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सिंघु बॉर्डर पर एक और किसान की गई जान, दस दिन पहले ही भतीजे की हुई थी मौत

किसान आंदोलन में किसानों की मौत होने का सिलसिला लगातार जारी है. अब गोहाना के रहने वाले 55 वर्षीय किसान की सिंघु बॉर्डर पर हृदय गति रुकने से मौत हो गई.

singhu border farmer death
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Published : Apr 11, 2021, 9:01 PM IST

सोनीपत: तीन कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के धरने पर रविवार को एक और किसान की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि किसान की मौत हृदय गति रुकने से हुई है.

मृतक किसान की पहचान राजेंद्र निवासी गांव बिचपड़ी, गोहाना के रूप में हुई हैं. राजेंद्र की उम्र करीब 55 साल बताई जा रही है. वह लगातार चार महीने से किसानों के धरने पर पहुंचकर अपना समर्थन दे रहा था.

दस दिन पहले उसके परिचित की मौत होने के बाद वो कल ही धरने पर वापस लौटा था. आज सुबह करीब 3 बजे राजेंद्र के सीने में दर्द हुआ और फिर उसकी मौत हो गई. उसके बाद मृतक के शव को पैतृक गांव बिचपड़ी लाया गया. जहां उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया. बता दें कि, किसान आंदोलन में अब तक 300 से भी ज्यादा किसान अपनी जाने गंवा चुके हैं.

सिंघु बॉर्डर पर एक और किसान की गई जान, दस दिन पहले ही भतीजे की हुई थी मौत

ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन में कोरोना पर बोले राकेश टिकैत, बंगाल के किसानों की चिंता करें अनिल विज

मृतक किसान राजेन्द्र के परिजनों ने बताया कि राजेंद्र 26 नवंबर से ही किसान आंदोलन में भाग लेने के लिए गया हुआ था. दस दिन पहले ही उसके भतीजे की मौत होने के बाद वह गांव में आया था. उसके बाद कल वापस किसान धरने पर लौट गया.

उन्होंने बताया कि हमने उनको कहा था कि अभी आपको धरने पर नहीं आना था, लेकिन उन्होंने कहा कि जो उसकी ड्यूटी धरने पर लगी हुई है वह उसे निभाने के लिए आया हुआ है. आज सुबह ही करीब 3 बजे उनके सीने में काफी दर्द हुआ. सोनीपत हॉस्पिटल में ले जाने लगे तब रास्ते में ही उनकी मौत हो गई.

ये भी पढ़ें- कैथल में फूटा किसानों का गुस्सा, बीजेपी अध्यक्ष को काले झंडे दिखाने की तैयारी

सोनीपत: तीन कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के धरने पर रविवार को एक और किसान की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि किसान की मौत हृदय गति रुकने से हुई है.

मृतक किसान की पहचान राजेंद्र निवासी गांव बिचपड़ी, गोहाना के रूप में हुई हैं. राजेंद्र की उम्र करीब 55 साल बताई जा रही है. वह लगातार चार महीने से किसानों के धरने पर पहुंचकर अपना समर्थन दे रहा था.

दस दिन पहले उसके परिचित की मौत होने के बाद वो कल ही धरने पर वापस लौटा था. आज सुबह करीब 3 बजे राजेंद्र के सीने में दर्द हुआ और फिर उसकी मौत हो गई. उसके बाद मृतक के शव को पैतृक गांव बिचपड़ी लाया गया. जहां उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया. बता दें कि, किसान आंदोलन में अब तक 300 से भी ज्यादा किसान अपनी जाने गंवा चुके हैं.

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मृतक किसान राजेन्द्र के परिजनों ने बताया कि राजेंद्र 26 नवंबर से ही किसान आंदोलन में भाग लेने के लिए गया हुआ था. दस दिन पहले ही उसके भतीजे की मौत होने के बाद वह गांव में आया था. उसके बाद कल वापस किसान धरने पर लौट गया.

उन्होंने बताया कि हमने उनको कहा था कि अभी आपको धरने पर नहीं आना था, लेकिन उन्होंने कहा कि जो उसकी ड्यूटी धरने पर लगी हुई है वह उसे निभाने के लिए आया हुआ है. आज सुबह ही करीब 3 बजे उनके सीने में काफी दर्द हुआ. सोनीपत हॉस्पिटल में ले जाने लगे तब रास्ते में ही उनकी मौत हो गई.

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