा

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सोनीपत: गुरनाम सिंह चढूनी का पंजाब चुनाव के बाद दर्द सामने आया है. सोनीपत की छोटूराम धर्मशाला में आयोजित किसान नेताओं की बैठक में उन्होंने कहा कि पंजाब में किसान नेताओं की हार का सबसे बड़ा कारण आपसी फूट था. किसान नेताओं में आपसी फूट का कारण ही पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है. अगर, संयुक्त किसान मोर्चा चुनाव का विरोध नहीं करता तो पंजाब में एकतरफा किसान नेताओं की सरकार बनती. वहीं, लखीमपुर खीरी में हुई किसानों के साथ हादसे के बाद सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है जिसको लेकर 12 तारीख को एक बड़ी महापंचायत लखीमपुर खीरी में बुलाई गई है.

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने सबसे बड़ी गलती यही की है कि उसने चुनाव का विरोध किया है. अगर, संयुक्त किसान मोर्चा साथ देता तो पंजाब में हालात कुछ और ही होते, क्योंकि पंजाब के सभी लोगों ने एक मन बना लिया था कि बादल और कांग्रेस को हराना है. उनके विकल्प के तौर पर केजरीवाल और किसान संगठन थे, लेकिन किसान संगठनों में आपसी फूट थी और इसका फायदा आम आदमी पार्टी को हुआ.

पंजाब में किसान नेताओं की हार का कारण किसान संगठनों में फूट- गुरनाम सिंह चढूनी

गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार भी अपने वादों पर खरी नहीं उतर रही है और अभी तक कुछ किसान है ऐसे हैं, जिन्हें मुआवजा नहीं मिला है और कुछ केस ऐसे हैं जिनमें अभी तक किसानों को रिहा नहीं किया गया है. वहीं, लखीमपुर खीरी में हुई घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां जो कुछ हुआ गलत हुआ और जो अंदर होने चाहिए थे वह बाहर हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने चुनाव का विरोध जरूर किया, लेकिन मोर्चे की 5 सदस्यीय कमेटी में चार नाम है ऐसे थे जो पहले चुनाव लड़ चुके थे. वहीं, बलबीर सिंह राजेवाल अब चुनाव लड़ चुके हैं और इनके अलावा राकेश टिकैत भी पहले दो बार चुनाव लड़ चुके थे तो इसके अंदर राजनीति कैसे हुई.

उन्होंने कहा कि 2024 में हरियाणा में चुनाव के लिए हमारी कमेटी बातचीत कर रही है और उसी के बाद कोई निर्णय लिया जाएगा. आपको बता दें कि प्रदेश में किसानों की खराब हुई फसलों का अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. जिसको लेकर किसानों की एक बैठक बुलाई गई थी. बैठक से पहले सोनीपत डीसी को ज्ञापन सौंपा कर किसानों ने जल्द से जल्द मुआवजे की मांग पूरी करने की अपील की है.

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Last Updated : Apr 2, 2022, 3:35 PM IST
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